समुद्र के तटीय इलाकों में 50 गुना तक बढ़ सकता है बाढ़ का खतरा: अध्ययन

वैज्ञानिकों का मानना है कि समुद्र के तटीय हिस्सों में आने वाली बाढ़ की घटनाओं से उष्णकटिबंधीय देश अधिक प्रभावित होंगे

By Dayanidhi

On: Monday 21 June 2021
 
Photo : Wikimedia Commons

जलवायु परिवर्तन और मानवजनित दबावों के चलते समुद्र के तटीय इलाकों में बाढ़ में वृद्धि की आशंका है। हाल ही में किए गए एक नए अध्ययन में वैश्विक स्तर पर होने वाले तटीय ओवरटॉपिंग का अनुमान लगाया गया है। इस अध्ययन में न केवल समुद्र के स्तर में वृद्धि के बारे में बताया गया है, बल्कि तूफानों में वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।

इस अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया भर में पिछले दो दशकों में हर साल ओवरटॉपिंग के घंटों में लगभग 50 फीसदी की वृद्धि हुई है। ओवरटॉपिंग: यह वृद्धि मुख्य रूप से समुद्र के स्तर में वृद्धि और समुद्र के ज्वार, तूफान की लहरों के साथ मिलने के कारण होती है। समुद्र के स्तर में वृद्धि, ज्वार, तूफान की लहरों के मिलने से बढ़े हुए जल स्तर ने पिछले दो दशकों में प्राकृतिक और कृत्रिम तटीय संरक्षण की जरुरत को लगभग 50 फीसदी तक बढ़ा दिया है। 

शोधकर्ताओं ने उपग्रह डेटा और डिजिटल मॉडल को जोड़कर देखा कि समुद्र के स्तर, लहरों में वृद्धि की वजह से तटों पर पानी का स्तर (ओवरटॉपिंग) बढ़ गया है। इसके परिणामस्वरूप उष्णकटिबंधीय इलाको में बाढ़ का खतरा अधिक उत्सर्जन वाले ग्लोबल वार्मिंग परिदृश्यों के तहत 50 गुना तक बढ़ सकता है।

निचले तटीय क्षेत्र या समुद्र के किनारे वाले इलाकों में दुनिया की लगभग 10 फीसदी आबादी रहती है। इन इलाकों में कटाव और बढ़ते समुद्र स्तर के अलावा, इनके अनूठे पारिस्थितिक तंत्र को विनाशकारी खतरों का सामना करना पड़ रहा है। जिसमें जल स्तर में बेहताशा वृद्धि के चलते प्राकृतिक, कृत्रिम सुरक्षा को तोड़ते हुए समय-समय पर आने वाली बाढ़ शामिल है। जैसा कि 2005 में अमेरिका में तूफान कैटरीना आने की वजह से हुआ था। 2013 में एशिया में टाइफून हैयान जो कि अब तक का सबसे बड़ा उष्णकटिबंधीय चक्रवात था।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण इन जैसी घटनाओं के और अधिक गंभीर और अधिक लगातार होने की आशंका है। इस सब का कुछ हद तक कारण मानवजनित दबाव भी है, जैसे तटीय और बुनियादी ढांचे के विकास, तेजी से बढ़ता शहरीकरण आदि। हालांकि इन घटनाओं की परिमाण और आवृत्ति अनिश्चित बनी हुई है, वैज्ञानिकों का मानना है कि उष्णकटिबंधीय देश इस तरह की घटनाओं से विशेष रूप से प्रभावित होंगे।

समुद्र के तटीय स्तर को निर्धारित करने में समुद्र की लहरों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, तटीय बाढ़ में उनके योगदान को पहले काफी हद तक अनदेखा कर दिया गया था। इसका मुख्य कारण तटीय स्थलाकृतिक की सटीक जानकारी में कमी होना बताया गया है।

इस अध्ययन में, फ्रांस के इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च फॉर डेवलपमेंट (आईआरडी), द नेशनल सेंटर फॉर स्पेस स्टडीज (सीएनईएस), सहित कई देशों के सहयोगियों के साथ मिलकर समुद्र के स्तर के नए अनुमानों के साथ सतह की ऊंचाई के लिए एक अभूतपूर्व वैश्विक डिजिटल मॉडल को जोड़ा गया है। बढ़ते जल स्तरों में ज्वार, हवा से चलने वाली तरंगों का विश्लेषण और प्राकृतिक और कृत्रिम तटीय सुरक्षा के मौजूदा माप शामिल हैं।

दुनिया भर में 1993 से 2015 के बीच बाढ़ या जलमग्न होने की बढ़ती घटनाओं की मात्रा को निर्धारित करके अध्ययन किया गया है। इसे आगे बढ़ाने के लिए, तटीय स्थलाकृति के लिए दो प्रमुख मापदंडों को पूरा करने के लिए उपग्रह से लिए गए आंकड़ों उपयोग किया गया था, जिसमें स्थानीय समुद्र तट की ढलान और तटों की अधिकतम ऊंचाई शामिल है। तटीय जल के चरम स्तर की गणना घंटे के अनुसार की गई, ताकि संभावित वार्षिक घंटों की संख्या की पहचान की जा सके।

आईआरडी में तटीय गतिकी के शोधकर्ता राफेल अलमार कहते हैं की बड़ी लहरों, ज्वार और इसके आने का एक ही समय तटीय जल स्तर क बढ़ने में मुख्य भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा हमने हॉट-स्पॉट की पहचान की, जहां वृद्धि हुई थी उन जगहों पर ओवरटॉपिंग का खतरा बहुत अधिक है, जैसे कि मैक्सिको की खाड़ी, दक्षिणी भूमध्यसागरीय, पश्चिम अफ्रीका, मेडागास्कर और बाल्टिक सागर में। यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है।

वैज्ञानिकों ने विभिन्न समुद्र-स्तर में वृद्धि के परिदृश्यों को ध्यान में रखते हुए, 21वीं सदी में तटीय ओवरटॉपिंग का प्रारंभिक वैश्विक मूल्यांकन भी किया। परिणाम बताते हैं कि समुद्र के स्तर में वृद्धि की औसत दर की तुलना में ओवरटॉपिंग की गति हर घंटे तेजी से बढ़ सकती है।

ओवरटॉपिंग की आवृत्ति तेजी से बढ़ रही है और जलवायु परिदृश्य की परवाह किए बिना, 2050 की शुरुआत में स्पष्ट रूप से बहुत अधिक होगी। सदी के अंत तक इसकी तीव्रता ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के आधार पर होगी इसलिए समुद्र के स्तर में वृद्धि इन सब कारकों पर निर्भर करेगी।

राफेल अलमार चेतावनी देते हुए कहा कि अधिक उत्सर्जन परिदृश्य के मामले में, वैश्विक स्तर पर ओवरटॉपिंग घंटों की संख्या मौजूदा स्तरों की तुलना में पचास गुना बढ़ सकती है। जैसा कि हम 21वीं सदी के साथ आगे बढ़ते हैं, अधिक से अधिक क्षेत्रों को ओवरटॉपिंग के कारण से तटीय बाढ़, विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय देशों में बढ़ जाएगी।  

Subscribe to our daily hindi newsletter