गर्मी और बारिश की चरम सीमा में हुई अभूतपूर्व वृद्धि

शोध के मुताबिक पिछले दशक में वर्षा की औसतन 4 में से 1 चरम घटना के लिए जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार है

By Dayanidhi

On: Monday 11 October 2021
 

साल 2020 को दुनिया भर में तीव्र चरम मौसम की घटनाओं के लिए जाना जाता है। जिसमें लू या हीट वेव और जंगल में लगने वाली आग, भारी वर्षा के बाद बाढ़ और एक रिकॉर्ड तोड़ने वाला अटलांटिक तूफान का मौसम शामिल है।  

वैज्ञानिकों ने आंकड़ों के आधार पर पता लगाया है कि 1951 से 1980 की तुलना में पिछले दस वर्षों में मासिक गर्मी की चरम घटनाओं में 90 गुना वृद्धि हुई है। विश्लेषण से पता चलता है कि 3-सिग्मा गर्मी की घटनाएं, जो किसी दिए गए क्षेत्र में सामान्य से अधिक बदल रही हैं। अब यह औसतन किसी भी समय सारे भूमि क्षेत्र का लगभग 9 फीसदी को प्रभावित करती हैं। यहां बताते चलें कि 'सिग्मा' शब्द का अर्थ जिसे वैज्ञानिक एक मानक विचलन कहते हैं।

चरम बारिश की घटनाओं में भी भारी वृद्धि हुई है। पिछले दशक में औसतन 4 में से 1 वर्षा की चरम घटना के लिए जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आज पहले से ही, मानवजनित जलवायु परिवर्तन से जुड़ी घटनाएं अपने चरम स्तर पर हैं और उनके और बढ़ने की आशंका जताई गई है।

स्पेन में मैड्रिड के कॉम्प्लूटेंस विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता अलेक्जेंडर रॉबिन्सन ने कहा कि चरम मौसम की सीमाओं के लिए, जिसे 4-सिग्मा-इवेंट कहा जाता है। जो पहले लगभग कभी नहीं देखे गए हैं, हम इस अवधि की तुलना में उनमें लगभग 1000 गुना वृद्धि देख रहे हैं।

इस तरह की चरम घटनाओं ने 2011 से 20 में हर महीने वैश्विक भूमि क्षेत्र का लगभग 3 प्रतिशत हिस्से को प्रभावित किया। उन्होंने कहा हम अब चरम सीमाएं देख रहे हैं जो जीवाश्म ईंधन के जलने से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव के बिना लगभग असंभव हैं।

उदाहरण के लिए, 2020 साइबेरिया और ऑस्ट्रेलिया दोनों में लंबे समय तक लू या हीट वेव की घटनाएं हुई। जिसने दोनों क्षेत्रों में जंगल की विनाशकारी आग को जन्म दिया। 2021 में अमेरिका और कनाडा के कुछ हिस्सों में जानलेवा स्तर पर तापमान लगभग 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।

दुनिया भर में, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रिकॉर्ड तोड़ने वाली गर्मी की चरम सीमा सबसे अधिक बढ़ी, क्योंकि इनमें सामान्य रूप से मासिक तापमान में कम परिवर्तनशीलता होती है। जैसे-जैसे तापमान में वृद्धि होगी, मध्य और उच्च अक्षांश क्षेत्रों में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी भी अधिक सामान्य हो जाएगी।

4 में से 1 चरम वर्षा की घटना के लिए जलवायु परिवर्तन जिम्मेवार

रोजाना बारिश का रिकॉर्ड भी बढ़ा है। ग्लोबल वार्मिंग के बिना जलवायु में क्या उम्मीद की जानी चाहिए, इसकी तुलना में नमी वाले रिकॉर्ड की संख्या में लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसका तात्पर्य यह है कि 4 में से 1 रिकॉर्ड मानवजनित जलवायु परिवर्तन के कारण है। इसकी भौतिक पृष्ठभूमि जिसे क्लॉसियस-क्लैपेरॉन संबंध कहा जाता है, जिसमें कहा गया है कि हवा गर्म होने पर प्रति डिग्री सेल्सियस 7 प्रतिशत अधिक नमी धारण कर सकती है।

पहले से ही शुष्क क्षेत्रों जैसे कि पश्चिमी उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में वर्षा में कमी देखी गई, जबकि मध्य और उत्तरी यूरोप जैसे नमी वाले क्षेत्रों में बारिश में भारी वृद्धि देखी गई है। आम तौर पर अत्यधिक बारिश होने या चरम सीमा तक बढ़ने से सूखे की समस्या को कम करने में मदद नहीं मिलती है। यह शोध क्लाइमेट एंड एटमोस्फियरिक साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

तापमान में बहुत कम वृद्धि का भी बड़ा असर

2000 से 2010 के पहले से ही काफी चरम घटनाओं के साथ पिछले दशक के नए आंकड़ों की तुलना करते हुए, विश्लेषण से पता चलता है कि 3-सिग्मा श्रेणी की चरम गर्मी से प्रभावित भूमि क्षेत्र लगभग दोगुना हो गया है। इस तरह की घटनाएं पहले देखने को नहीं मिली थीं। पिछले एक दशक में वर्षा के रिकॉर्ड में 5 प्रतिशत की और वृद्धि हुई है। पिछले दस वर्षों में केवल 0.25 डिग्री सेल्सियस में मामूली रूप से बढ़ते तापमान ने जलवायु की चरम सीमाओं को काफी हद तक बढ़ा दिया है।

पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के सह-शोधकर्ता स्टीफन रहम स्टॉर्म कहते हैं कि इन विश्लेषणों से पता चलता है कि चरम सीमाएं अब ऐतिहासिक अनुभव से बहुत बाहर हो गई हैं। अत्यधिक गर्मी और अत्यधिक वर्षा अनुपातहीन रूप से बढ़ रही है। हमारा विश्लेषण एक बार फिर इस बात की पुष्टि करता है कि हम इंसानों पर दुनिया भर में बढ़ते तापमान के प्रभावों के लिए, हर डिग्री का हर दसवां हिस्सा भी मायने रखता है।

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