कॉप-26: सात साल से लगातार बढ़ रही है धरती पर गर्मी: विश्व मौसम संगठन

रिपोर्ट के मुताबिक समुद्र का स्तर 2100 तक दो मीटर या छह फीट से अधिक हो सकता है, जिसके चलते दुनिया भर में लगभग 63 करोड़ लोगों के विस्थापित होने के आसार हैं।

By Dayanidhi

On: Monday 01 November 2021
 
फोटो :विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ)

विश्व मौसम विज्ञान संगठन की ग्लोबल क्लाइमेट 2021 रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सात साल (2015-21) अब तक के सबसे गर्म साल हो सकते हैं

संयुक्त राष्ट्र के कॉप 26 जलवायु शिखर सम्मेलन की शुरुआत हो गई है। जलवायु रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से होने वाले ग्लोबल वार्मिंग के चलते वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसके दूरगामी परिणाम होंगे।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने वर्ष के पहले नौ महीनों के आंकड़ों के आधार पर कहा कि 2021 रिकॉर्ड पर पांचवें से सातवें सबसे गर्म वर्ष के बीच रहने के आसार हैं। ला-नीना की घटना जिसने साल की शुरुआत में तापमान को कम किया था, इसके ठंडे प्रभाव के बावजूद भी गर्मी में बढ़ोतरी हुई है।

समुद्र के गर्म होने और अम्लीकरण के चलते, दुनिया भर में समुद्र स्तर में वृद्धि 2013 से बढ़कर 2021 में एक नए ऊचाई के स्तर पर पहुंच गई है। रिपोर्ट में कई संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, राष्ट्रीय मौसम विज्ञान और जल विज्ञान सेवाओं और वैज्ञानिक विशेषज्ञों के सुझावों को जोड़ा गया है। यह खाद्य सुरक्षा और जनसंख्या विस्थापन पर पड़ने वाले असर, पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचाने और सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में कम होती प्रगति पर प्रकाश डालती है।

डब्ल्यूएमओ के मुताबिक 2021 के लिए औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में लगभग 1.09 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। पिछले 20 वर्षों (2002-2021) में पहली बार औसत तापमान 19वीं शताब्दी के मध्य में 1 डिग्री सेल्सियस की सीमा से अधिक हो गया, जब मानव ने औद्योगिक पैमाने पर जीवाश्म ईंधन का उपयोग करना शुरू किया।

2015 के पेरिस समझौते में देशों को ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने पर सहमती बनी थी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने रिपोर्ट के बारे में बताते हुए कहा कि समुद्र की गहराई से लेकर पहाड़ की चोटी तक, ग्लेशियरों के पिघलने से लेकर लगातार चरम मौसम की घटनाओं तक, पारिस्थितिकी तंत्र और दुनिया भर के लोगों को तबाही की ओर ले जा रहा है।

उन्होंने कहा कि कॉप 26 जलवायु शिखर सम्मेलन लोगों और धरती के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ होना चाहिए। डब्ल्यूएमओ ने पाया कि 2021 के लिए औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में लगभग 1.09 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

उन्होंने कहा कि तब से दुनिया ने कई मौसम संबंधी आपदाओं को देखा है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और साइबेरिया में रिकॉर्ड तोड़ जंगल की आग, उत्तरी अमेरिका में एक हजार साल में एक बार होने वाली हीट वेव और एशिया, अफ्रीका, अमेरिका और यूरोप में भारी बाढ़ का कारण बनने वाली अत्यधिक वर्षा शामिल है। 

डब्लूएमओ के महासचिव पेटेरी तालस ने कहा कि यह चरम घटनाओं के नए मानदंड हैं। इस बात के बढ़ते वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि इनमें से कुछ मानवजनित जलवायु परिवर्तन के कारण हैं।

जलवायु रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ता तापमान, चरम मौसम, ग्लेशियर पीछे हटने और बर्फ पिघलने सहित धरती के स्वास्थ्य की एक तस्वीर उभर कर सामने आई है। डब्लूएमओ ने कहा कि समुद्र द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड के अवशोषण के कारण महासागर अम्लीकरण कम से कम 26,000 वर्षों में सबसे अधिक पाया गया। इसके चलते आने वाले समय में महासागरों के अधिक सीओ2 लेने की क्षमता कम हो जाएगी।

इस बीच, समुद्र के स्तर में वृद्धि मुख्य रूप से गर्म समुद्र के पानी के विस्तार और जमीन की बर्फ के पिघलने के कारण एक नई ऊंचाई पर थी। ब्रिस्टल ग्लेशियोलॉजी सेंटर के निदेशक जोनाथन बम्बर ने कहा कि रिपोर्ट चौंकाने वाली और परेशान करने वाली है। उन्होंने कहा कि इससे पहले समय बीत जाए, दुनिया के नेताओं को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि वर्तमान ट्रेजेक्टरी या प्रक्षेपवक्र के आधार पर, समुद्र का स्तर 2100 तक दो मीटर या छह फीट से अधिक हो सकता है, जो दुनिया भर में लगभग 63 करोड़ लोगों को विस्थापित कर सकता है। अब प्रत्येक राष्ट्र और राज्य के नेताओं को जलवायु में बदलाव को सीमित करने के लिए व्यापक स्तर पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

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