क्या है जो भारत में तैयार कर रहा है गरीब

वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2022 से पता चलता है कि पोषण, ईंधन, आवास और स्वच्छता तक पहुंच की कमी देश में लाखों लोगों को गरीबी के भंवर में धकेल रही है

By DTE Staff

On: Wednesday 19 October 2022
 

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (ओपीएचडीआई) द्वारा जारी नवीनतम वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) 2022 के मुताबिक भारत ने 2005-06 और 2019-21 के बीच बहुआयामी गरीबी से करीब 41.5 करोड़ लोगों का उत्थान किया है।

देखा जाए तो यह एक ऐतिहासिक बदलाव है। यदि इस सूचकांक, एमपीआई 2022 की बात करें तो यह आय संबंधी गरीबी के साथ-साथ तीन अन्य आयाम जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर को भी ध्यान में रखकर तैयार किया गए है। इनके अंतर्गत 10 संकेतक हैं, जिन के मूल्यांकन के आधार पर देशों को रैंक किया गया है।

लेकिन हमें इसको भी नहीं भूलना चाहिए कि भारत में अभी भी करीब 22.9 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी का शिकार हैं, जो निसंदेह दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा है। इनमें से करीब 90 फीसदी लोग ग्रामीण इलाकों में और बाकी शहरों में रहते हैं। तो, मुख्य रूप से भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी के पीछे की क्या वजह है, यह चिंतन का विषय है।

एमपीआई 2022 की मानें तो पोषण, आवास, ईंधन और स्वच्छता तक पहुंच की कमी की वजह से देश में गरीबी है। आधे से ज्यादा बहुआयामी गरीबी से पीड़ित लोग जिनका आंकड़ा करीब 12.5 करोड़ है, वो तीन चीजों से वंचित हैं: आवास, स्वच्छता और खाना पकाने का ईंधन।

हालांकि इन संकेतकों में से प्रत्येक के लिए भारत के पास इनकी कवरेज और पहुंच सुनिश्चित करने के लिए बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय कार्यक्रम हैं। उदाहरण के लिए, स्वच्छ भारत मिशन जो आठ वर्ष पहले शुरू किया गया था, उसकी मदद से अक्टूबर, 2019 में भारत खुले में शौच से मुक्त हो गया था। इसी तरह, छह साल पहले शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) का उद्देश्य हर भारतीय को साल 2022 तक पक्का घर देना है।

पोषण से दूरी है गरीबी के पीछे की बड़ी वजह

एमपीआई 2022 का कहना है कि, “गरीबों में, खाना पकाने के ईंधन और आवास का अभाव सबसे आम है, इसके बाद पोषण और स्वच्छता है।“ 60 फीसदी से ज्यादा गरीबों ने पोषण तक पहुंच के अभाव को अनुभव किया था। पोषण तक पहुंच का अभाव, एमपीआई को कहीं ज्यादा प्रभावित करता है।

ऐसे में इस पैमाने पर गिरता प्रदर्शन बहुआयामी गरीबी के उच्च स्तर को जन्म देगा। इतना ही नहीं, इस इंडेक्स के मुताबिक “दो तिहाई गरीब ऐसे घर में रहते हैं जिसमें कम से कम एक व्यक्ति पोषण से वंचित है।“ रिपोर्ट इस स्थिति को "चिंताजनक आंकड़ा" बताती है।

चूंकि देश में गरीबी में योगदान करने वाली प्रमुख वजहों में पोषण का अभाव कहीं ज्यादा प्रभाव रखता है। ऐसे में वो एमपीआई मूल्य में सबसे अधिक योगदान करता है। देखा जाए तो यह अकेला कारक एमपीआई में आवास, स्वच्छता और खाना पकाने के ईंधन तीनों के बराबर प्रभाव रखता है।

देश ने गरीबी को कम करने में जो महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है, उसके पीछे स्वच्छता, खाना पकाने के ईंधन और आवास के अभाव में आई भारी गिरावट बड़ी वजह है। एमपीआई 2022 का कहना है कि, “स्वच्छता, खाना पकाने के ईंधन और आवास का जो अभाव 2015/16 में था उसमें 2019/21 तक भारी गिरावट देखी गई है।“ यह अवधि बहुआयामी गरीबी में तेजी से आई कमी के साथ भी मेल खाती है।

एमपीआई 2022 द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक गरीब और स्वच्छता से वंचित आबादी का हिस्सा 2015/16 में 24.4 फीसदी से गिरकर 2019/21 में 11.3 फीसदी पर पहुंच गया है। इसी तरह, गरीबी का शिकार वो लोग जो खाना पकाने के लकड़ी, गोबर, चारकोल जैसे अन्य ठोस ईंधन पर निर्भर थे उनकी आबादी 2015/16 में 50 फीसदी से घटकर 2019/21 में 13.9 फीसदी पर पहुंच गई है।

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