असामान्य रूप से लंबे ला नीना ने 2022 में रिकॉर्ड संख्या में लोगों को विस्थापित किया
आंतरिक विस्थापन पर वैश्विक रिपोर्ट, 2022 के अनुसार भारत में ज्यादातर मौसम से संबंधित आपदाओं ने 2022 में 25 लाख लोगों को विस्थापित किया।
On: Thursday 11 May 2023
आपदाओं के कारण 2021 की तुलना में 2022 में विस्थापित लोगों की संख्या में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र की प्रमुख वार्षिक रिपोर्ट आंतरिक विस्थापन 2023 पर वैश्विक रिपोर्ट (जीआरआईडी-2023) 11 मई को प्रकाशित हुई, जिसमें कहा गया है कि 3.26 करोड़ लोग आपदाओं के कारण विस्थापित हुए थे। आपदा के कारण 98 प्रतिशत विस्थापन की वजह बाढ़ और तूफान जैसी मौसम संबंधी घटनाएं रहीं। जीआरआईडी-2023 के अनुसार, "2016 के बाद पहली बार तूफानों से भी ज्यादा प्रबल बाढ़ रही, 10 में से 6 आपदा विस्थापन का कारण बाढ़ बनी।" भारत ने 25 लाख विस्थापन के साथ चौथा सबसे बड़ा आपदा विस्थापन आंकड़ा दर्ज किया। 2022 में सर्वाधिक विस्थापन पाकिस्तान में 81 लाख रहा जबकि दूसरे स्थान पर फिलीपींस ने 54 लाख विस्थापन की सूचना दी, वहीं 36 लाख के साथ चीन तीसरे स्थान पर और 24 लाख विस्थापन के कारण नाइजीरिया के साथ पांचवें स्थान पर है। जीआरआईडी-2023 रिपोर्ट में विशेष रूप से मौसम से संबंधित आपदाओं में बढोत्तरी के लिए तीन साल लंबे "ला नीना" को जिम्मेदार ठहराता है। आईडीएमसी की रिपोर्ट कहती है, "(यह) काफी हद तक ला नीना के प्रभाव का परिणाम है जो लगातार तीसरे साल जारी रहा।" ला नीना मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में अल नीनो दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) घटना के सामान्य चरण की तुलना में ठंडा है। "ट्रिपल-डिप" ला नीना ने दुनिया भर में व्यापक आपदाएं पैदा कीं। आपदाओं ने 31 दिसंबर 2022 तक 88 देशों और क्षेत्रों में आंतरिक रूप से 87 लाख लोगों को विस्थापित किया। रिपोर्ट में कहा गया है, "(इससे) पाकिस्तान, नाइजीरिया और ब्राजील सहित देशों में बाढ़ से विस्थापन का रिकॉर्ड स्तर बढ़ गया है।" पाकिस्तान में, बाढ़ ने वैश्विक आपदा विस्थापन के एक चौथाई के लिए लाखों लोगों को विस्थापित किया। इस घटना ने "सोमालिया, इथियोपिया और केन्या में रिकॉर्ड पर सबसे खराब सूखे का कारण बना और जिसने 21 लाख मूवमेंट को ट्रिगर किया।” हाल के वर्षों में, संघर्ष और हिंसा के ऐतिहासिक रूप से प्रमुख कारणों की तुलना में आपदाएं अधिक लोगों को विस्थापित कर रही हैं। जलवायु परिवर्तन जनित मौसम से संबंधित आपदाएँ होती हैं जो लोगों के बड़े पैमाने पर आंतरिक विस्थापन कराती हैं। इन विस्थापन करने वालों को हम प्रचलित रूप में "जलवायु शरणार्थी" कहते हैं। जब से आईडीएमसी ने 2018 में आपदा प्रवाह (सूखे को छोड़कर) की निगरानी शुरू की और इसकी रिपोर्ट 2019 में प्रकाशित हुई, आपदा से प्रभावित जनसंख्या का समूह लगातार बढ़ रहा है। 2018 के अंत तक आपदाओं से विस्थापित लगभग 16 लाख लोग अब भी अपने घरों से दूर या शिविरों में हैं। आईडीएमसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 तक 3.07 करोड़ नए विस्थापन आपदाओं के कारण हुए हैं। आईडीएमसी के कार्यक्रमों के प्रमुख क्रिस्टेल कजाबत कहते हैं, "जब से हमने इस तरह के डेटा को एकत्रित किया है, आपदा विस्थापन बार-बार बढ़ रहा है और अधिक देशों से भी रिपोर्ट किया जा रहा है - 2022 में लगभग 150 देशों और क्षेत्रों ने इस तरह के विस्थापन की सूचना दी।" 2022 में, उप-सहारा अफ्रीका ने 1.65 करोड़ आंतरिक विस्थापन दर्ज किए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है। लेकिन इस 17 फीसदी की वृद्धि को आपदा विस्थापन की संख्या में तीन गुना वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। 74 लाख पर, इस क्षेत्र ने आपदाओं के कारण अब तक का सबसे अधिक विस्थापन दर्ज किया। जीआरआईडी-2023 ने कहा, “नाइजीरिया ने 24 लाख आपदा विस्थापन दर्ज किए, जो एक दशक में सबसे अधिक और 2022 में उप-सहारा अफ्रीका में सबसे अधिक था। यह वृद्धि ज्यादातर जून और नवंबर के बीच गंभीर बाढ़ का परिणाम थी।” पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में ला नीना का प्रभाव अलग तरह से महसूस किया गया। इस क्षेत्र में आपदाओं के कारण औसत विस्थापन से कम दर्ज किया गया - 2021 में 1.37 करोड़ की तुलना में 2022 में लगभग 1.01 करोड़ विस्थापन हुए। रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया के अधिकांश हिस्सों में कम तीव्र बारिश और चक्रवात के मौसम का अनुभव हुआ और कम संबंधित विस्थापन दर्ज किए गए। दक्षिण एशिया क्षेत्र में, 2022 में 1.25 करोड़ आपदा विस्थापन दर्ज किए गए। यह इस क्षेत्र के लिए 63 लाख (पिछले दशक के औसत) के वार्षिक औसत से दोगुना है। "वृद्धि ज्यादातर मानसून के मौसम में पाकिस्तान में हुई गंभीर और व्यापक बाढ़ का परिणाम थी।" दूसरी ओर संघर्ष और हिंसा के कारण हुए विस्थापन में 2021 के स्तर से 95 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। क्षेत्रों के कुल आपदा विस्थापन में बाढ़ का योगदान 90 प्रतिशत है। पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। पिछले साल पाकिस्तान की बाढ़ असाधारण थी और इसे एक सदी में सबसे गंभीर बाढ़ कहा गया। कुल मिलाकर, 2022 में सुरक्षा और आश्रय की तलाश में आने वाले लोगों की संख्या अभूतपूर्व थी। रिपोर्ट में कहा गया है, "6.9 करोड़ का आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में 60 प्रतिशत अधिक था।" 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण युद्ध से विस्थापित लोगों की संख्या में वृद्धि हुई। जीआरआईडी-2023 के अनुसार, यूक्रेन युद्ध के कारण 1.69 करोड़ लोगों का विस्थापन हुआ - "यह किसी भी देश के लिए अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा रहा।" संघर्ष और हिंसा से जुड़े विस्थापनों की संख्या लगभग दोगुनी होकर 2.83 करोड़ हो गई। जीआरआईडी-2023 रिपोर्ट के फॉरवर्ड में नॉर्वे शरणार्थी परिषद के महासचिव जान ईगीलैंड ने लिखा कि “हमने पहले कभी इस पैमाने पर आंतरिक विस्थापन दर्ज नहीं किया है। 2022 के अंत तक लगभग 7.11 करोड़ लोग आंतरिक विस्थापन में रह रहे थे, 2021 की तुलना में एक तेज वृद्धि, ज्यादातर यूक्रेन में संघर्ष का परिणाम है, लेकिन यह भी संघर्षों और आपदाओं के कारण है जो हर साल लाखों लोगों को उखाड़ फेंकते हैं। 2022 में समग्र आंतरिक विस्थापन 2021 के आंकड़े से 20 प्रतिशत अधिक था और यह अब तक की सबसे अधिक संख्या है।