जलवायु में आए कई बदलाव अब अपरिवर्तनीय: संयुक्त राष्ट्र महासचिव
जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल की रिपोर्ट जारी करने के मौके पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने आह्वान किया कि इस साल के बाद सभी कोयला संयंत्रों को कुछ समय के लिए रोक दिया जाए
On: Monday 09 August 2021
जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) ने 2013 के बाद जारी अपनी रिपोर्ट में 14 हजार वैज्ञानिक पेपरों से इनपुट लिए है और इसे अपनी सबसे बड़ी रिपोर्ट बताया है। आईपीसीसी के कार्यकारी समूह-1 ने भौतिक विज्ञान के आधार पर किए गए छठे मूल्यांकन में जलवायु में आए बदलावों को बेहद डरावना बताया। इसमें कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग कैसे हमारे आज और भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाली है।
पूर्वानुमानों को लेकर अपने बयान में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, ‘ आईपीसीसी कार्यकारी समूह-1 की रिपोर्ट मानवता के लिए खतरे की घंटी है।’ रिपोर्ट जारी होने के समय को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, जब दुनिया के सारे महाद्वीपों को मौसमी घटनाओं ने अपने कब्जे में जकड़ रखा है।
गुटेरेस के मुताबिक, ‘इस घंटी का शोर हमारे कानों को बहुत जोर से सुनाई पड़ रहा है और इससे इनकार करना नामुमकिन है। जीवाश्मों के जलने से उत्सर्जित होने वाली ग्रीनहाउस गैसों और जंगलों के लगातार कटते जाने से दुनिया का दम घुट रहा है और अरबों लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया है। तापमान बढ़ने से धरती का हर इलाका प्रभावित हो रहा है। इनमें से कई बदलाव ऐसे हैं, जो अब अपरिवर्तनीय बन रहे हैं।’
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने रिपोर्ट को दुनिया के लिए ‘खतरनाक ढंग से संकट के करीब’ बताया और धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा, ‘आने वाले समय में हम 1.5 डिग्री सेल्सियस के खतरे के करीब जा रहे हैं। अगर हमें इससे बचना है तो तुरंत अपनी गतिविधियों पर रोक लगानी होगी और मुश्किल रास्ता चुनना होगा। जीवित रहने के लिए हमें फैसला लेना होगा क्योंकि दुनिया पहले ही 1.2 डिग्री सेल्सियस के खतरे के स्तर तक पहुंच चुकी है।’
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने आगे कहा, ‘धरती का तापमान बढ़ने की गति हाल के दशकों में तेज हुई है। तापमान मापने की डिग्री का हर अंक मायने रखता है। ग्रीन हाउस गैसों की सघनता रिकॉर्ड स्तर तक आ चुकी है। जिससे मौसम से जुड़ी घटनाएं और प्राकृतिक दुर्घटनाएं बार- बार और बड़े स्तरों पर हो रही है।’
उन्होंने कहा, ‘सभी देशों, विशेषकर जी-20 और ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों को 2021 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से पहले साथ आने की जरूरत है ताकि ऐसा मंच बने जो शून्य उत्सर्जन के लिए काम करे।’ 26वां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, यूनाइटेड किंगडम की अध्यक्षता में 31 अक्टूबर से 12 नवंबर 2021 तक ग्लासगो शहर में आयोजित होने वाला है।
उनके मुताबिक, ‘’2021 के बाद किसी नए कोयला संयंत्र का निर्माण नहीं होना चाहिए। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, के 35 सदस्य देशों को पहले से मौजूद कोयले का उपयोग 2030 तक कर लेना चाहिए और बाकी देशों को इसका उपयोग 2040 तक करने के लिए उन्हें प्रेरित करना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि 2030 तक सौर और वायु उर्जा को चार गुना करना होगा और इस सदी के मध्य तक हमें नवीनीकरण करने योग्य एनर्जी में निवेश को तीन गुना तक बढ़ाना होगा, तभी हम शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल कर सकेंगे ’