पीटलैंड संरक्षण जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जरूरी : शोध
शोधकर्ताओं ने बताया कि पीटलैंड में दुनिया के सभी जंगलों की तुलना में अधिक कार्बन है और कई जंगलों की तरह इनका भविष्य भी अनिश्चित है, लोगों द्वारा कृषि भूमि के लिए उनका विनाश किया जा रहा है।
On: Tuesday 08 December 2020


शोधकर्ताओं ने कहा कि सबसे अधिक कार्बन भंडार करने वाले दुनिया के पीटलैंड का संरक्षण करना आवश्यक है ताकि जलवायु परिवर्तन को सीमित किया जा सके। पीटलैंड पृथ्वी पर लगभग हर देश में पाई जाने वाली एक प्रकार की आर्द्रभूमि है, जो वर्तमान में दुनिया भर की भूमि सतह का 3 फीसदी है। साल-दर-साल आर्द्र स्थितियां पौधे के नष्ट (डीकम्पोज) होने की प्रक्रिया को धीमा कर देती हैं ताकि आंशिक रूप से विघटित कार्बनिक पदार्थ जमा हो जाए जिसे 'पीट' कहा जाता है। हजारों वर्षों में यह सामग्री बनती है और कई मीटर मोटी हो जाती है।
एक्सेटर विश्वविद्यालय और टेक्सास ए एंड एम विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किया गया यह अध्ययन, मानव इतिहास में पीटलैंड को होने वाले नुकसान के बारे में पता लगाता है। पीटलैंड के इस सदी में एक समग्र कार्बन अवशोषित करने के एक स्रोत में बदलने की उम्मीद है, मुख्य रूप से मानव प्रभाव के कारण कार्बन लगातार बढ़ रहा है। अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि 2100 तक 10 हजार करोड़ (100 बिलियन) टन से अधिक कार्बन वातावरण में मिलेगी।
पीटलैंड को वर्तमान में मुख्य पृथ्वी प्रणाली मॉडल से बाहर रखा गया है, जिसका उपयोग जलवायु परिवर्तन के अनुमानों के लिए किया जाता है। शोधकर्ताओं ने सुझाव दिए हैं इनपर तत्काल विचार किया जाना चाहिए।
एक्सेटर के ग्लोबल सिस्टम इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर एंजेला गैलेगो-साला ने कहा पीटलैंड में दुनिया के सभी जंगलों की तुलना में अधिक कार्बन है और कई जंगलों की तरह इनका भविष्य भी अनिश्चित है। पीटलैंड जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की चपेट में हैं, जैसे कि जंगल में आग और सूखे का खतरा, बढ़ता समुद्र स्तर आदि से। हालांकि पीटलैंड के लिए मुख्य खतरे साफ दिखाई देते हैं जिनमें लोगों द्वारा कृषि भूमि बनाने के लिए इनकी तबाही करना शामिल है।
इसलिए पीटलैंड का भविष्य हमारे हाथों में है। प्रोफ़ेसर गैलेगो-साला का कहना है कि उन्हें कुछ जलवायु मॉडल में अब तक अनदेखा किया गया है क्योंकि उन्हें निष्क्रिय माना जाता है। ये तीव्र गति से कार्बन को अवशोषित या उत्सर्जित नहीं करते हैं।
मॉडल से भविष्य में होने वाले परिवर्तनों का अनुमान लगाना कठिन होता है, इसलिए अध्ययन में 44 अग्रणी पीटलैंड विशेषज्ञों के सर्वेक्षण के अनुमानों के साथ मौजूदा शोध को जोड़ा गया है। इसके आधार पर 2020-2100 में 10400 करोड़ (104 बिलियन) टन कार्बन के नुकसान का अनुमान लगाया गया है। यह शोध नेचर क्लाइमेट चेंज नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
डॉ. गैलेगो-साला ने कहा कि भले ही हम अधिक जानकारी चाहते हैं, हमें स्पष्ट रूप से निर्णय लेने की आवश्यकता है कि हम इन पारिस्थितिक तंत्रों का प्रबंधन किस तरह करते हैं। अमेज़ॅन और कांगो में उष्णकटिबंधीय पीटलैंड की हुई नई खोजें मुख्य रूप से बरकरार हैं, और शोधकर्ताओं का कहना है कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इन्हें बचाने के लिए हमारे पास ठोस नीतियां हैं।
डॉ. गैलेगो-साला ने कहा कि हमारी एक ज़िम्मेदारी है कि हम एक ऐसा रास्ता खोजें जो लोगों और पृथ्वी दोनों के लिए काम करे। पीटलैंड को तभी नष्ट किया जाए जब हमारे पास ऐसी योजनाएं और नीतियां हो जो अधिक टिकाऊ विकल्प प्रदान करती हों।