संकट में हैं नदी किनारे रह रहे 30 करोड़ लोग

घनी आबादी वाले डेल्टा, जहां नदियां समुद्र से मिलती हैं, विशेष रूप से गर्म-मौसम के कारण भयानक बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं

By Dayanidhi

On: Thursday 01 October 2020
 
Photo: wikimedia commons

लगभग पिछले 7 हजार वर्षों से हम नदी के तटों (डेल्टा) के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं। ज्यादातर सभ्यताएं नदी के तटों के आसपास विकसित हुई, क्योंकि नदी और समुद्र की उपजाऊ मिट्टी, प्रचुर मात्रा में खाद्य पदार्थों को अर्जित करने में सहायक है। साथ ही, नदी अथवा समुद्र के माध्यम से आसान परिवहन ने शहरी अर्थव्यवस्था और जीवन शैली को बढ़ावा दिया, लेकिन यह परिस्थिति आज बहुत बदल गई है।

शोधकर्ताओं ने कहा है कि नदी के निचले इलाकों में रहने वाले 30 करोड़ से अधिक लोग उष्णकटिबंधीय तूफान के कारण आने वाली बाढ़ की चपेट में आएंगे। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ये तूफान और अधिक घातक और विनाशकारी हो सकते हैं। इस तरह की बाढ़ का सामना ज्यादातर गरीब देश करेंगे।

बाढ़ के मैदानों में रहने वाले लोगों का जीवन सदी में आने वाले चक्रवातों की वजह से बुरी तरह प्रभावित होता हैं। इन चक्रवातों से हवाओं की गति 350 किलोमीटर (200 मील) प्रति घंटे और हर दिन एक मीटर (40 इंच) से अधिक बारिश हो सकती है। यह रिपोर्ट नेचर कम्युनिकेशन्स में प्रकाशित हुई है।

गर्म महासागरों और वायुमंडल में अधिक नमी का मतलब है कि ये शक्तिशाली तूफान अधिक लगातार सकते हैं। ऐसे तूफान आएंगे कि शायद ही कभी अतीत में क्षेत्र में रहने वाले लोगों ने उनकी भयानक शक्ति को देखा हो।

घनी आबादी वाले डेल्टा, जहां नदियां समुद्र से मिलती हैं, विशेष रूप से गर्म-मौसम के कारण भयानक बाढ़ की चपेट में जाते हैं। इस तरह के शक्तिशाली तूफान गर्मियों में दुनिया भर के प्रमुख महासागरों में आते हैं और फिर टकरा जाते हैं।

ऐसे में, नीति निर्माताओं को केवल बढ़ते तापमान को धीमा करने के तरीकों के बारे में पता लगाना चाहिए, बल्कि पहले से ही जलवायु प्रभावों के लिए तैयार रहना चाहिए। हालांकि अब तक दुनिया के चक्रवातों से नदी के तटों (डेल्टा) में रहने वाली आबादी कितनी और किस तरह प्रभावित होगी, इसका सटीक रूप से पता नहीं था, जिससे इनसे निपटने के लिए आगे की योजना बनाना मुश्किल हो गया। 

इंडियाना विश्वविद्यालय के एक भू-विज्ञानी डगलस एडमंड्स ने कहा, हम जिस बड़े सवाल का जवाब ढूढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, वह यह है कि लोग नदी के तट (डेल्टा) पर किस तरह रहते हैं और तट की बाढ़ उन्हें किस तरह प्रभावित करती है।

यह पता लगाने के लिए एडमंड्स और उनके सहयोगियों ने दुनिया भर के 2174 तटों (डेल्टा) के बारे में पता लगाया। और हिसाब लगाया कि 39.9 करोड़ लोग तटों की सीमाओं के अंदर रहते हैं। उनमें से 1 करोड़ लोग विकासशील और कम विकसित देशों के हैं

तीन-चौथाई से अधिक लोग केवल 10 नदी घाटियों में निवास करते हैं, जिनमें गंगा-ब्रह्मपुत्र शामिल हैं। 10.5 करोड़ लोग गंगा-ब्रह्मपुत्र और 4.5 करोड़ लोग नील नदी के डेल्टा में रहते हैं। डेल्टा शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि पृथ्वी के द्रव्यमान का केवल 0.5 प्रतिशत भूमि पर कब्जा है, लेकिन यह ग्रह में रहने वाले लोगों की आबादी का लगभग पांच प्रतिशत का घर हैं।

एडमंड ने कहा कि हमें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि 100 साल के उष्णकटिबंधीय चक्रवात बाढ़ के मैदानों में रहने वाले लोगों की बड़ी संख्या वाले अधिकांश तटों (डेल्टा) का तलछट (सेडीमेंट) समाप्त होने के कगार पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि यह बढ़ते समुद्र स्तर और बड़े तूफानों के कारण हो रहा है, जो बहुत बुरी खबर है।

जब समुद्र का स्तर बढ़ जाता है, तो डेल्टा का आकार सिकुड़ने या तलछट से खाली जगह भर जाती है। लेकिन अधिकांश गाद और तलछट जो कभी कृषि भूमि को समृद्ध करते थे और समुद्र के ज्वार की वृद्धि के खिलाफ प्राकृतिक तौर पर सुरक्षा करते थे, अब लगभग सभी प्रमुख नदी प्रणालियों में बांधों के निर्माण से यह सब अवरुद्ध हो गया है।

एडमंड ने कहा इसका मतलब है कि तलछट के जमा होने से प्राकृतिक तरीके से समस्या का समाधान संभव नहीं है, यह देखते हुए कि समाधान के लिए अक्सर अन्य सामग्री द्वारा जगह को भर दिया जाता है।  विशेषज्ञों के अनुसार जकार्ता का एक तिहाई हिस्सा, 3 करोड़ लोगों के घर सन 2050 तक डूब सकते हैं। एडमंड ने कहा कि तटीय बाढ़ से निपटने के लिए इस मामले में एकमात्र विकल्प जटिल इंजीनियरिंग उपाय है।

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