पिघलती बर्फ की चादर से रेत निकालने के पक्षधर हैं ग्रीनलैंड के वासी

ग्रीनलैंड के लोगों का एक बड़ा हिस्सा चाहता है कि नेतृत्व करने वाले लोग पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों पर रेत निकालने और निर्यात के प्रभाव का आकलन करें

By Dayanidhi

On: Wednesday 14 September 2022
 

शोधकर्ताओं की टीम द्वारा ग्रीनलैंड में किए गए के एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में पाया गया है कि 4 में से 3 लोग पिघलती बर्फ की चादर से रेत निकालने और उसका निर्यात करने का समर्थन करते हैं। ग्रीनलैंड जहां लगभग 90 फीसदी आबादी स्वदेशी है यहां के करीब 1,000 वयस्कों ने सर्वेक्षण में भाग लिया।

ग्रीनलैंड के लोगों का एक बड़ा हिस्सा चाहता है कि नेतृत्व करने वाले लोग पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों पर रेत निकालने और निर्यात के प्रभाव का आकलन करें। इसके अलावा, जब रेत के खनन की बात आती है, तो इसमें विदेशी सहयोग के लिए स्थानीय भागीदारी को प्राथमिकता दी जाए। यह शोध मैकगिल विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किया गया है। 

दुनिया भर में इन संसाधनों की तेजी से बढ़ती मांग के बीच जलवायु परिवर्तन के कारण ग्रीनलैंड के तटों पर पर्याप्त मात्रा में रेत और बजरी जमा हो रही है। रेत और बजरी की यह प्रचुरता ग्रीनलैंड को इसका वैश्विक निर्यातक बनने और इन संसाधनों की बढ़ती मांग को पूरा करने का अवसर प्रदान करती है, साथ ही इससे देश में अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। हालांकि, इस शोध से पहले किसी ने भी इस विकल्प के बारे में जनता की राय के बारे में पता नहीं लगाया था।

मैकगिल विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग में सहायक प्रोफेसर और प्रमुख अध्ययनकर्ता मैट बेंडिक्सन कहते हैं, हम यह जानकर काफी हैरान थे कि रेत के दोहन के लिए भारी स्थानीय समर्थन होगा।

यह शोध स्पष्ट रूप से दिखाता है कि कैसे एक तेजी से वैश्वीकृत आर्कटिक स्वदेशी आबादी निर्णय लेने की प्रक्रियाओं का एक हिस्सा बनना चाहती है। आर्कटिक समुदाय तेजी से आर्कटिक में हो रहे बदलावों के लिए किस तरह अनुकूल हो सकते हैं।

ग्रीनलैंड में पिछली खनन गतिविधियों ने हमेशा जांच पड़ताल की प्रक्रिया में स्थानीय दृष्टिकोण को शामिल नहीं किया और जिसके लिए अक्सर स्थानीय विरोध का सामना करना पड़ता है। अब तक ग्रीनलैंड में जलवायु अनुकूलन और खनन प्रभावों दोनों पर पूर्व शोध ने ज्यादातर नकारात्मकता पर ध्यान दिया गया।

शायद ही इसमें कभी बड़े पैमाने पर अनुकूली कार्यों की निर्णय लेने की प्रक्रिया में ग्रीनलैंड की आबादी को शामिल किया गया था। यह शोध इस बात का एक दुर्लभ उदाहरण प्रस्तुत करता है कि जलवायु परिवर्तन से ग्रीनलैंड कैसे लाभान्वित हो सकता है और इस अवसर की आगे की जांच के लिए एक मजबूत राष्ट्रीय समर्थन कैसे मिल सकता है।

शोधकर्ता कहते हैं कि भविष्य के शोध में आर्कटिक में अवसरवादी जलवायु अनुकूलन कार्यों के आर्थिक, सामाजिक- पारिस्थितिकी और मनोसामाजिक प्रभावों को समझने की कोशिश की जाएगी। ताकि नीति और योजना का मार्गदर्शन किया जा सके और सांस्कृतिक मूल्यों, स्थानीय ज्ञान और सिविल सोसाइटी की भागीदारी को पूरी प्रक्रिया में शामिल किया जा सके। यह शोध नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित हुआ है।

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