शार्क मछलियों पर भी दिखा जलवायु परिवर्तन का असर: शोध

शोधकर्ताओं ने दो अलग-अलग जगह शार्क और उनके बच्चों पर अध्ययन कर पाया कि जलवायु परिवर्तन का असर शार्क और उनके बच्चों को काफी हद तक पड़ता है 

By Dayanidhi

On: Thursday 19 September 2019
 
Photo: Creative commons

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से कोई भी प्राणी अछूता नहीं है। इसी क्रम में रीफ शार्कों पर भी इसका भारी प्रभाव पड़ा है। इससे शार्क के नवजात शिशुओं का विकास रूक रहा है।

वैज्ञानिकों ने दो अलग-अलग वातावरणों में शार्क की एक प्रजाति की वृद्धि और उनके शारीरिक स्थिति की तुलना की और पाया कि बड़े आकार के रीफ शार्क के बच्चों का विकास कम हो रहा है। शार्क अपने वातावरण में हो रहे परिवर्तनों के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं। यह नवीनतम अध्ययन नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

इस शोध टीम में शामिल जेम्स कुक यूनिवर्सिटी में कोरल रीफ स्टडीज के लिए एआरसी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के डॉ. जोडी रोमर ने बताया कि हमने पाया कि मूरिया, फ्रेंच पोलिनेशिया में शार्क के बच्चे न केवल सही अवस्था में पैदा हुए, बल्कि उनका विकास भी सुचारू रूप से हुआ, जबकि सेंट जोसेफ में नवजात शिशुओं का शारीरिक विकास नहीं हो पाया।

मूरिया एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जो अध्ययन के शुरू होने से लगभग पांच साल पहले तक अपने जीवित मूंगा कवर के 95 प्रतिशत तक के नुकसान से उबर रहा है। जबकि सेंट जोसेफ सेशेल्स के बाहरी द्वीपों में एक निर्जन, दूरस्थ और छोटा प्रवाल द्वीप (एटोल) है।

शोध टीम की प्रमुख ओरनेला वेदेली ने बताया कि जन्म के समय, नवजात शिशुओं को अपनी मां से अतिरिक्त वसा भंडार प्राप्त होता है। ये ऊर्जा भंडार शार्क शिशुओं के जन्म के बाद के दिनों और पहले हफ्तों के दौरान उन्हें जीवित रखता है। चूंकि शार्क अपनी माताओं से उस पल से अलग हो जाती हैं जब वे पैदा होते हैं, इसलिए शार्क शिशुओं को ऊर्जा की काफी जरूरत पड़ती है।

546 युवा शार्क पर अध्ययन किया गया। इस दौरान उन्होंने जो खाया था, उसका भी विश्लेषण किया गया। अध्ययन में पाया गया कि युवा शार्क में ऊर्जा भंडार की मात्रा अलग-अलग स्थानों में अलग थी।

डॉ. रोमर ने कहा कि आकार में बड़ी शार्क के बच्चे भी बड़े होते हैं, जैसा कि मूरिया में होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं समझा जाना चाहिए कि बच्चे खाने से ही जल्दी बढ़ते हैं। जबकि, मूरिया के युवा शार्कों ने जल्द ही आकार, वजन खो दिया था। वेदेली ने कहा कि हमारी उम्मीदों के खिलाफ, शुरू में ही मूरिया के युवा शार्क जिन्हें अधिक ऊर्जा भंडार प्राप्त हुआ, उन्होंने अपने जीवन में बाद में भोजन को खोजना शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप उनके शरीर की स्थिति में काफी गिरावट आई।

अध्ययन पूरा होने के बाद बहुत गर्म तापमान के दौरान इस वर्ष की शुरुआत में मूरिया में मूंगों को प्रक्षालित (ब्लीचिंग) किया गया था। डॉ. रोमर का कहना है कि इस क्षेत्र में शार्कों के लिए और कठिन समय आएगा, क्योंकि उनके आस-पास की स्थितियां खराब होती जा रही हैं और पानी का तापमान लगातार बढ़ रहा है।

डॉ. रोमर ने कहा, शार्क को इंसानी हस्तक्षेप से बढ़ रहे तनाव से खतरा होता है, क्योंकि वे अपने वातावरण में हो रहे परिवर्तनों के साथ तालमेल रखने में सक्षम नहीं हो सकते।

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