ग्लोबल वार्मिंग के कारण पारिस्थितिक तंत्र पहले की तुलना में अधिक मीथेन का उत्पादन करेंगे

लंदन के क्वीन मैरी विश्वविद्यालय और वारविक विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किए गए शोध ने 11 वर्षों तक कृत्रिम तालाबों के तापमान के प्रभाव को देखने के लिए प्रयोग किए

By Dayanidhi

On: Tuesday 30 June 2020
 
photo: wikipedia

नए शोध से पता चलता है कि पृथ्वी के प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र के गर्म होने से  मीथेन का उत्सर्जन बढ़ जाएगा। जैसे ताजे पानी का तापमान बढ़ने से यह अकेले ही अनुमान से अधिक मीथेन जारी करेगा।

अध्ययन में बताया गया है कि यह अंतर मीथेन उत्सर्जन को नियंत्रित करने वाले पारिस्थितिक तंत्रों के भीतर सूक्ष्मजीव (माइक्रोबियल) समुदायों के संतुलन में बदलाव होने के कारण है। यह अध्ययन नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित हुआ है।

पारिस्थितिक तंत्र से मीथेन के उत्पादन और उत्सर्जन को दो प्रकार के सूक्ष्मजीवों, मीथेनोजेन्स द्वारा नियंत्रित किया जाता है। जो स्वाभाविक रूप से मीथेन का उत्पादन करते हैं। मीथेनोट्रोफ़्स जो मीथेन को कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित करके हटाते हैं। पिछले शोध से पता चाल है कि ये दो प्राकृतिक प्रक्रियाएं तापमान के प्रति अलग संवेदनशीलता दिखाती हैं और इसलिए ग्लोबल वार्मिंग से अलग तरह से प्रभावित हो सकती हैं।

लंदन के क्वीन मैरी विश्वविद्यालय और वारविक विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किए गए शोध ने 11 वर्षों तक कृत्रिम तालाबों के तापमान के प्रभाव को देखने के लिए प्रयोग किए। जिसमें ताजे पानी के सूक्ष्मजीव (माइक्रोबियल) समुदायों और मीथेन उत्सर्जन पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव का अध्ययन किया गया। उन्होंने पाया कि तापमान के कारण मीथेन उत्पादन में वृद्धि हुई। परिणामस्वरूप मीथेन उत्सर्जन में तापमान-आधारित अनुमानों से अधिक वृद्धि हुई।

क्वीन मैरी में बायोकेमिस्ट्री के प्रोफ़ेसर मार्क ट्रिमर ने कहा कि हमारे अध्ययन से पता चलता है कि मीथेन उत्सर्जन में वृद्धि, तापमान वृद्धि के आधार पर जो अनुमान लगाया गया था उससे बहुत अधिक है। लंबे समय तक रहने वाली गर्मी, ताजे पानी के पारिस्थितिक तंत्र के अंदर मीथेन के उत्सर्जन को नियंत्रित करने वाले माइक्रोबियल समुदाय का संतुलन भी बदल देती है। इसलिए माइक्रोबियल अधिक मीथेन का उत्पादन करते हैं जबकि आनुपातिक रूप से कार्बन डाइऑक्साइड का ऑक्सीकरण कम होता है। चूंकि मीथेन कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है, इसलिए ये प्रभाव इन पारिस्थितिक तंत्रों से निकलने वाली कार्बन गैसों से ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ोत्तरी कर रही है।

प्रयोगों से पता चलता है कि दुनिया भर में आर्द्रभूमि, जंगलों और घास के मैदानों से मीथेन उत्सर्जित होती है। इनसे उत्सर्जित होने वाली मीथेन पर उपलब्ध आंकड़ों का एक विश्लेषण किया गया। विश्लेषण से पता चलता है कि स्वाभाविक रूप से गर्म पारिस्थितिक तंत्र अधिक मीथेन का उत्पादन करते हैं।

प्रोफेसर ट्रिमर ने कहा कि हमारे परिणामों से पता चलता है कि जैसे-जैसे ग्लोबल वार्मिंग के माध्यम से पृथ्वी का तापमान बढ़ेगा, तो प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र लगातार वातावरण में अधिक मीथेन जारी करेंगे।

वारविक में माइक्रोबियल इकोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. केविन पुर्डी ने कहा: हमारे अध्ययन से पता चलता है कि ग्लोबल वार्मिंग कैसे ताजे पानी से मीथेन उत्सर्जन को प्रभावित कर सकती है। इसका मतलब है कि भविष्य के मीथेन उत्सर्जन के अनुमानों को ध्यान में रखना होगा। भविष्य में तापमान से पारिस्थितिक तंत्र और पृथ्वी पर रहने वाले सूक्ष्मजीव समुदाय बदल जाएंगे, जिससे मीथेन उत्सर्जन भी बढ़ेगा।

मीथेन एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है जिसमें बहुत अधिक ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने की क्षमता है। 40 प्रतिशत से अधिक मीथेन ताजे पानी जैसे वेटलैंड्स, झीलों और नदियों से जारी होती है, जो वैश्विक मीथेन उत्सर्जन में प्रमुख है।

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