कोरोना संकट: दूर हुए सतत विकास के लक्ष्य

गरीबी और भूख मिटाने के सतत विकास लक्ष्यों को कोरोनावायरस की महामारी ने और मुश्किल बना दिया है

By DTE Staff

On: Wednesday 05 August 2020
 
फोटो: विकास चौधरी

कोरोनावायरस महामारी के चलते पूरी दुनिया चुनौतियों का सामना कर रही है। इस महामारी ने सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं। इस वायरस ने दुनिया को बता दिया है कि लोगों की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने, धरती बचाने और दुनिया को बेहतर बनाने के लिए बड़े कदम उठाने की सख्त जरूरत है।

दुनियाभर के देशों ने सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए वैश्विक ब्लूप्रिंट तैयार किया है जिससे गरीबी हटाई जा सके और धरती व पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। हम देख रहे हैं कि कोरोनावायरस ने दुिनयाभर में आर्थिक गतिविधियों को ठप कर दिया है। ऐसी स्थिति इससे पहले कभी नहीं देखी गई थी। सतत विकास के लक्ष्यों के प्रति यह स्थिति बिल्कुल ठीक नहीं है। महामारी के संकट से पहले ही दुनिया लक्ष्यों को हासिल करने में पिछड़ रही थी। अब स्थिति और बुरी होने वाली है।

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने 2015 में सतत विकास के 17 लक्ष्यों को अपनाया था। ये सभी लक्ष्य आपस में जुड़े हुए हैं। इस साल की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र के महानिदेशक एंटोनिया गुटरेस ने इस दशक में सतत विकास के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक्शन का आह्वान किया था। लेकिन वर्तमान महामारी ने वैश्विक व्यवस्था की मूलभूत कमजोरियों को उजागर कर दिया है और मजबूत इच्छाशक्ति के साथ तत्काल कार्रवाई पर बल दिया है। भूख और गरीबी मिटाने के अहम वैश्विक लक्ष्यों के साथ जलवायु परिवर्तन के लक्ष्य अब और चुनौतीपूर्ण हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र के महानिदेशक ने एक हालिया रिपोर्ट में महामारी के मद्देनजर कहा है कि यह हमारे जीवन का सबसे बुरा मानवीय और आर्थिक संकट है।

एंटोनिया गुटरेस ने “प्रोग्रेस टुवार्ड्स द सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल 2020” रिपोर्ट में कहा है कि भूखे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जलवायु परिवर्तन अनुमान से तेज हो रहा है और आय की असमानता भी बढ़ रही है। उनका कहना है कि महामारी का असर और इसे कम करने के लिए किए गए उपायों ने दुनियाभर के स्वास्थ्य तंत्र पर बोझ बढ़ा दिया है। इसने व्यापार और फैक्टरियों को बंद कर दिया है और दुनिया के आधे श्रमबल की जिंदगी को प्रभावित किया है। इस महामारी ने सतत विकास के लक्ष्यों की प्रगति को और धीमा कर दिया है।

एसडीजी लक्ष्यों के प्रति भारत की प्रगति काफी धीमी रही है। पड़ाेसी देश नेपाल, भूटान और श्रीलंका का भारत से बेहतर प्रदर्शन है। वर्तमान पलायन और बेरोजगारी को देखते हुए लक्ष्य और दूर हो गए हैं।



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