क्या आर्कटिक के गर्म होने के पीछे सहारा से उठने वाली धूल का तूफान है

अध्ययन के अनुसार जून 2020 में आर्कटिक समुद्री-बर्फ का आवरण कम था, धूल ने इसमें अहम भूमिका निभाई, इस तरह के पैटर्न एक गर्म होती दुनिया में अधिक होते हैं तो भविष्य में धूल के प्रकोप में वृद्धि होगी।

By Dayanidhi

On: Monday 07 December 2020
 

धूल पृथ्वी के वायुमंडल का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसका व्यापक प्रभाव मानव स्वास्थ्य से लेकर जलवायु तक पर पड़ता है। सहारा रेगिस्तान दुनिया भर में धूल का सबसे बड़ा स्रोत है और जून 2020 में यहां से अमेरिका में सबसे बड़े और घने धूल का बादल पहुंचा जिसने अब तक के रिकॉर्ड को तोड़ दिया था । यूका सैन डिएगो में स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशिनोग्राफी के वायुमंडलीय वैज्ञानिक अमातो इवान और उनके सहयोगियों ने उन स्थितियों के बारे में पता लगाया है जब 2020 में यह तूफान आया था, कुछ शोधकर्ताओं ने इस धूल के तूफान को "गॉडज़िला" नाम दिया था।

जून 2020 के धूल के तूफान ने अपने आकार और इसकी एयरोसोल ऑप्टिकल गहराई के संदर्भ में रिकॉर्ड बनाया। उपग्रहों के द्वारा इसकी मोटाई निर्धारित की गई थी। यह 6,000 मीटर की ऊंचाई पर पहुंच गया था। अटलांटिक महासागर के ऊपर कुछ स्थानों में, इसकी मोटाई दोगुना थी जो जून के महीने के दौरान उपग्रह रिकॉर्ड के इतिहास के दौरान दर्ज की गई थी।

संयुक्त अरब अमीरात में खलीफा विश्वविद्यालय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रमुख इवान और सहयोगियों ने धूल के तूफान की भयावहता को एक प्रकार के उच्च दबाव प्रणाली के विकास द्वारा स्थापित स्थितियों के लिए जिम्मेदार ठहराया। इसने पश्चिम अफ्रीका पर उत्तर-दक्षिण दबाव को बढ़ा दिया था, जिससे उत्तर-पूर्वी हवाएं लगातार तेजी से बह रही थी। सहारा पर उत्तरी हवाओं के तेज होने से जून 2020 की दूसरी छमाही में कई दिनों तक लगातार धूल का उत्सर्जन होता रहा।

शोधकर्ताओं ने पाया कि उपोष्णकटिबंधीय को एक परिधि तरंग में, हवा पैटर्न की एक श्रृंखला में जोड़ दिया गया था जो कि ग्रह के चारों ओर फैला हुआ था और उत्तरी गोलार्ध में जून 2020 तक मौजूद था। यह तरंग दैर्ध्य जून 2020 में रिकॉर्ड की गई आर्कटिक समुद्री बर्फ सीमा के कमी के कारण भी हो सकता है। माना जाता है कि आर्कटिक क्षेत्र के गर्म होने से मध्य अक्षांशों और उपग्रहों में हवा के पैटर्न में बदलाव होता है और मौसम की गंभीर घटनाएं होती हैं, हालांकि इस अवधारणा को लेकर वैज्ञानिकों में विवाद है।

फ्रांसिस ने कहा अफ्रीकी तट से उपोष्णकटिबंधीय उच्च विकास में धूल के उत्सर्जन और उष्णकटिबंधीय अटलांटिक के पार धूल के हवा में तेजी से पश्चिम की ओर जाने में दोनों की भूमिका थी। अधिक तेजी से दक्षिण के और बहने वाली हवा, अफ्रीकी ईस्टर जेट को तेज करती है, जो लगभग पांच किलोमीटर (3.2 मील) की ऊंचाई पर सहारा के ऊपर मौजूद एक जेट स्ट्रीम है, जो तेजी से धूल को कैरेबियन और दक्षिण अमेरिका की ओर ले जाता है। यह अध्ययन जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

दुनिया भर में हवा के माध्यम से फैलने वाली धूल के असंख्य परिणाम होते हैं, जो मौसम से लेकर विमान यात्रा तक सब कुछ प्रभावित करते हैं। धूल के स्रोत से हजारों मील दूर महाद्वीपों पर मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाते हैं। धूल महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे कि लोहा और अन्य खनिजों के साथ-साथ महासागर पारिस्थितिक तंत्र को भी प्रदान करता है। धूल को अटलांटिक महासागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवात गतिविधि का प्रभाव सतह के तापमान पर इसके प्रभाव के माध्यम से भी माना जाता है। माना जाता है कि धूल की चादर से समुद्र की सतह से सूर्य की रोशनी वापस चली जाती है जिससे यह ठंडा हो जाता है, जो चक्रवात के लिए उपलब्ध ऊर्जा की मात्रा को कम कर देता है।

हालांकि इस बात का एक बड़ा सबूत मिला है जिसमें कहा गया है कि अटलांटिक पर धूल में वृद्धि हुई है, जो वहां उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की संख्या को कम कर सकते हैं, मुख्य रूप से समुद्र की सतह का तापमान धूल के माध्यम से ठंडा हो जाता है। इवान ने कहा कि इस साल हमने सबसे बड़ा धूल का तूफान देखा, साथ ही साथ यह रिकॉर्ड पर सबसे सक्रिय तूफान में से एक है। 2020 सिर्फ एक ऐसा साल है जहां सब कुछ उल्टा हो रहा है, या हमें वास्तव में हमारी समझ का मूल्यांकन करने की आवश्यकता है कि धूल उस जलवायु प्रणाली को कैसे प्रभावित करती है।

टीम ने कहा कि यह अध्ययन का मुख्य उद्देश्य गॉडज़िला धूल के तूफान की गति को बढ़ाने वाले वेवट्रेंट पैटर्न का पता लगाना, जो 2010 में आए धूल के तूफान के समान था जब आर्कटिक महासागर में समुद्री बर्फ काफी हद तक कम हो गई थी।

अध्ययन के निष्कर्ष के अनुसार, जैसा कि जून 2020 में आर्कटिक समुद्री-बर्फ का आवरण कम था, जो कि उपग्रह द्वारा अवलोकन किए गए अवधि में सबसे कम पाया गया। धूल ने बड़े पैमाने पर विसंगतिपूर्ण पैटर्न में अहम भूमिका निभाई हो। इस प्रकार, अगर इस तरह के पैटर्न एक गर्म होती दुनिया में अधिक सामान्य हो जाते हैं, तो भविष्य में चरम धूल के प्रकोप में वृद्धि होने के आसार हैं।

विसंगति (अनामली) पैटर्न का अध्ययन इस बात को दिखाता है कि आर्कटिक उन हवाओं की भूल भुलैया में से एक है, जो एक सीधी दिशा में कम या ज्यादा तेज बहती है। कभी-कभी हवा का पैटर्न आर्कटिक के दक्षिण में नीचे चले जाते हैं, जिससे संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में असाधारण ठंड होती है।

हालांकि एक गर्म आर्कटिक महासागर के प्रभाव के बारे में शोधकर्ताओं के बीच विवाद है। कुछ लोगों का तर्क है कि यह क्रम उलटा है, जो हवा के पैटर्न को बदल रहे हैं, जिससे आर्कटिक चारों ओर से गर्म हो रहा है। दूसरों का मानना है कि वर्षों के दौरान देखे गए पैटर्न जब समुद्र की बर्फ कम हो जाती है, तब भी प्राकृतिक परिवर्तनशीलता की सीमा के भीतर होते हैं, क्योंकि यह ग्लोबल वार्मिंग के कारण बदलाव का विरोध करता है।

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