क्या रोमांच और मनोरजन के साथ-साथ पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी सही हैं ओलंपिक खेल?

जुलाई 2021 से शुरु होने वाले टोक्यो ओलंपिक को इस शोध में 40 अंक दिए गए हैं जोकि 1992 से 2020 ओलंपिक्स के लिए दिए कुल औसत 48 से भी कम है

By Lalit Maurya

On: Thursday 22 April 2021
 

ओलंपिक खेलों की शाश्वतता (सस्टेनिबिलिटी) को लेकर किए एक शोध के मुताबिक 2012 ओलिंपिक के बाद से इसमें लगातार गिरावट आ रही है। यह खेल दुनियाभर में देखे जाते हैं और ज्यादातर देश इसमें हिस्सा भी लेते हैं। वहीं इन खेलों के आयोजन पर अच्छा खासा खर्च भी किया जाता है, यहां तक कि यह खेल दुनिया के सबसे महंगे आयोजनों में से एक हैं। इन खेलों पर अब तक 5.27 लाख करोड़ रुपए का खर्च आ चुका है। यह सभी खर्च खेल से जुड़े हैं, इनमें बुनियादी ढांचे पर हुए खर्च की गणना नहीं की गई है, जोकि इससे कई गुना अधिक है। 

हाल ही में न्यूयॉर्क, लुसाने और बर्न विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा इसपर किए शोध से पता चला है कि अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बावजूद 2012 से इन खेलों की शाश्वतता में लगातार कमी आ रही है। यह शोध जर्नल नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित हुआ है। शोध में अल्बर्टविले 1992 से टोक्यो 2020 के बीच हुए 16 ग्रीष्म और शीतकालीन ओलंपिक खेलों का विश्लेषण किया गया है। जिसमें पर्यावरण और समाज पर पड़ने वाले असर को समझने का प्रयास किया गया है। यदि तीन प्रमुख आयामों सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण के अनुसार देखें तो 1990 से लेकर 2020 ओलिंपिक खेलों को 100 में से कुल 48 अंक दिए गए हैं। इस तरह सस्टेनिबिलिटी के मामले में इन्हें माध्यम श्रेणी में रखा गया है। यह अंक 44 पर्यावरण सम्बन्धी, 47 आर्थिक कारकों और 51 सामाजिक कारकों के आधार पर दिए गए हैं।

कोई ओलिंपिक कितना सस्टेनेबल होगा वो मेजबान शहर द्वारा अपनाई नीतियों पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए इन खेलों के चलते होने वाला ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कितना होगा, उनका कार्बन फुटप्रिंट कितना होगा? क्या वो आने-जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं, यह सभी कुछ उन खेलों की सस्टेनेबिलिटी पर असर डालते हैं। इसे मापने के लिए ही शोधकर्ताओं ने सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स बनाया है, जिसके आधार पर उन्हें अंक दिए गए हैं।

सबसे ज्यादा सस्टेनेबल था 2002 में अमेरिका के साल्ट लेक सिटी में हुआ ओलिंपिक

इस शोध के मुताबिक साल्ट लेक सिटी, अमेरिका में 2002 में हुआ ओलिंपिक गेम सबसे ज्यादा सस्टेनेबल था, जिसे 71 अंक मिले थे। वहीं फ्रांस के अल्बर्टविले में 1992 में हुआ ओलिंपिक दूसरे स्थान पर रहा, जिसे कुल 69 अंक मिले थे। यह दोनों ही शीतकालीन ओलंपिक थे। 1992 में बार्सिलोना में हुआ ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक, 56 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर था। वहीं सोची 2014 और रियो डी जनेरियो 2016 में हुए ओलंपिक्स को सबसे कम सस्टेनेबल माना गया है।

हाल ही में 23 जुलाई 2021 से टोक्यो ओलंपिक 2020 शुरु होने वाला है। इसपर करीब 210,897 करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान है। इस इंडेक्स में टोक्यो ओलिंपिक 2020 को 40 अंक दिए गए हैं, जिस लिहाज से यह ओलिंपिक खेलों को दिए अब तक के कुल औसत से भी नीचे है। वहीं अनुमान है कि इसके कारण करीब 500 लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा। 

यदि ओलिंपिक खेलों में सस्टेनेबिलिटी की बात करें तो यह आईओसी के रोड मैप के तीन स्तंभों में से एक है, जिसे ओलंपिक एजेंडा 2020 + 5 में प्रमुखता दी गई है। आईओसी की रणनीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ओलंपिक खेल, सस्टेनेबिलिटी के क्षेत्र में सबसे आगे रहें। गौरतलब है कि 2018 में संयुक्त राष्ट्र ने एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें खेलों को सतत विकास का प्रतीक घोषित किया था। साथ ही ओलंपिक खेलों के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में योगदान पर प्रकाश डालने वाले एक आशय पत्र पर भी हस्ताक्षर किए थे।

हालांकि मेजबान शहर पर ओलंपिक खेलों के पड़ने वाले प्रभावों को मापने के लिए आईओसी ने 2000 में एक प्रयास शुरू किया था। जिसके तहत 2010 में वैंकूवर में होने वाले शीतकालीन ओलंपिक में तथाकथित ओलंपिक गेम्स इम्पैक्ट अध्ययन को पूरा किया था, लेकिन बाद में 2017 में उसे छोड़ दिया गया था।

अपनी लोकप्रियता के कारण यह खेल दुनिया भर का ध्यान आकर्षित करते हैं। साथ ही राजनीतिक रूप से भी इनको काफी महत्त्व दिया जाता है, यही वजह है कि न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी यह खेल महत्वपूर्ण निर्णयों पर असर डालने की क्षमता रखते हैं।

इतनी बड़ी संख्या में लोगों का इनसे जुड़ाव अपने आप में महत्वपूर्ण है। यदि देखा जाए तो यह खेल वैश्विक स्तर पर कई चुनौतियों और समस्याओं के लिए नए समाधान प्रदान कर सकते हैं। साथ ही पर्यावरण और शाश्वत विकास की दिशा में मददगार हो सकते हैं।

आज उत्कृष्टता के शिखर पर पहुंच चुके इन खेलों का इतिहास भी कोई नया नहीं है। इनकी शुरुवात आज से 125 साल पहले अप्रैल 1896 को एथेंस में हुई थी। 10 दिनों तक चले इन खेलों में 13 देशों के 280 एथलीटों ने 43 स्पर्धाओं में भाग लिया था। यह खेल प्राचीन यूनान में प्रचलित खेलों का पुनर्जन्म था, जो 2,700 साल पहले ग्रीस के ओलंपिया शहर में खेले जाते थे। 

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