कॉप-26: गर्म होती जलवायु से फल-फूल रहे हैं जहरीले शैवाल

गर्म जलवायु विषाक्त शैवाल के विकास के लिए अच्छी होती है और यह वहां रहने वाले अन्य जीवों के विकास को रोक सकती है जो खाद्य प्रणाली का अहम हिस्सा हैं।

By Dayanidhi

On: Tuesday 02 November 2021
 
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स, हानिकारक शैवालों का खिलना

ग्लासगो में चल रहे कॉप 26 जलवायु शिखर सम्मेलन में दुनिया के नेता जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए अपनी-अपनी ओर से वादे कर रहे हैं। इससे पहले कि इसका और गहरा प्रभाव जल-थल के सभी जीवों पर पड़े, नेताओं को जलवायु से संबंधित अपने वादों को समय सीमा के अंतर्गत पूरा करना होगा।

बढ़ते तापमान का असर समुद्र की खाद्य प्रणाली कहे जाने वाले शैवालों पर पड़ रहा है। जिसमें अच्छे शैवाल विलुप्ति की और जा रहे है, जबकि खराब प्रभाव वाले शैवालों की संख्या बढ़ रही है।

मिश्रित पोषी या मिक्सोट्रॉफिक फाइटोप्लांकटन जो कि एक तरह का शैवाल है। इन शैवालों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में बहुत कम जानकारी है। इस अध्ययन में इस बात का पता लगाया गया है कि शैवालों पर प्रकाश, बढ़ता तापमान और सीओ 2 का परस्पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है।

जब जंगली शैवालों की संख्या में वृद्धि हो जाती हैं, तो इनके बहुत बुरे प्रभाव पड़ सकते हैं, खासकर तब, जब वे शैवाल जहरीले पदार्थों को पैदा करते हैं। इसका प्रभाव शक्तिशाली और लंबे समय तक रहने वाला हो सकता है।  

इनमें मृत्यु क्षेत्र या डेड जोन कहे जाने वाले इलाके शामिल हैं जो समय-समय पर चेसापिक खाड़ी में उत्पन्न होते हैं। इन इलाकों में नुकसान पहुंचाने वाले शैवाल खिलते हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है शैवाल जहां की पूरी ऑक्सीजन को अवशोषित करते है जिससे वहां रहने वाले सभी जीवों और पौधों का जीवन खतरे के साए में आ जाता है।   

2014 में एरी झील में खिले शैवालों द्वारा उत्पादित विषाक्त पदार्थों ने टोलेडो, ओहियो की जल आपूर्ति को प्रदूषित कर दिया था, जिससे वहां एक जल संयंत्र बंद हो गया। ये हानिकारक फूल पानी से प्यार करने वालों के लिए घातक हो सकते हैं, इंसानों में बीमारी फैला सकते हैं और एक इलाके की अर्थव्यवस्था पर कहर बरपा सकते हैं।

वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगाया है कि कैसे गर्म तापमान इन हानिकारक शैवालों के खिलने की बढ़ती संख्या के लिए जिम्मेवार है।

एक नए अध्ययन से पता चलता है कि कैसे प्रकाश की स्थिति में बदलाव होने से इन शैवालों के विकास और इसने द्वारा पड़ने वाले प्रभाव पर असर पड़ता है। कॉलेज ऑफ अर्थ ओशन एंड द एनवायरनमेंट के डेलावेयर एसोसिएट प्रोफेसर कैथरीन कॉइन की अगुवाई में यह अध्ययन किया गया है।

सबसे बड़ी बात यह है कि एक गर्म जलवायु विषाक्त शैवाल के विकास के लिए अच्छी होती है और अन्य जीवों के विकास को रोक सकती है जो खाद्य प्रणाली या खाद्य वेब का हिस्सा हैं। चाहे वे इन शैवालों पर चरते हों या इनका सेवन करते हों।

कोयने ने कहा कि विशेष रूप से जो शैवाल किनारे के पास खिलते हैं, इनके सबसे खराब प्रभाव पड़ने की आशंका होती है। ये न केवल अस्थायी रूप से बढ़ते मौसम के अनुसार फैलते रहते हैं, बल्कि भौगोलिक रूप से भी, जहां तापमान या प्रकाश पहले से ही कम होता है इनका विकास उन जगहों पर भी हो जाता है।

यह अध्ययन सूक्ष्म शैवाल की एक प्रजाति पर केंद्रित है जिसका वैज्ञानिक नाम कार्लोडिनियम वेनेफिकम है, जिसे मछली के हत्यारे के रूप में भी जाना जाता है। यह चेसापिक खाड़ी और डेलावेयर के आंतरिक खाड़ी में दिखाई देता है।

इस प्रकार के शैवाल मिश्रित पोषी या मिक्सोट्रॉफिक है, जिसका अर्थ है कि यह विशेष रूप से संसाधनपूर्ण है, कभी-कभी सूरज की रोशनी से, कभी-कभी अन्य शैवाल और बैक्टीरिया खाने से इनको ऊर्जा प्राप्त होती है। हालांकि यह एक एकल-कोशिका जीव है, के. वेनेफिकम में दो फ्लैगेला हैं जो इसे अपने शिकार को पकड़ने के लिए आगे बढ़ाते हैं और फिर शिकार को विषाक्त पदार्थों से अचेत कर देते हैं।

अध्ययन से पता चलता है कि यह शैवाल विभिन्न प्रकाश संबंधी स्थितियों के तहत अपनी विकास रणनीति में बदलाव कर सकता है। प्रकाश में इन परिवर्तनों ने कार्बन डाइऑक्साइड और तापमान के परस्पर प्रभाव डालने की और प्रत्येक कोशिका में इकट्ठा की गई कार्बन और नाइट्रोजन की वृद्धि और उनकी मात्रा को प्रभावित किया है।   

कम रोशनी की स्थिति में, शवालों की संख्या में वृद्धि नहीं हुई। इसके बजाय, शैवाल ने अपने कोशिका को कार्बन और नाइट्रोजन के साथ भर दिया। अधिक प्रकाश की स्थितियों में, इनकी संख्या में वृद्धि हुई, लेकिन कोशिकाओं में कार्बन और नाइट्रोजन का स्तर कम पाया गया। कॉइन ने कहा इस तरह प्रकाश में बदलाव होने से पहले की तुलना में पूरी तरह से शैवालों के अलग परिणाम उभर कर सामने आते हैं।  

अध्ययनकर्ता ने बताया कि इस अध्ययन के दौरान, यह शैवाल भी बढ़े हुए तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक ढल गए थे, इससे पहले शैवालों को इतना अधिक तापमान सहन करने के लिए नहीं जाना जाता था। इससे पता चलता है कि इस अध्ययन में इस्तेमाल किए गए तापमान उनके विकास को रोक नहीं सकते हैं। यदि वे लंबे समय तक बहुत अधिक तापमान के संपर्क में रहते हैं, तो वे अंततः इसके आदी हो जाते हैं।

इस प्रकार के परिवर्तन उन जीवों को भी प्रभावित करेंगे जो इस शैवाल को खाते हैं, क्योंकि वे जलवायु परिवर्तन की परिस्थितियों में कम पौष्टिक हो सकते हैं। इससे जीवों की ताकत कम हो जाती है जो आम तौर पर शैवाल आबादी को बाधित करती है, जिससे के. वेनेफिकम को शिकारियों के साथ-साथ अन्य शैवाल से कई फायदे मिलते हैं।

कॉइन और उनके सहयोगी जैविक नियंत्रण विधियों जैसे "बैक्टीरिया बुलेट" या डिनोशील्ड्स पर काम कर रहे हैं, जो हानिकारक शैवाल के खिलने को रोकने के लिए शेवनेला बैक्टीरिया का उपयोग करते हैं। यह अध्ययन पीएलओएस वन पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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