जलवायु परिवर्तन के कारण अंटार्कटिका में सीलों पर मंडराया रहने और खाने का संकट

शोध से पता चलता है कि सुरक्षित जगहों पर भी क्रैबेटर सीलों को पहले से ही प्रजनन और निवास स्थान के नुकसान का खतरा है।

By Dayanidhi

On: Thursday 09 September 2021
 
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स, बर्फ में आराम फरमाती क्रैबेटर सील

अंटार्कटिका और दक्षिणी महासागर में जलवायु परिवर्तन का असर एक समान नहीं हैं। बर्फ में रहने वाली प्रजातियां उनके बदलते परिवेश के चलते अलग-अलग तरह से मुकाबला कर रहे हैं। जलवायु में हो रहे बदलाव जीवों की आबादी पर लगातार दबाव डाल रहा है। अब वैज्ञानिकों की एक टीम ने यहां रहने वाले सीलों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में पता लगाया है।

एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन से पता चलता है कि कैसे जलवायु परिवर्तन दुनिया के सबसे दूर स्थित महासागरों में से एक वेडेल सागर में रहने वाली सीलों को प्रभावित कर सकता है।

न्यूजीलैंड के कैंटरबरी विश्वविद्यालय से जुड़ी टीम ने दक्षिणी महासागर के सीलों की खोज की। उपग्रह छवियों का उपयोग करके इस काम को हजारों वैज्ञानिकों ने अंजाम दिया। डॉ. मिया वेज कहते हैं कि हमने पाया कि वेडेल और क्रैबेटर में पाई गई सीलों की नस्ल करीब-करीब एक जैसी है।

वैज्ञानिकों ने कहा उनके निष्कर्षों का दिलचस्प हिस्सा इस बात से संबंधित है कि जलवायु परिवर्तन सीलों के इन प्रजनन स्थानों को किस तरह अलग-अलग तरीके से प्रभावित करेगा। जलवायु परिवर्तन के कारण, क्रैबेटर सीलों के सामने आराम करने के लिए और अपने बच्चों को बड़ा करने के लिए जगह खोजने की चुनौती होगी। डॉ वेज कहते हैं कि इन परिणामों में से बहुत आश्चर्यजनक यह है कि वेडेल समुद्र में, वेडेल सीलों के निकट भविष्य में कम से कम प्रभावित होने की उम्मीद है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि हमारा अंतिम लक्ष्य कैंटरबरी विश्वविद्यालय (यूसी) वैज्ञानिकों द्वारा न्यूजीलैंड में बनाए गए इन दो बहुत ही अनोखे डाटासेट्स का उपयोग करना था। ताकि सुदूर और ज्यादातर बर्फ से ढके दक्षिणी महासागर में समुद्री संरक्षित क्षेत्रों के लिए निगरानी तकनीकों के एक हिस्से के रूप में सीलों और अन्य वन्य जीवन को बचाया जा सके।

शोध के परिणाम से पता चला कि क्रैबटर सीलों की विशेष प्रकृति को देखते हुए, उन्हें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों ने अधिक कमजोर बना दिया है। क्रैबटर सील अस्थिर और कुछ समय तक रहने वाली बर्फ में प्रजनन करना पसंद करते हैं, यह बर्फ समुद्र के ऊपर तैरती रहती है जिसे "पैक-आइस" कहा जाता है। वे समुद्र के बीच में इन बर्फ के ढ़ेरो पर पिल्लों (बच्चों) को जन्म देते हैं। यदि बर्फ का वह हिस्सा पिघल जाता है, तो जगह कम पड़ जाएगी और सीलों को अपने बच्चों को कहीं और जन्म देना होगा।

क्रैबटर सील तेजी से अत्यधिक खाना खाने के लिए जाने जाते हैं। उनके आहार का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्से में अंटार्कटिका छोटे जीव (क्रिल) शामिल हैं। यदि जलवायु परिवर्तन भी महासागर में उपलब्ध सीलों के शिकार को प्रभावित करता है, तो एक उचित धारणा, यह क्रैबेटर सीलें है जिनके पीड़ित होने की अधिक आशंका है।

क्रैबेटर सील क्रिल के अलावा किसी भी चीज को नहीं खा सकते हैं। इस तरह के विकास ने उन्हें एक बहुत ही विशिष्ट शिकारी बना दिया है। उनके दांतों के आकार के चलते वे क्रिल को अपना शिकार बनाने में माहिर हैं। अस्थिर बर्फ की परत और विशेष आहार एक साथ रखे प्रजातियों के भविष्य के लिए एक अच्छा संकेत नहीं है। हालांकि वेडेल समुद्र अंटार्कटिक प्रायद्वीप की तुलना में जलवायु परिवर्तन से बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं है। शोध से पता चलता है कि सुरक्षित जगहों पर भी क्रैबेटर सीलों को पहले से ही प्रजनन और निवास स्थान के नुकसान का खतरा है।

दूसरी ओर, वेडेल सील, अपने आहार के मामले में अधिक सख्त नहीं हैं अर्थात यह मछली, क्रिल और स्क्विड खा रहे हैं। उनकी उपस्थिति ज्यादातर गैर-जलवायु संबंधी कारकों से प्रभावित होती है जैसे महाद्वीपीय शेल्फ की दूरी जहां शिकार किया जाता है। वेडेल समुद्र में अभी भी वेडेल सीलों की वर्तमान आबादी को बनाए रखने के लिए पर्याप्त खाद्य संसाधन हो सकते हैं।

दुनिया भर के संरक्षणकर्ता इस साल अक्टूबर में 22 लाख वर्ग किलोमीटर की रक्षा करने पर विचार कर रहे हैं। स्पष्ट रूप से, दक्षिणी महासागर पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने की किसी भी योजना को इन मतभेदों को ध्यान में रखना चाहिए। जिसका कोई आसान जवाब नहीं है। यह शोध ग्लोबल चेंज बायोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।

कैंटरबरी विश्वविद्यालय के डॉ मिशेल लारु ने कहा ये तथ्य "साक्ष्य हैं कि विभिन्न प्रजातियां जलवायु परिवर्तन से अलग-अलग तरीके से प्रभावित हो रहे हैं। यहां हमारा उद्देश्य यह है कि हम बर्फ से प्यार करने वाली सीलों की आबादी की गिरावट को कम करना चाहते हैं। क्योंकि जलवायु गर्म हो रही है, तो हमें इन प्रजातियों और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की लंबी आयु सुनिश्चित करने के लिए समुद्री संरक्षित क्षेत्रों को अलग करने के लिए अभी से काम करने की आवश्यकता है। 

डॉ. वेज कहते हैं कि हमारे निष्कर्ष इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि कैसे ये समुद्री शिकारी अपने अनूठे पारिस्थितिकी के आधार पर जलवायु परिवर्तन के लिए अलग-अलग प्रतिक्रिया देते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारा अध्ययन एक बार फिर से दिखाता है कि ये प्रजातियां पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में जानकारी कैसे प्रदान कर सकती हैं। वे पहरेदार प्रजातियों के रूप में कितनी मूल्यवान हैं, खासकर तब जब हम समुद्री संरक्षित क्षेत्रों की प्रभावशीलता की निगरानी करने के तरीकों के बारे में सोच रहे होते हैं।

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