जलवायु परिवर्तन के कारण महासागरों में बढ़ जाएंगे तूफान

अध्ययन में पाया गया कि वैश्विक उत्सर्जन पर अंकुश नहीं लगाया गया तो समुद्रों में चरम लहरों की आवृत्ति और परिमाण में 10 प्रतिशत तक की वृद्धि होगी

By Dayanidhi

On: Friday 12 June 2020
 
Photo: Pixabay

 

एक गर्म होते ग्रह में अगले 80 वर्षों में तेज तूफानी हवाओं के कारण बड़े और अधिक लगातार चरम लहरें आएंगी। नए शोध के अनुसार इस तरह की लहरों की वृद्धि दक्षिणी महासागर में सबसे अधिक होगी। 

मेलबर्न विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने विभिन्न वायु स्थितियों के तहत पृथ्वी की बदलती जलवायु का विश्लेषण किया है। चरम घटनाओं की भयावहता और आवृत्ति (फ्रीक्वन्सी) का मूल्यांकन करने के लिए उन्होंने हजारों नकली तूफानों का पुन: निर्माण किया है।

अध्ययन में पाया गया कि यदि वैश्विक उत्सर्जन पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो व्यापक समुद्री क्षेत्रों में चरम लहरों की आवृत्ति और परिमाण में 10 प्रतिशत तक की वृद्धि होगी। यह अध्ययन साइंस एडवांसेज नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

इसके विपरीत, शोधकर्ताओं ने पाया कि उन जगहों पर ये घटनाएं काफी कम होगी और लहरों में भी वृद्धि नहीं होगी, जहां जीवाश्म ईंधन पर  निर्भरता और उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हों। दोनों परिदृश्यों में, चरम लहरों में परिमाण और आवृत्ति में सबसे बड़ी वृद्धि दक्षिणी महासागर में होगी।

यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न इन्फ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग के शोधकर्ता प्रोफेसर इयान यंग ने चेतावनी दी है कि अधिक तूफान और चरम लहरों के परिणामस्वरूप समुद्र का स्तर बढ़ जाएगा और इससे जानमाल को नुकसान होगा।

प्रोफेसर यंग ने कहा कि दुनिया भर में लगभग 29 करोड़ लोग उन क्षेत्रों में पहले से ही रहते हैं जहां हर साल बाढ़ आने के आसार अधिक हैं।

चरम लहर की घटनाओं के जोखिम में वृद्धि भयावह हो सकती है, क्योंकि बड़े और अधिक लगातार तूफान, अधिक बाढ़ और तटवर्ती/किनारों के कटाव का कारण बनेंगे।

यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न पोस्टडॉक्टोरल फेलो इन ओसियन वेव मॉडलिंग और प्रमुख शोधकर्ता अल्बर्टो मेउची ने कहा कि अध्ययन से पता चलता है कि दक्षिणी महासागर क्षेत्र में 21 वीं शताब्दी के अंत तक दुनिया भर में खासकर ऑस्ट्रेलियाई, प्रशांत और दक्षिण अमेरिकी समुद्र तटों पर संभावित प्रभाव के साथ चरम लहरों के आने की आशंका अधिक है।

मेउची ने कहा अगर हम वैश्विक तटरेखाओं को नुकसान की गंभीरता को कम करना चाहते हैं, तो हमें स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ाना होगा। हम इसके माध्यम से उत्सर्जन में कमी कर सकते हैं। इस तरह की घटनाओं मे कमी लाने के लिए हमें अपने ग्रह के तापमान को सीमा के अंदर रखना होगा। समुद्र के नजदीक रहने वाले करोड़ों लोगों को इन घटनाओं से जानमाल का नुकसान होने, पलायन से उनको बचाया जा सकता हैं।

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