कॉप 27 के एजेंडे में आधिकारिक तौर पर शामिल की गई नुकसान और क्षति का वित्तपोषण

भारत सहित विकासशील और कमजोर देशों को होने वाले नुकसान और क्षति की भरपाई के लिए वित्तपोषण की मांग लंबे समय से हो रही है

By Jayanta Basu, Dayanidhi

On: Monday 07 November 2022
 

मिस्र के शर्म अल-शेख में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) में पार्टियों के 27वें सम्मेलन (कॉप 27) जारी है। इस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान और क्षति के समाधान के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने संबंधी चर्चा करने के लिए सभी सहमत हो गए हैं।

कॉप 27 सम्मेलन के रेड सी रिसॉर्ट शहर में शुरू होते ही यह निर्णय लिया गया। भारत और बांग्लादेश द्वारा साझा किए गए दुनिया के सबसे बड़े डेल्टा सुंदरवन सहित निचले इलाकों के कमजोर तटीय क्षेत्रों के लिए इसका अहम असर हो सकता है।

नुकसान और क्षति संबंधी धनराशि उन क्षेत्रों और समुदायों की सहायता करने के लिए एक रास्ता है, जो पहले से ही जलवायु में बदलाव से पड़ने वाले गंभीर असर से प्रभावित हो चुके हैं।

यह भारत सहित विकासशील और कमजोर देशों की लंबे समय से मांग रही है। लेकिन विकसित देशों ने अब तक इस प्रक्रिया को रोक कर रखा है।

विकासशील देशों द्वारा पिछले साल ब्रिटेन के ग्लासगो में पार्टियों के 26वें सम्मेलन में इस मुद्दे को आगे बढ़ाया गया था। लेकिन अमेरिका के नेतृत्व में जिसने इस पर रोक लगा रखी थी, आखिरी दिन नुकसान और क्षति के प्रावधान को बातचीत में बदलने में कामयाबी हासिल की।

विकसित देश ग्रीनहाउस गैसों के सबसे बड़े उत्सर्जक हैं, इसलिए उनको धनराशि का बड़ा हिस्सा देने के लिए प्रेरित किए जाने की संभावना है।

उन्होंने अंततः इस मुद्दे पर औपचारिक रूप से चर्चा करने की अनुमति दी क्योंकि विकासशील देशों और सिविल सोसाइटी ने इनकार करने की स्थिति में इसके गंभीर प्रभाव पड़ने की चेतावनी दी थी। इस विषय पर चर्चा दो साल के भीतर पूरी हो जाएगी।

जलवायु वैज्ञानिक सलीमउल हक ने बताया कि यह कॉप 27 के लिए एक बहुत ही स्वागत योग्य शुरुआत है और अब हम औपचारिक तरीके से प्रक्रिया के तौर-तरीकों पर चर्चा कर सकते हैं।

यूनाइटेड किंगडम और अन्य विकसित देशों ने कमोबेश इसे पहले स्वीकार किया था, लेकिन अमेरिका इसे स्वीकार नहीं कर रहा था। सलीमउल हक, एक जलवायु वैज्ञानिक और अल्प विकसित देशों के सलाहकार हैं।

हालांकि, विकसित देशों ने एजेंडे को एक अदला - बदली के साथ स्वीकार किया कि, इसमें उत्सर्जन की ऐतिहासिक जिम्मेदारी से बचने के लिए 'मुआवजा और आर्थिक जिम्मेदारी' का लक्ष्य शामिल नहीं होगा।

Subscribe to our daily hindi newsletter