ब्रिटेन में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक संभव

ब्रिटेन के मौसम विभाग द्वारा कराया गए अध्ययन का आंकलन

By DTE Staff

On: Thursday 02 July 2020
 
Photo: pxfuel

ब्रिटेन के मौसम विभाग ने कहा कि यदि उत्सर्जन पर अंकुश नहीं लगाया जाता है तो देश का हर तीसरे या चौथे साल में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। ब्रिटेन में जुलाई, 2019 में कैम्ब्रिज में 38.7 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया था, तब कई सवाल उठ खड़े हुए थे। यह बात ब्रिटेन के मौसम विभाग द्वारा कराए गए अध्ययन में सामने आई है।

हाल ही में ब्रिटेन के मौसम विभाग द्वारा किया गया अध्ययन जर्नल नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है। इसमें सुझाव दिया गया है कि यदि पेरिस जलवायु समझौते के अनुरूप उत्सर्जन कम हो जाता है, तो भविष्य में संभावनाएं सही दिशा की ओर बढ़ेंगी। अन्यथा स्थिति पर नियंत्रण पाना मुश्किल हो जाएगा। अध्ययन के अनुसार अगर उत्सर्जन मध्यम भी रहा तो वर्ष 2100 तक 40 डिग्री सेल्सियस के आंकड़े तक पहुंचने की समयसीमा घटकर 15 साल ही रह जायेगी।

अध्ययन के प्रमुख लेखक निकोलस क्रिस्टिडिस ने कहा, हमने पाया है कि ब्रिटेन में बहुत अधिक गर्म दिनों की संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, यह एक खतरनाक संकेत है। यही  नहीं उन्होंने कहा कि भविष्य में इस सदी के दौरान भी ऐसा बारंबार होता रहेगा। उनके अनुसार इंग्लैंड के दक्षिण-पूर्व में अधिकांश चरम तापमान देखे जाने की उम्मीद है। अध्ययन में यह भी बताया गया है कि 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का तापमान होना अब इस क्षेत्र में तेजी से आम बात होते जा रही है।

विश्लेषण से पता चलता है कि 1960 और 2019 के बीच देश के दक्षिण-पूर्व के कुछ हिस्सों में, वर्ष के सबसे गर्म दिनों के दौरान प्रत्येक दशक में 1 डिग्री सेल्सियस की तापमान वृद्धि हुई है। अध्ययन में कहा गया है कि 2100 तक देश के उत्तर में कई क्षेत्र हैं, जहां 30 डिग्री सेल्सियस तापमान ही कभी- कभार होता है। ऐसे में यदि उत्सर्जन कम नहीं हुआ तो इस क्षेत्र का तापमान इस सीमा को प्रति दशक कम से कम एक बार पार कर सकता है। यह एक खतरनाक बात होगी।

ध्यान रहे कि दुनिया में हाल के वर्षों में चरम मौसम की घटनाओं में तेजी से वृद्धि देखी गई है। इसमें बताया गया है कि व्यापक रूप से रूस का साइबेरिया क्षेत्र (निकट आर्कटिक सर्कल) ने जून, 2020 में अपना अधिकतम तापमान दर्ज किया है। हीटवेव और जंगल की आग के कारण 2019 में दुनिया भर के कई देशों द्वारा जलवायु आपात स्थिति घोषित की गई थी। दूसरी ओर दक्षिण-एशिया के निचले इलाकों में चक्रवातों में वृद्धि का सामना करना पड़ा है।

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