क्या जलवायु में आते बदलावों का सामना कर सकते हैं शुतुरमुर्ग, जानिए क्या कहती है रिसर्च

रिसर्च से पता चला है कि तापमान में आते बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव के चलते मादा शुतुरमुर्ग 40 फीसदी तक कम अंडे दे सकती है

By Lalit Maurya

On: Tuesday 31 May 2022
 

धरती पर शायद ही कोई ऐसा जीव होगा, जिसपर जलवायु में आते बदलावों का असर न पड़े। आज इन बदलावों से कोई सुरक्षित नहीं और ऐसा ही कुछ शुतुरमुर्ग के साथ भी हो रहा है। परिवेश के लिहाज से देखें तो शुतुरमुर्ग एक ऐसा पक्षी है जो गर्मी और सर्दी दोनों का सामना कर सकता है, लेकिन जलवायु में आता बदलाव उसके लिए भी घातक हो सकता है।

इस पर हाल ही में स्वीडन के लुंड विश्वविद्यालय द्वारा की गई एक रिसर्च से पता चला है कि जब तापमान में कहीं ज्यादा उतार-चढाव आता है, जैसा की जलवायु परिवर्तन के मामले में होता है, तो वो इस 130 किलोग्राम वजनी पक्षी के लिए भी हानिकारक हो सकता है। 

इस पर जर्नल साइंस एडवांसेज में प्रकाशित रिपोर्ट से पता चला है कि शुतुरमुर्ग प्रजनन के मामले में तापमान में आते उतार-चढ़ाव के प्रति बहुत ज्यादा संवेदनशील होते हैं। आमतौर पर इनके अंडे देने के लिए 20 डिग्री तापमान आदर्श होता है लेकिन यदि उसमें 5 डिग्री या उससे ज्यादा की वृद्धि या गिरावट आती है, तो इसके चलते इस विशालकाय पक्षी की अंडे देने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।

यह रिपोर्ट दक्षिण अफ्रीका में पिछले 20 वर्षों के दौरान 1,300 से ज्यादा शुतुरमुर्गों पर किए अध्ययन पर आधारित है। शोध में जो निष्कर्ष सामने आए हैं उनसे पता चला है कि यदि तापमान में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव आता है तो मादाएं 40 फीसदी तक कम अंडे देती हैं। देखा जाए तो इस अध्ययन में जो निष्कर्ष सामने आए हैं उसे शुतुरमुर्ग की आनुवंशिकी से जुड़े रहस्यों को और गहरा दिया है।

इस बारे में अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता मैडस एफ शॉ का कहना है कि शोध से पता चला है कि जो जीन गर्मी के तनाव को सहने के काबिल बनाते हैं वो साथ-साथ बढ़ती ठंड सहने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। ऐसे में यदि शुतुरमुर्ग बढ़ती गर्मी को सहने के काबिल बन भी जाएं तो यह ठंड के दौरान उनकी सहन क्षमता को प्रभावित करेगा। 

गौरतलब है कि शुतुरमुर्ग को उसके विशालकाय शरीर के लिए जाना जाता है। इस पक्षी का औसत वजन 60 से 130 किलोग्राम के बीच होता है। वहीं इसकी लम्बाई की बात की जाए तो नर शुतुरमुर्ग करीब 9 फ़ीट जबकि मादा करीब 6 फीट ऊंची होती है। हालांकि इसके बावजूद इस पक्षी के दिमाग का वजन केवल 40 ग्राम होता है। अपने वजन की वजह से यह पक्षी उड़ नहीं सकता लेकिन इसकी रफ्तार काफी तेज होती है यह करीब 75 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है। दुनिया में शायद ही कोई पक्षी होगा जो इतनी तेज रफ्तार से दौड़ सकता हो।

क्यों इनकी जलवायु अनुकूलन क्षमता रखती है मायने

यदि जलवायु मॉडल के अनुसार देखें तो जलवायु में आता बदलाव न केवल औसत तापमान में वृद्धि की वजह बनेगा साथ ही इसके चलते तापमान में आने वाला उतार-चढाव भी बढ़ जाएगा। ऐसे में इन जीवों के लिए गर्म और ठंड दोनों को सहन करने की क्षमता महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वो इनके जीवन की सम्भावना को बढ़ा देगी।

शॉ का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और कशेरुकी जीवों पर पहले भी कई शोध किए गए हैं जो उनकी शारीरिक और व्यवहारिक प्रतिक्रियाओं पर केंद्रित थे ऐसे में तापमान में आते उतार-चढ़ाव का सामना करने के लिए इन जीवों की आनुवंशिक क्षमता के बारे में हमारी जानकारी बहुत सीमित है।

देखा जाए तो जब कोई जीव अनुकूलन के लिए विकास करता है तो उसके कुछ ऐसे परिणाम भी सामने आते हैं जो शायद उनके लिए समस्या बन सकते हैं।  उदाहरण के लिए एक नर हाथी का बढ़ा हुआ आकार, उसकी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाता है लेकिन साथ ही उस बड़े आकार की जरूरतों को पूरा करने के लिए उसे कहीं ज्यादा भोजन की आवश्यकता पड़ती है।

वहीं इस मामले में शुतुरमुर्गों के बारे में शॉ का कहना है कि अध्ययन की शुरूआत में तो हमें लगता था कि इन पक्षियों में गर्म और ठंडे दोनों तरह के परिवेश के प्रति अनुकूलन करने की आनुवंशिक क्षमता होती है, लेकिन दुर्भाग्य से यह सही नहीं है। यह पक्षी तापमान में तेजी से आते उतार-चढ़ाव का सामना नहीं कर सकते।

शोधकर्ताओं ने यह जो अध्ययन किया है उससे पता चलता है कि क्यों इन जीवों में संतुलन स्थापित करने के लिए ठंड और गर्मी दोनों को सहने की क्षमता आपस में सम्बंधित है। ऐसे में शोध में जो निष्कर्ष सामने आए हैं यदि वो अन्य जीवों के लिए भी सच साबित होते हैं तो वो जीव जलवायु में आते उतार-चढ़ाव के प्रति कहीं ज्यादा संवेदनशील होंगे।  

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