बदलती जलवायु के चलते यूरोप में और अधिक तीव्र होंगी मौसम संबंधी घटनाएं: अध्ययन

ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन के चलते सदी के अंत तक, धीमी गति से चलने वाले तीव्र बारिश के तूफान 14 गुना तक बढ़ सकते हैं

By Dayanidhi

On: Monday 19 July 2021
 

ग्लोबल वार्मिंग के चलते वायुमंडल में अधिक नमी की वजह से बारिश में अत्यधिक वृद्धि हो सकती है। क्योंकि गर्म हवा अधिक नमी को धारण करती है। अब यूके के न्यूकैसल विश्वविद्यालय और मौसम विभाग के एक नए अध्ययन में पाया गया है कि तेजी से बदलती जलवायु, धीमी गति से चलने वाले तूफानों को बढ़ा रही है।

जलवायु में बदलाव के चलते पूरे यूरोप में भयंकर बारिश और तूफान की घटनाएं किस तरह हो रही है, जलवायु विशेषज्ञों ने इसकी जांच की है। उन्होंने दिखाया कि धीमी गति से होने वाली बारिश भी अब भयंकर रूप धारण कर रही है और भविष्य में इसमें बहुत भारी वृद्धि होने के आसार हैं।

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ये धीमी गति से चलने वाले तूफान सदी के अंत तक पूरे देश में लगातार 14 गुना बढ़ सकते हैं। धीमी गति से चलने वाले तूफानों में बहुत अधिक पानी जमा करने की क्षमता होती है, जिनके बरसने पर विनाशकारी प्रभाव पड़ते हैं, जैसा कि हाल में जर्मनी और बेल्जियम में देखा गया था।  

न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के डॉ अब्दुल्ला कहरमन की अगुवाई में, शोधकर्ताओं ने बहुत विस्तृत जलवायु मॉडल सिमुलेशन का उपयोग किया। उन्होंने पाया कि धीमी गति के तूफान स्थानीय आधार पर होने वाली वर्षा की मात्रा को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। जिससे पिछले अध्ययनों के आधार पर पूरे यूरोप में भयंकर बाढ़ (फ्लैश फ्लड) का खतरा बढ़ जाता है।

अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि तीव्र बारिश पैदा करने वाले तूफान जलवायु परिवर्तन के साथ धीमी गति से आगे बढ़ सकते हैं, जिससे इनकी चरम सीमाओं के संपर्क की अवधि बढ़ जाती है। डॉ. अब्दुल्ला कहरमन ने कहा सुपर कंप्यूटर की शक्ति से हालिया प्रगति के साथ, अब हमारे पास पैन-यूरोपीय जलवायु सिमुलेशन हैं, जो मौसम संबंधी वातावरण के बारे में पता लगा सकते हैं।

उन्होंने कहा हम कम दूरी के मौसम पूर्वानुमान मॉडल का उपयोग करते हैं। मॉडल में लगभग 2 किमी का दायरा होता है, जो उन्हें तूफान प्रणालियों का बेहतर ढंग से आकलन करने में मदद करता है। जिसके परिणामस्वरूप चरम मौसम संबंधी सीमाओं का बेहतर तरीके से पता लगाया जा सकता है।   

अध्ययनकर्ता ने बताया है कि उन्होंने इन अत्याधुनिक जलवायु सिमुलेशन का उपयोग करते हुए, भारी वर्षा के संभावित मामलों को निकालने के लिए मैट्रिक्स विकसित किए हैं। मैट्रिक्स की मदद से समस्या के बारे में जानकारी ली जा सकती है और हमें यह समझने में मदद करते हैं कि वातावरण के कौन से कारक हैं जो बारिश को भारी बारिश में बदलने के लिए जिम्मेवार हैं।  

इस तरह की भारी वर्षा प्रणालियों की गति में बदलाव के बारे में पता लगाने वाला यह पहला अध्ययन है, जो बाढ़ के खतरे को बढ़ाने वाले एक महत्वपूर्ण पहलू के बारे में पता लगाता है। उन्होंने कहा कि आज हम खतरनाक मौसम के बारे में पूर्वानुमान लगाने के साथ जलवायु सिमुलेशन के आंकड़ों की जांच करके अन्य तरह के चरम मौसम की भी जांच कर रहे हैं।

न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हेले फाउलर ने कहा कि दुनिया भर की सरकारों ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में तेजी नहीं दिखाई जिसके चलते ग्लोबल वार्मिंग का तेजी से बढ़ना जारी है। इस अध्ययन से पता चलता है कि तूफान में अत्यधिक बदलाव महत्वपूर्ण होंगे और वो इनके बढ़ने का कारण बनेंगे जिसकी वजह से पूरे यूरोप में विनाशकारी बाढ़ के बार-बार आने के आसार हैं।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा यूरोप में वर्तमान में आई बाढ़ सबके लिए एक जगाने वाली घटना है, जिसे हमें बेहतर आपातकालीन चेतावनी और प्रबंधन प्रणालियों के साथ जोड़ना होगा। साथ ही जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा कारकों को हमारे बुनियादी ढांचे में लागू करने की आवश्यकता है। ताकि उन्हें इन गंभीर मौसम की घटनाओं के लिए और अधिक मजबूत बनाया जा सके।

मौसम विभाग में साइंस फेलो और ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लिज़ी केंडन ने कहा इस अध्ययन से पता चलता है कि ग्लोबल वार्मिंग के साथ वर्षा की तीव्रता के अलावा, हम धीमी गति से चलने वाले तूफानों में भी बड़ी वृद्धि देख सकते हैं। इन तूफानों में बहुत अधिक पानी जमा होता है। जैसा कि जर्मनी और बेल्जियम में हाल ही में देखा जा सकता है, जो धीमी गति से चलने वाले तूफानों के विनाशकारी प्रभावों को उजागर करता है।

जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि अधिक उत्सर्जन के चलते आरसीपी8.5 परिदृश्य के तहत सदी के अंत तक धीमी गति से चलने वाले तीव्र बारिश के तूफान 14 गुना अधिक बार हो सकते हैं। यह उन गंभीर प्रभावों को दर्शाता है जो हम पूरे यूरोप में देख सकते हैं। यह बढ़ता रहेगा जब तक कि हम ग्रीन हाउस गैसों के अपने उत्सर्जन पर अंकुश नहीं लगाते हैं।

यूरोप में तीव्र आंधी तूफान का आना अचंभे की बात हैं, सामान्यतया यहां ऐसा नहीं होता है और भूमध्य सागर के कुछ हिस्सों में शायद ही कभी इस तरह की घटनाएं हुई हों। अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि तीव्र वर्षा की घटनाओं में भविष्य में होने वाले परिवर्तनों का सटीक पूर्वानुमान लगाना, जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को सीमित करने के लिए इससे निपटने की योजनाओं को लागू करना इन सबसे बचने का प्रमुख उपाय है।

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