वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के चलते हर अमेरिकी पर पड़ रहा है 1.8 लाख रुपए का अतिरिक्त बोझ

साथ ही अमेरिका में जीवाश्म ईंधन के कारण होने वाला वायु प्रदूषण हर साल करीब 1.07 लाख लोगों की जान भी ले रहा है

By Lalit Maurya

On: Friday 21 May 2021
 
फोटो: पिक्साबेय

जलवायु में आ रहे बदलावों और वायु प्रदूषण के चलते हर अमेरिकी को स्वास्थ्य पर औसतन 1.8 लाख रुपए (2,500 डॉलर) का अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है| यदि अमेरिका पर पड़ने वाले इसके कुल बोझ की बात करें तो वो हर वर्ष करीब 59.7 लाख करोड़ रुपए (82,000 करोड़ डॉलर) के बराबर है| जिसका सबसे ज्यादा असर कमजोर तबके पर पड़ रहा है| यह जानकारी अमेरिका में पर्यावरण पर काम करने वाली एक संस्था नेचुरल रिसोर्सेज डिफेन्स कॉउन्सिल (एनआरडीसी) द्वारा जारी रिपोर्ट में सामने आई है|

यही नहीं रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण के चलते अमेरिका में हर साल करीब 107,000 लोग असमय मारे जा रहे हैं| इस रिपोर्ट से जुड़े शोधकर्ता विजय लिमये ने बताया कि इसके पीछे का विज्ञान बहुत सीधा सा है| यदि हम वायु प्रदूषण को रोकने में नाकाम रहते हैं, तो जलवायु परिवर्तन का हमारे स्वास्थ्य और जेब पर बढ़ता खतरनाक प्रभाव साल दर साल बढ़ता जाएगा|

उनके अनुसार ऐसे में जरुरी है कि इसके प्रभावों को कम करने के लिए सोच समझ कर निवेश करना जरुरी है| जिसकी मदद से देश में लाखों लोगों को बीमारियों और असमय होने वाली मौतों से बचाया जा सकता है|

यह रिपोर्ट दर्जनों वैज्ञानिक शोध पत्रों के विश्लेषण पर आधारित है| जिसमें जलवायु परिवर्तन के चलते आने वाली आपदाओं, हीटवेव, वायु प्रदूषण और बढ़ती बीमारियों के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पड़ रहे वित्तीय बोझ को उजागर किया है|

जीवाश्म ईंधन से होने वाला प्रदूषण हर साल 1.07 लाख लोगों की ले रहा है जान

रिपोर्ट के अनुसार जीवाश्म ईंधन के कारण होने वाला वायु प्रदूषण 1.07 लाख लोगों की असमय जान ले रहा है|  यही नहीं इसके कारण होने वाला ओजोन प्रदूषण सांस सम्बन्धी बीमारियों, अस्थमा, प्रजनन क्षमता और ह्रदय सम्बन्धी रोगों के लिए मुख्य रूप से जिम्मेवार हैं| जिसकी यदि कुल स्वास्थ्य सम्बन्धी लागत की बात करें तो वो करीब 57,552 करोड़ रुपए के बराबर है|

बढ़ते तापमान और  कार्बन डाइऑक्साइड के चलते एलर्जी के मामले बढ़ रहे हैं जिसकी कुल लागत करीब 83 करोड़ रुपए है| तापमान में होती वृद्धि के कारण मच्छरों और टिक्स के कारण लाइम रोग और वेस्ट नाइल वायरस के मामले बढ़ रहे हैं जिसके कारण हर साल स्वास्थ्य पर 19,670 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च आ रहा है|

वहीं यदि हीट वेव और हीट स्ट्रोक की बात करें तो इसके कारण स्वास्थ्य पर 1,916 करोड़ रुपए करने पड़े थे| वहीं हर वर्ष जलवायु परिवर्तन के कारण जंगलों में लगने वाली आग के मामलों में वृद्धि हो रही है| साथ ही कीड़ों का हमला भी बढ़ गया है इसके कारण 11,6562 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च हुआ था|

शोधकर्ताओं के मुताबिक 2012 में आए तूफान सैंडी ने अमेरिका को काफी नुकसान पहुंचाया था| इसके कारण न्यूयॉर्क शहर और पूर्वी तट के अधिकांश हिस्से प्रभावित हुए थे| इसने संपत्ति को करीब 458,963 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था वहीं स्वास्थ्य पर 24,040 करोड़ रुपए खर्च हुए थे|

यह रिपोर्ट स्पष्ट रूप से दिखाती है कि अमेरिका जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरे को और नजरअंदाज नहीं कर सकता| उसे इससे निपटने के लिए ठोस कदम उठाने होंगें| ऐसे में पूरी उम्मीद है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जलवायु परिवर्तन को लेकर जो गलतियां की थी, उन्हें अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन नहीं दोहराएंगे|

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