कॉप 27: सन 2050 तक येलोस्टोन, किलिमंजारो ग्लेशियर हो जाएंगे गायब

यूनेस्को के विश्व धरोहर ग्लेशियरों में से लगभग 50 प्रतिशत वर्ष 2100 तक लगभग पूरी तरह से गायब हो सकते हैं

By Dayanidhi

On: Friday 04 November 2022
 
फोटो:यूनेस्को, पिघलते ग्लेशियर की उपग्रह से ली गई तस्वीर

लगातार बढ़ते तापमान के कारण दुनिया के कुछ प्रमुख ग्लेशियरों का अस्तित्‍व मिटने की आशंका जताई जा रही है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी- संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के अध्ययन के मुताबिक 2050 तक येलोस्टोन और किलिमंजारो नेशनल पार्क सहित कई यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के ग्लेशियर गायब हो जाएंगे। विशेषज्ञों ने बाकी को बचाने के लिए तेजी से कार्य करने का आग्रह किया है।

यूनेस्को ने 50 विश्व धरोहर स्थलों पर 18,600 ग्लेशियरों का अध्ययन किया। जिसमें लगभग 66,000 वर्ग किलोमीटर इलाके को कवर करने के बाद पाया गया कि एक तिहाई जगहों से ग्लेशियरों के गायब होने के आसार हैं।

यूनेस्को के विश्व धरोहर ग्लेशियरों में से लगभग 50 प्रतिशत वर्ष 2100 तक लगभग पूरी तरह से गायब हो सकते हैं।

अध्ययन से पता चलता है कि कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) उत्सर्जन जो तापमान बढ़ा रहा है जिसके कारण सन 2000 से ग्लेशियर तेजी से पीछे हट रहे हैं

यूनेस्को ने बताया कि ग्लेशियरों से हर साल 58 करोड़ टन बर्फ का नुकसान हो रहा है, जो फ्रांस और स्पेन दोनों देशों के द्वारा साल भर में उपयोग किए गए पानी के बराबर है। यह लगभग पांच प्रतिशत वैश्विक समुद्री स्तर में वृद्धि के लिए भी जिम्मेदार हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि 50 विश्व धरोहर स्थलों में से एक तिहाई में ग्लेशियर 2050 तक गायब हो जाएंगे। तापमान में हो रही वृद्धि को सीमित करने के प्रयासों के बावजूद भी ऐसा देखा जा रहा है।

लेकिन यदि पूर्व-औद्योगिक अवधि की तुलना में तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होती है, तो शेष दो तिहाई स्थलों में ग्लेशियरों को बचाना अभी भी संभव है।

पेरिस समझौते के तहत दुनिया भर के देशों ने पूर्व-औद्योगिक स्तरों से बढ़ते तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सिमित रखने का संकल्प लिया था, एक ऐसा लक्ष्य जो अब दुनिया भर में उत्सर्जन को देखते हुए कठिन लगता है।

मिस्र में शुरू होने वाले कॉप 27 जलवायु शिखर सम्मेलन से पहले यूनेस्को प्रमुख ऑड्रे अज़ोले ने कहा, यह अध्ययन देशों को तेजी से कार्रवाई का आह्वान करता है।

उन्होंने कहा केवल हमारे सीओ 2 उत्सर्जन के स्तर में तेजी से कमी करने से ग्लेशियरों और उन पर निर्भर असाधारण जैव विविधता को बचाया जा सकता है। इस मुद्दे के समाधान खोजने में मदद करने के लिए कॉप 27 की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

यूनेस्को के अध्ययन में चेतावनी दी है कि अफ्रीका में, सभी विश्व धरोहर स्थलों से 2050 तक ग्लेशियर गायब हो जाएंगे, जिसमें किलिमंजारो नेशनल पार्क और माउंट केन्या शामिल हैं।

यूरोप में, पाइरेनीज और डोलोमाइट्स के कुछ ग्लेशियर भी शायद तीन दशकों की अवधि के दौरान गायब हो जाएंगे। वहीं अमेरिका में येलोस्टोन और योसेमाइट राष्ट्रीय उद्यानों के ग्लेशियरों का भी यही हश्र  होने की आशंका है।

फरवरी में प्रकाशित इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज की रिपोर्ट में कहा गया है कि बर्फ का पिघलना जलवायु परिवर्तन के 10 प्रमुख खतरों में से एक है।

प्रमुख अध्ययनकर्ता टेल्स कार्वाल्हो ने कहा कि दुनियाभर में प्रमुख ग्लेशियरों को पिघलने से रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षात्मक उपाय कार्बन उत्सर्जन में तेजी से भारी कमी करनी होगी।

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