एक दशक में ग्रीन फाइनेंस में दर्ज की गई 100 गुणा से ज्यादा की वृद्धि

2021 में पर्यावरण अनुकूल परियोजनाओं के लिए ग्रीन बांड, कर्ज और इक्विटी की मदद से करीब 40.8 लाख करोड़ रुपए फाइनेंस किए गए थे

By Lalit Maurya

On: Tuesday 05 April 2022
 

पर्यावरण अनुकूल परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर में ग्रीन फाइनेंस को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी का नतीजा है कि पिछले एक दशक में 2012 से 2021 के बीच ग्रीन फाइनेंस में 100 गुणा से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है।

यह जानकारी ब्रिटेन के संगठन द सिटीयूके और बीएनपी परिबास द्वारा जारी रिपोर्ट "ग्रीन फाइनेंस: क्वांटिटेटिव असेसमेंट ऑफ मार्केट ट्रेंड" में सामने आई है।

रिपोर्ट के मुताबिक ग्रीन बांड, कर्ज और इक्विटी की मदद से पर्यावरण अनुकूल परियोजनाओं के लिए जो वित्त एकत्र किया गया था, वो 2012 में 39,212 करोड़ रुपए के करीब था, जोकि 2021 में बढ़कर 40.8 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। इसका मतलब है कि इन 10 वर्षों में ग्रीन फाइनेंस में करीब 103 गुना वृद्धि दर्ज की गई हैं।

इस तरह यदि वित्तीय बाजार में ग्रीन फाइनेंस की कुल हिस्सेदारी की बात की जाए तो वो 2021 में बढ़कर करीब 4 फीसदी पर पहुंच गई है। गौरतलब है कि यह आंकड़ा 2012 में 0.1 फीसदी ही था। इसी तरह इन गतिविधियों से जुड़ी सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनियों का जो आंकड़ा 2012 में 401 था वो 2021 में बढ़कर 669 पर पहुंच गया है। 

देखा जाए तो पर्यावरण के लिहाज से ग्रीन फाइनेंस के क्षेत्र में होती वृद्धि काफी मायने रखती है, क्योंकि इससे ऐसी परियोजनाओं को बल मिलेगा जो पर्यावरण के दृष्टिकोण से फायदेमंद हैं। हालांकि इसके बावजूद अभी भी वैश्विक वित्तीय बाजार में इसकी हिस्सेदारी काफी कम है।

रिपोर्ट की मानें तो 2012 से 21 के बीच जितनी भी वित्तीय गतिविधियां हुई थी उसमें ग्रीन फाइनेंस की हिस्सेदारी 2 फीसदी से भी कम थी। जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि दुनिया भर में अभी भी इसको लेकर जागरूकता काफी कम है।    

ग्रीन बांड के रूप में था कुल फाइनेंस का 93 फीसदी से ज्यादा हिस्सा 

इतना ही नहीं रिपोर्ट के मुताबिक इन दस वर्षों में जो कुल ग्रीन फाइनेंस उपलब्ध कराया गया था, उसका करीब 93.1 फीसदी हिस्सा ग्रीन बांड के रूप में था। गौरतलब है कि इन 10 वर्षों में ग्रीन बांड में भी 221 गुणा वृद्धि हुई है। जो 2012 में 17,344 करोड़ रुपए से बढ़कर 2021 में 38.6 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। 

रिपोर्ट से पता चला है कि अमेरिका और चीन दुनिया में ग्रीन बॉन्ड के सबसे बड़े बाजार हैं। जहां चीन की 13.6 फीसदी और अमेरिका की 11.6 फीसदी हिस्सेदारी  है, जबकी फ़्रांस 10.3 फीसदी और जर्मनी 10.1 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ इस फील्ड के बड़े खिलाडी हैं। 

2012 से 21 के बीच इन 10 वर्षों में भारत ने भी ग्रीन प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टमेंट के रूप में करीब 27,285.45 करोड़ रुपए का निवेश किया है, जोकि उसके कुल प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टमेंट का केवल 2.2 फीसदी हिस्सा है। 

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