लाहौल स्पीति: बिना एफआरए अनुमति के सरकारी इंजीनियर ने बना डाली अवैध सड़क

एनजीटी की समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि गेचा से हेलीपैड तक करीब 2.84 किलोमीटर लंबी सड़क के लिए जिला वन अधिकारी से अनुमति नहीं ली गई

By Vivek Mishra

On: Tuesday 28 June 2022
 
लाहौल स्पीति का तांदी स्थान जहां पर 104 मेगावाट का पावर प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। फोटो: रोहित पाराशर

पर्यावरण संवेदी लाहौल स्पीति जिले के कजा क्षेत्र में पोग-मैदान से हेलीपैड तक कुल 12.24 किलोमीटर लंबाई वाली सड़क का चौड़ीकरण कार्य में अनुमतियां न लेने का मामला सामने आया है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की गठित संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इस कुल परियोजना में गेचा से हेलीपैड तक करीब 2.84 किलोमीटर लंबाई की सड़क के लिए काजा के जिला वन अधिकारी से फॉरेस्ट राइट एक्ट, 2006 के तहत अनुमति नहीं ली गई। 

स्पीति के काजा में हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग के एक्सईएन के जरिए यह सड़क निर्माण कराया जा रहा था। 

एनजीटी की गठित संयुक्त समिति ने यह गौर किया है कि परियोजना में करीब 9.4 किलोमीटर लंबी सड़क के चौड़ीकरण के लिए तो अनुमति हासिल की गई लेकिन चौथे हिस्से के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई और अवैध तरीके से सड़क निर्माण कार्य किया गया। 

समिति ने यह गौर किया है कि सभी अनुमतियां लीनियर रोड के लिए लिए ली गई हैं जो कि फॉरेस्ट राइट एक्ट, 2006 के विरुद्ध हैं।  

समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि जरूरत है कि कुल परियोजना के लिए फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट, 1980 के तहत फॉरेस्ट लैंड को नॉन फॉरेस्ट्री मकसद के लिए उचित तरीके से डायवर्ट किया जाए। इसके अलावा जो भी क्षेत्र सीमा आदिवासी क्षेत्र से जुड़ा हो वहां संवाद किया जाए। जनहित की व्यापकता को नजर में रखते हुए इस परियोजना पर आगे बढ़ें। 

पोह-मैदान से हेलीपैड तक करीब 12.24 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण किया जा चुका है लेकिन इसके बावजूद कजा के वन अधिकारी लोक निर्माण विभाग के एक्सईएन को अनुमति दें कि वह लैंड यूज चेंज करने संबंधी आवेदन को तैयार करें और उसे पेश करें। 

12.24 किलोमीटर वाली इस परियोजना के चार हिस्से किए गए थे। पहला हिस्सा पोह-मैदान से सोमन तक, दूसरा हिस्सा नयुपूर से गेचा तक, तीसरा हिस्सा निप्ती से तकचन तक था, इन तीनों हिस्सों की अनुमति ली गई थी जिसकी लंबाई 9.4 किलोमीटर थी, जबकि चौथे हिस्से को अवैध तरीके से बिना अनुमति ही बना दिया गया।

एनजीटी में इस मामले के लिए 18 अप्रैल, 2022 को याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें कहा गया था कि यह पूरी परियोजना बिना एफआरए ही चलाई जा रही है। इसके बाद एनजीटी ने मामले में समिति गठित करके जांच के आदेश दिए थे। इस मामले में समिति में 25 जून, 2022 को दाखिल की गई। 

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