कार्बन कर को सही से लागू करने से गरीबी और असमानता हो सकती है कम: अध्ययन

अध्ययन में इस बात का पता लगाया गया कि कार्बन कर जलवायु परिवर्तन को कैसे कम कर सकता है साथ ही कर से उत्पन्न आय का उपयोग गरीबों के फायदे के लिए कैसे किया जा सकता है

By Dayanidhi

On: Friday 03 December 2021
 
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स

एक नए अध्ययन के मुताबिक यदि सभी देश कार्बन उत्सर्जन पर समान कर लागू करें तो वैश्विक तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रोका जा सकता है। साथ ही कर से उत्पन्न आय का उपयोग गरीबों के फायदे के लिए किया जाए तो दुनिया भर में असमानता और गरीबी को भी कम किया जा सकता है।

अध्ययन में इस बात का पता लगाया गया कि क्या कार्बन उत्सर्जन कर अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रोत्साहित करके वैश्विक उत्सर्जन को कम कर सकता है। इसके साथ ही गरीबों की रक्षा और इक्विटी या निष्पक्षता के साथ लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है।

हासिए पर रहने वाली आबादी पर अधिक बोझ डाले बिना समुदायों को ग्लोबल वार्मिंग और चरम मौसम से सुरक्षित रखा जा सकता है। जबकि यह समान जलवायु नीतियों की पहचान करने की एक सबसे बड़ी चुनौती है।

जलवायु नीति के प्रभाव के कई अनुमान इस बात पर विचार नहीं करते हैं कि कार्बन कर से उत्पन्न राजस्व का उपयोग गरीबों के लाभ के लिए कैसे किया जा सकता है। इसके बजाय, इन अनुमानों का अर्थ है कि उत्सर्जन में कमी एक लागत पर आनी चाहिए, जिसका उपयोग कभी-कभी जलवायु कार्रवाई के प्रति सतर्क दृष्टिकोण को सही ठहराने के लिए किया जाता है।

शोधकर्ताओं ने कर राजस्व पुनर्वितरण के फायदों का मूल्यांकन करने के लिए वैश्विक जलवायु नीति मॉडल के साथ आर्थिक समीक्षा भी की। एनआईसीई के रूप में जाना जाने वाला मॉडल दुनिया को 12 क्षेत्रों में विभाजित करता है। फिर आगे प्रत्येक क्षेत्र को पांच आय समूहों में विभाजित किया जाता है। मॉडल का एक नया घटक यह बताता है कि कार्बन कर की लागत और कर राजस्व पुनर्वितरण से लाभ दोनों अलग-अलग देशों में विभिन्न आय समूहों को कैसे प्रभावित करते हैं।

शोधकर्ताओं ने पाया कि यदि प्रत्येक देश या क्षेत्र पर्याप्त कार्बन कर लगाता है और अपने नागरिकों को समान तरीके से प्रति व्यक्ति के आधार पर राजस्व वापस करता है, तो यह उनके हित में होगा। इस तरह असमानता और गरीबी को कम करने के साथ-साथ वैश्विक तापमान लक्ष्य को पूरा किया जा सकता है। साथ ही, जब राजस्व का इतने प्रगतिशील तरीके से उपयोग नहीं किया जाता है, तो मॉडल ने यह भी सत्यापित किया कि बहुत से गरीब नागरिक कम समय में सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।

सेंटर फॉर पॉपुलेशन के मार्क बुडॉल्फसन ने कहा कि इन परिणामों से पता चलता है कि समाज के लिए इक्विटी और विकास के लक्ष्यों से समझौता किए बिना जलवायु पर मजबूत कार्रवाई को लागू करना संभव है। लेकिन इसके लिए नीति निर्माण में इक्विटी पर सावधानीपूर्वक ध्यान देने की आवश्यकता है। बुडॉल्फसन रटगर्स इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ, हेल्थ केयर पॉलिसी एंड एजिंग रिसर्च में लेवल बायोएथिक्स के सहयोगी सदस्य हैं।

लोगों को कार्बन कर राजस्व वापस करने का कुल लाभ और भी अधिक हो सकता है यदि कुल राजस्व प्रत्येक देश या क्षेत्र के सबसे गरीब लोगों की बजाय दुनिया की सबसे गरीब आबादी के लिए हो।

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि डीकार्बोनाइजेशन की दिशा में सबसे अच्छा रास्ता कार्बन उत्सर्जन में तेजी से कमी करना है। इसके बाद धीरे-धीरे नेट जीरो उत्सर्जन की ओर बढ़ना है। यह भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए कार्बन कर राजस्व को संरक्षित करते हुए तत्काल जलवायु परिवर्तन को सीमित करेगा।

कार्बन राजस्व के प्रगतिशील उपयोग से होने वाले लाभ शुरुआती दशकों में सबसे अधिक स्पष्ट होते हैं, जब राजस्व सबसे बड़ा होता है और गरीबों की जरूरतें सबसे जरूरी होती हैं। यह अध्ययन नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित हुआ है।

शोधकर्ता ने कहा कि मजबूत जलवायु नीति का उपयोग लोगों और विशेष रूप से गरीबों को भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के फायदे के लिए किया जाना चाहिए। अध्ययन डीकार्बोनाइजेशन की गति की व्यवहार्यता, जनमत और नीतिगत समर्थन बढ़ाने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति के बारे में बात करता है। साथ ही नागरिकों को राजस्व वापस लौटाने की सरकारों की क्षमता का निराकरण करता है।

भविष्य के शोध राजस्व के वितरण के प्रभाव की जांच कर सकते हैं जहां क्षेत्र अलग-अलग कार्बन कर लगाते हैं। साथ ही समान आय स्तर लेकिन विभिन्न खपत पैटर्न वाले परिवारों पर कार्बन टैक्स के प्रभाव का भी पता लगता है।

Subscribe to our daily hindi newsletter