क्या ग्रीनलैंड के भालू बदलती जलवायु का मुकाबला बेहतर तरीके से कर रहे हैं?

ग्रीनलैंड के ये भालू अन्य आर्कटिक भालुओं की तुलना में पतले होते हैं, जिनमें मादाओं का वजन लगभग 185 किलोग्राम होता है, जबकि उत्तरी आर्कटिक की मादाओं का वजन 199 से 255 किलोग्राम तक हो सकता है।

By Dayanidhi

On: Wednesday 22 June 2022
 

आर्कटिक समुद्री बर्फ के गायब होने के कारण ध्रुवीय भालू की प्रजातियां अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। इनके साथ, ग्रीनलैंड के भालुओं का एक नया विशिष्ट समूह एक बर्फीले स्थान पर रह रहे हैं। यह सबसे दूर वाला इलाका है जहां भविष्य में इनकी आबादी के और भी कम होने की आशंका है।

वैज्ञानिकों ने बताया कि इन लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए जीवन जीना लगातार कठिन होता जा रहा है, ये बहुत दूर रहने वाले जीव लंबे समय से जलवायु परिवर्तन से कड़ा मुकाबला कर रहे हैं।

वैज्ञानिकों ने बताया कि उनकी टीम ने दक्षिणपूर्व ग्रीनलैंड में कुछ 100 ध्रुवीय भालुओं के एक समूह पर नजर रखी, जिनको देखने से पता चलता है कि वे आनुवंशिक तथा भौगोलिक रूप से दूसरों से अलग हैं, कुछ ऐसा जिसे पहले नहीं माना जाता था। लेकिन जो वास्तव में अलग है वह यह है कि ये भालू साल में केवल 100 दिन जीवित रहने का प्रबंधन करते हैं, जब वहां सील का शिकार करने के लिए समुद्री बर्फ होती है।

दुनिया में कहीं और, ध्रुवीय भालू को अपने शिकार के आधार के रूप में उपयोग करने के लिए कम से कम 180 दिन या आमतौर पर अधिक समुद्री बर्फ की आवश्यकता होती है। जब समुद्री बर्फ नहीं होती है तो भालू अक्सर महीनों तक खाना नहीं खाते हैं।

इस नए अध्ययन के मुताबिक, सीमित समुद्री बर्फ के साथ, जो जमा हुआ समुद्र का पानी है, ये दक्षिण पूर्व ग्रीनलैंड के ध्रुवीय भालू, ग्रीनलैंड की सिकुड़ती बर्फ की चादर से बने मीठे पानी के हिमखंडों का उपयोग अस्थायी शिकार के मैदान के रूप में करते हैं। हालांकि वैज्ञानिकों को यकीन नहीं है कि वे फल-फूल रहे हैं क्योंकि वे छोटे हैं और अन्य ध्रुवीय भालू आबादी की तुलना में कम हैं।

प्रमुख अध्ययनकर्ता क्रिस्टिन लैड्रे ने कहा ये ध्रुवीय भालू ऐसे वातावरण में रहने के लिए अनुकूलित हैं जो भविष्य की तरह दिखता है। लैड्रे वाशिंगटन विश्वविद्यालय में ध्रुवीय भालू जीवविज्ञानी हैं, जिन्होंने नौ साल से अधिक समय तक सभी सफेद भालू पर नजर रखी, कॉलर लगाया और उनका परीक्षण किया।

उन्होंने कहा लेकिन आर्कटिक में अधिकांश भालुओं के पास ग्लेशियर वाली बर्फ नहीं है। उनके पास इस तक पहुंच भी नहीं है। इसलिए इसे संदर्भ से बाहर नहीं किया जा सकता है जैसे कि यह आर्कटिक के चारों ओर ध्रुवीय भालू के लिए एक जीवन बेड़ा जैसा है।

लैड्रे ने कहा हमने आर्कटिक में ध्रुवीय भालू की आबादी में बड़ी गिरावट का अनुमान लगाया है और यह अध्ययन उस महत्वपूर्ण संदेश को नहीं बदलता है। यह अध्ययन दिखाता है कि हम इस अनोखी जगह में रहने वाले इस अलग समूह को देख सकते हैं। उन्होंने कहा हम देख रहे हैं कि आर्कटिक ध्रुवीय भालू एक प्रजाति के रूप में कहां-कहां रह सकते हैं।

सह-अध्ययनकर्ता ट्विला मून ने कहा कि सदियों में मीठे पानी से बनी बर्फ की चादर एक सीमित समय के लिए उम्मीद देती है, एक ऐसी जगह है जहां ध्रुवीय भालू जीवित रह सकते हैं। लेकिन यह गर्मियों में समुद्री बर्फ के नुकसान की समग्र प्रवृत्ति से अलग है। मून नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर के उप प्रमुख वैज्ञानिक हैं।

मून ने कहा ये भालू ग्लेशियर के ताजे बर्फ में शिकार करते हैं जिसमें समुद्री बर्फ की तुलना में अधिक चोटियां और घाटियां होती हैं, अक्सर इनका आकर घर या कार के के समान होता है, जिन्हें बर्गी बिट्स कहा जाता है।

ध्रुवीय भालुओं की यह आबादी, विशाल द्वीप के दक्षिण-पूर्वी सिरे पर है, जहां कोई कस्बा नहीं है। वर्षों से वैज्ञानिकों को लगा कि ये भालू पूर्वोत्तर ग्रीनलैंड में एक ही आबादी का हिस्सा थे, बस बड़े पैमाने पर तट के ऊपर और नीचे घूम रहे थे। लिड्रे ने कहा लेकिन ऐसा नहीं है, उन्होंने कहा कि 64 डिग्री उत्तर के आसपास हवाओं, धाराओं और भौगोलिक विशेषताओं का एक असामान्य परिस्थिति भालुओं के लिए उस बिंदु के उत्तर की ओर बढ़ना असंभव बना देता है, करंट उन्हें तेजी से दक्षिण में भेजता है।

अध्ययन में कहा गया है की अधिकांश भालू चार दिनों में 40 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं, जबकि दक्षिण पूर्व ग्रीनलैंड के भालू एक ही समय में लगभग 10 किलोमीटर चलते हैं। लैड्रे ने कहा वे बस सालों तक एक ही स्थान पर रहते हैं।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सांताक्रूज विकासवादी आनुवंशिकीविद् और सह-अध्ययनकर्ता बेथ शापिरोने कहा कि आनुवंशिक परीक्षण लैड्रे और उनके सहयोगियों ने दिखाया कि वे पृथ्वी पर ध्रुवीय भालू की आबादी की किसी भी अन्य जोड़ी की तुलना में पड़ोसी आबादी से बहुत अलग हैं।

कभी-कभी, कहीं और से एक भालू दक्षिण पूर्व भालू के साथ प्रजनन करता है, लेकिन शापिरो ने कहा कि यह दुर्लभ है और केवल एक तरफ है जिसमें कोई भालू उत्तर की ओर नहीं जाता है और उस आबादी के साथ प्रजनन नहीं करता है।

लैड्रे ने बताया कि सामान्य तौर पर ये भालू अन्य आर्कटिक भालुओं की तुलना में पतले होते हैं, जिनमें मादाओं का वजन लगभग 185 किलोग्राम होता है, जबकि उत्तरी अमेरिकी आर्कटिक के कहीं और की मादाओं का वजन 199 से 255 किलोग्राम तक हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि उनके पास कम शावक भी होते हैं, ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि वे इतने अलग-अलग हैं और उन्हें संभोग के उतने अवसर नहीं मिलते हैं।

लिड्रे ने कहा क्योंकि इस समूह का पहले अध्ययन नहीं किया गया था, इसलिए यह बताना असंभव है कि क्या दक्षिण पूर्व ग्रीनलैंड के ध्रुवीय भालुओं की आबादी अभी कम होती है और इनके कम शावक हैं या क्या ये एक तनावग्रस्त आबादी के रूप में देखी जा सकती है। जो कि इनके जीवित रहने के लिए एक अच्छा संकेत नहीं है।

शापिरो ने कहा वे अन्य भालुओं की तरह प्रजनन नहीं कर रहे हैं। वे अन्य प्रजातियों की तरह स्वस्थ नहीं हैं जिनके पास रहने के लिए बेहतर आवास हैं। तो यह शायद एक ओऐसिस या अच्छी जगह की तरह है, लेकिन यह एक खुशगवार जगह नहीं है।

वैज्ञानिक स्टीव एमस्ट्रुप ने कहा कि उन्हें चिंता है कि लोग इस शोध को गलत तरीके से समझेंगे, जिसका अर्थ है कि ध्रुवीय भालू जलवायु परिवर्तन के अनुकूल हो सकते हैं, जब यह एक छोटे समूह के बारे में है बने रहने की उनकी क्षमता का विस्तार करते हुए, यह जोड़ते हुए कि यह निवारण नहीं करता है।

हालांकि यह समूह अलग है, उन्होंने कहा कि उन्हें डर है कि इस पर ध्यान देने से वास्तव में उस प्राकृतिक अलगाव को कम किया जा सकता है जिसका वे वर्तमान में आनंद लेते हैं। यह अध्ययन जर्नल साइंस में प्रकाशित हुआ है।

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