हजारों मील दूर महासागरों की गर्मी से पड़ रहा है दक्षिण-पश्चिमी तिब्बती पठार पर सूखा

शोधकर्ताओं ने तिब्बती पठार पर गर्मियों में होने वाली बारिश के पैटर्न में साल-दर-साल आने वाले बदलावों के कारणों का पता लगाया है।

By Dayanidhi

On: Tuesday 23 March 2021
 
Photo, Wikimedia Commons, Tibetan Plateau

अल नीनो-दक्षिणी कंपन (ईएनएसओ) एक बार-बार होने वाली जलवायु की घटना है जिसमें मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर के ऊपर की हवा और समुद्र की सतह के तापमान में परिवर्तन होता है। यह पृथ्वी पर सबसे महत्वपूर्ण जलवायु गड़बड़ियों में से एक है क्योंकि यह दुनिया भर में वातावरण की हवा के बहाव को बदल सकता है, जिसके कारण दुनिया भर में तापमान और वर्षा में बदलाव हो जाता है।

समुद्र के बढ़ते तापमान के चरण को एल नीनो और ठंडे होते चरण को ला निना के रूप में जाना जाता है।

यहां यह भी बताते चले कि तिब्बती पठार पर पानी का चक्र जिसे "एशियन वॉटर टॉवर" के रूप में जाना जाता है, यह क्षेत्रीय और बहाव के साथ (डाउनस्ट्रीम) जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है।

वैज्ञानिकों ने पाया है कि ईएनएसओ का तिब्बती पठार के जल-जलवायु (हाइड्रोक्लाइमेट) पर प्रभाव पड़ता है, लेकिन यह कैसे काम करता है यह स्पष्ट नहीं है।

चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के इंस्टीट्यूट ऑफ एटमॉस्फेरिक फिजिक्स (आईएपी) की ओर से प्रकाशित एक अध्ययन में हू शुआई, झो तियानजुन और वू बो ने तिब्बती पठार पर गर्मियों में होने वाली बारिश में साल-दर-साल आने वाले बदलावों के कारणों का पता लगाया है। 

उन्होंने पाया कि दक्षिणी पश्चिमी तिब्बती पठार पर गर्मियों में होने वाली बारिश ईएनएसओ के लिए अधिक संवेदनशील थी। एक बनते हुए अल नीनो घटना के दौरान उष्णकटिबंधीय पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में, अंदरूनी यूरेशिया में स्थित दक्षिण-पश्चिमी तिब्बती पठार को आमतौर पर दोनों क्षेत्रों (लगभग 18,000 किमी) के बीच विशाल दूरी होने के बावजूद भी यहां गंभीर सूखे का सामना करना पड़ता है।

विभिन्न स्रोतों से लिए गए आंकड़ों और उनके विश्लेषण के आधार पर, शोधकर्ताओं ने खुलासा किया कि ईएनएसओ द्वारा प्रेरित नियम के विरूद्ध बहने वाली गर्म हवा द्वारा जलवायु संबंधी नमी वाली धाराओं का समय से पहले बदलना, दक्षिण-पश्चिम तिब्बती पठार में हवा की कम गति और वर्षा के लिए जिम्मेदार थी। इस प्रक्रिया में, भारतीय ग्रीष्म मानसून की वर्षा और उष्णकटिबंधीय ट्रोपोस्फेरिक केल्विन लहर ने दोनों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

हू ने कहा मुझे उम्मीद है कि हमारा अध्ययन तिब्बती पठार पर वर्षा के पैटर्न में होने वाले परिवर्तन के पूर्वानुमान लगाने को बेहतर बनाने में मदद करेगा, तिब्बत के पठार के बदलती जल-जलवायु के लिए जिम्मेदार ईएनएसओ से संबंधित वायु और समुद्र के परस्पर प्रभाव को समझने में सहायता मिलेगी।

Subscribe to our daily hindi newsletter