ग्लोबल वार्मिंग: इस एकमात्र स्त्रोत से उत्पन्न होती है साल में 400 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड

तेल और गैस उत्पादन करने वाली इकाइयों से भड़की गैस रूस से यूरोपीय संघ के कुल आयात और मीथेन उत्सर्जन के एक प्रमुख स्रोत से अधिक है

By DTE Staff

On: Friday 06 May 2022
 
Photo: Flickr

कुछ ऐसा है, जो तेल उत्पादन के मामले में पिछले 160 साल में नहीं बदला है। वह है, इससे जुड़ी गैस को जानबूझकर जलाना, जिसे गैस फ्लेयरिंग कहा जाता है। जो मीथेन उत्सर्जन का एक प्रमुख स्रोत बन रहा है। मीथेन, वह ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) है, जो वैश्विक तापमान की वृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग) में पिछले 20 साल के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 80 गुना अधिक शक्तिशाली रही है।

विश्व बैंक की नवीनतम ग्लोबल गैस फ्लेयरिंग ट्रैकर रिपोर्ट 2022 बताती है कि ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के प्रयास पिछले एक दशक में "ठप" हो गए हैं।

1996 के बाद से विश्व बैंक अपने ग्लोबल गैस फ़्लेयरिंग रिडक्शन पार्टनरशिप कार्यक्रम के तहत सेटेलाइट का उपयोग करके गैस फ्लेयरिंग को ट्रैक कर रहा है। यह कार्यक्रम दुनिया भर के तेल उत्पादन स्थलों पर फ्लेयरिंग को खत्म करने के लिए चलाया जा रहा है। जो सरकारों, तेल कंपनियों और बहुपक्षीय संगठनों द्वारा बनाए गए एक ट्रस्ट के फंड से चल रहा है।

इस कार्यक्रम के तहत 5 मई 2022 को नवीनतम आंकड़े जारी किए गए हैं। जिसके मुताबिक, 2021 में दुनिया ने तेल और गैस उत्पादन इकाइयों में 144 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) गैस जलाई।

वर्ल्ड बैंक के ग्लोबल गैस फ्लेयरिंग रिडक्शन पार्टनरशिप प्रोग्राम मैनेजर जुबिन बमजी ने लिखा, "हमारा अनुमान है कि इस गैस के जलने से पिछले साल वैश्विक स्तर पर लगभग 400 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन हुआ।" इसमें से 361 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में और 39 मिलियन टन मीथेन के रूप में था।

गैस फ्लेयरिंग को ऊर्जा अपशिष्ट और ग्लोबल-वार्मिंग गतिविधि दोनों माना जाता है। 2021 में फ्लेयर्ड गैस, यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों द्वारा रूस से आयात किए जाने वाले गैस आयात से अधिक है। इसकी ऊर्जा क्षमता को समझने के लिए, 144 बीसीएम प्राकृतिक गैस की बर्बादी ने 1,800 टेरावाट घंटे ऊर्जा या यूरोपीय संघ की शुद्ध घरेलू बिजली उत्पादन का लगभग दो-तिहाई उत्पादन किया होगा।

जुबिन ने कहा, "गंदे ईंधन को विस्थापित करके न केवल गैस बर्बाद होने से बचा जा सकता है, बल्कि दुनिया के कुछ सबसे गरीब देशों में ऊर्जा की पहुंच में वृद्धि की जा सकती है। लेकिन वर्तमान में जिस गैस को जला कर खत्म किया जा रहा है, उसका उपयोग करके दुनिया ऊर्जा की जरूरत को पूरा कर सकती है।"

दूसरी ओर, गैस का फटना (फ्लेयरिंग) मीथेन का प्रत्यक्ष स्रोत है। मीथेन में सीओ2 की तुलना में अधिक गर्म करने की क्षमता होती है लेकिन इसका वायुमंडलीय जीवन बहुत कम होता है। इस प्रकार, इसको नियंत्रित करके ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में तेजी से कमी आ सकती है, और जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित किया जा सकता है।

2015 में, विश्व बैंक, देशों और कंपनियों ने मिलकर तय किया था कि 2030 तक जीरो रूटीन फ्लेयरिंग पहल की जाएगी और फ्लेयरिंग को समाप्त कर दिया जाएगा। लेकिन नवीनतम मूल्यांकन से पता चलता है कि ये प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। पिछले 10 वर्षों में ग्लोबल गैस फ्लेयरिंग काफी हद तक स्थिर है, जो लगभग 144 बीसीएम है।

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