जलवायु और टेक्टोनिक्स ने बदला हिमालयी ग्लेशियर का मार्ग

भारतीय शोधकर्ताओं ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के अपर काली गंगा घाटी में एक अनाम ग्लेशियर में बदलाव देखा गया है।

By DTE Staff

On: Friday 26 November 2021
 

भारतीय शोधकर्ताओं ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के अपर काली गंगा घाटी में एक अनाम ग्लेशियर पर शोध में पाया कि उक्त ग्लेशियर ने तेजी से अपना मुख्य रास्ता बदला है।

शोध के मुताबिक, संभवतः पहली बार हिमालयी ग्लेशियर में ऐसा बदलाव देखा गया है और शोधकर्ताओं का मानना है कि जलवायु व टेक्टोनिक्स के दोहरे प्रभाव के चलते ऐसा हुआ होगा।

इस ग्लेशियर के व्यवहार में इस तरह का बदलाव इस बात का संकेत है कि ग्लेशियल कैचमेंट को न केवल जलवायु बल्कि टेक्टोनिक्स भी प्रभावित करता है। हाल ही में ऋषिगंगा में आई आपदा इसका ताजा उदाहरण है।

इस आपदा से संकेत मिलता है कि ग्लेशियर जिस चट्टान पर अवस्थित था, वो समय के साथ कमजोर और अपने स्रोत चट्टान से अलग हो गया। इससे साफ पता चलता है कि हिमालय एक सक्रिय पर्वत श्रृंखला है और जहां टेक्टोनिक्स व जलवायु अहम किरदार निभाता है, वहां ये श्रृंखला कमजोर है।

भारत सरकार के विज्ञान व तकनीकी विभाग के अधीन स्वायत्त संस्था वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी), देहरादून (उत्तराखंड) के विज्ञानियों ने ये अध्ययन किया है। जियोसाइंस जर्नल में प्रकाशित ये अध्ययन रिमोट सेंसिंग और पुराने सर्वे मैप के आधार पर तैयार किया गया है। शोध के बाद विज्ञानी इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि एक्टिव फाॅल्ट और जलवायु परिवर्तन के चलते ग्लेशियर प्रभावित हुआ।

डब्ल्यूआईएचजी की टीम ने पाया कि लगभग 20000 साल पहले 5 किलोमीटर लम्बे अनाम ग्लेशियर, जो कुथी यंक्ती घाटी में 4 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, ने अपना मुख्य मार्ग बदल लिया और पास के ग्लेशियर में मिल गया। विज्ञानियों का कहना है कि ऐसा पूर्व में कभी नहीं देखा गया।

इस अध्ययन ने ग्लेशियर को लेकर होने वाले शोधों खासकर ग्लेशियर के मार्ग बदलने और ग्लेशियल-टेक्टोनिक की गतिविधियों से उभरने वाली नई जमीन को लेकर के लिए होने वाले शोधों के लिए नया दरवाजा खोला है।

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