2022 में दर्ज किया गया इतिहास का पांचवा सबसे गर्म मार्च, सामान्य से 0.95 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था तापमान
भारत के लिए भी इस वर्ष मार्च का महीना 122 वर्षों के इतिहास में सबसे गर्म मार्च था, जब अधिकतम तापमान 33.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था
On: Tuesday 19 April 2022
तापमान में होती वृद्धि नित नए कीर्तिमान बना रही है। ऐसा ही कुछ मार्च 2022 में भी देखने को मिला जब बढ़ते तापमान ने उसे मानव इतिहास के पांच सबसे गर्म मार्च के महीनों में शामिल कर दिया। गौरतलब है कि मार्च 2016 इतिहास का सबसे गर्म मार्च का महीना था, जब तापमान 20वीं सदी के औसत से 1.31 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया था।
इसी तरह मार्च 2020 में तापमान सामान्य से 1.17 डिग्री सेल्सियस, मार्च 2019 में 1.09 डिग्री सेल्सियस, मार्च 2017 में 1.08 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
इस बारे में नेशनल ओसेनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन (एनसीईआई) द्वारा जारी रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले माह मार्च के महीने में तापमान 20वीं सदी के औसत तापमान (12.7 डिग्री सेल्सियस) से करीब 0.95 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था, जो उसे 143 वर्षों के क्लाइमेट रिकॉर्ड में पांचवा सबसे गर्म मार्च का महीना बनाता है।
वैश्विक तापमान में होती वृद्धि किस कदर हावी है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि यह लगातार 46वां मौका है जब मार्च का तापमान 20 वीं सदी के औसत तापमान से ज्यादा है। वहीं यदि सभी महीनों की बात करें तो यह लगातार 447वां महीना था जब तापमान 20वीं सदी के औसत तापमान से ज्यादा था।
यदि क्षेत्रीय आधार पर देखें तो इस साल ओशिनिया में इतिहास का चौथा सबसे गर्म मार्च रिकॉर्ड किया गया था जबकि एशिया के लिए यह नौवां सबसे गर्म मार्च का महीना था। इसी तरह उत्तरी एवं दक्षिण अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका सभी में मार्च का तापमान औसत से ज्यादा था, लेकिन इनमें से किसी भी महाद्वीपों में मार्च 2022 का महीना 10 सबसे गर्म मार्च के महीनों में शामिल नहीं था।
122 वर्षों के इतिहास में भारत में दर्ज किया गया सबसे गर्म मार्च
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार यदि मार्च के अधिकतम तापमान के लिहाज से देखें तो इस वर्ष मार्च का महीना इतिहास का सबसे गर्म मार्च था जब अधिकतम तापमान 33.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था जोकि सामान्य से 1.86 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था।
वहीं यदि औसत तापमान के हिसाब से देखें तो मार्च 2022, 2010 के बाद इतिहास का दूसरा सबसे गर्म मार्च था जब तापमान सामान्य से 1.6 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया था। इसी तरह यदि जनवरी से मार्च के औसत वैश्विक तापमान को देखें तो वो सामान्य से 0.88 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था जो उसे रिकॉर्ड का पांचवा सबसे गर्म साल बनाता है। एशिया में भी इन तीन महीनों का औसत तापमान पांचवा सबसे गर्म था।
वहीं दक्षिण अमेरिका, यूरोप, कैरिबियन क्षेत्र और ओशिनिया में जनवरी से मार्च का औसत तापमान उसे नौवीं सबसे गर्म अवधि बनाता है। हालांकि अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका में तापमान सामान्य से ज्यादा था, लेकिन यह क्रमशः 2012 और 2014 के बाद से उनका अब तक का सबसे ठंडा वर्ष था।
यदि आर्कटिक और अंटार्कटिका में जमा बर्फ की बात की जाए तो उनके लिए भी यह महीना अच्छा नहीं रहा। जहां अंटार्कटिक में इस माह समुद्री बर्फ की हद सिर्फ 10.9 लाख वर्ग मील दर्ज की गई थी, जोकि 44 वर्षों के इतिहास में दूसरी बार है जब मार्च के महीन में बर्फ की सीमा इतनी कम है। गौरतलब है कि इससे पहले मार्च 2017 में बर्फ की सीमा इतनी कम थी।
वहीं आर्कटिक में इस साल औसतन 50.6 वर्ग मील क्षेत्र में बर्फ जमा थी, जो 1979 के बाद से आर्कटिक में मार्च के महीने में जमा बर्फ की नौवीं सबसे छोटी सीमा है। रिकॉर्ड के मुताबिक वैश्विक स्तर पर मार्च 2022 में नौ उष्णकटिबंधीय तूफान सामने आए थे। मार्च 1994 के बाद इतिहास में यह दूसरा मौका है जब किसी मार्च के महीने में इतने ज्यादा तूफान सामने आए हैं।