उड़ीसा : पोस्को के बाद जेएसडब्ल्यू की पर्यावरण मंजूरी एनजीटी ने की निलंबित

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को मेगा परियोजना पर तीन महीनों में ताजा अप्रैजल और निर्णय लेने का आदेश दिया।  

By Vivek Mishra

On: Saturday 25 March 2023
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दक्षिण कोरियाई कंपनी पोस्को की तरह एक बार फिर उड़ीसा में जेएसडब्ल्यू समूह के 65 हजार करोड़ रुपए के मेगा इंटीग्रेटड प्रोजेक्ट को दी गई पर्यावरण मंजूरी को निलंबित कर दिया है। एनजीटी की पूर्वी जोन स्थित पीठ ने अपने विस्तृत आदेश में कहा "हम सचेत हैं कि परियोजना में अत्यधिक निवेश शामिल है लेकिन सतत विकास के सिद्धांतों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है।"
 
प्रफुल्ल समंतारा व अन्य बनाम भारत सरकार व अन्य के मामले की सुनवाई में यह आदेश 20 मार्च, 2023 को दिया गया है। एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल, ज्यूडिशयल मेंबर सुधीर अग्रवाल, बी अमित स्थालेकर और एक्सपर्ट मेंबर डॉक्टर ए सेंथिल वेल की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी।
 
पीठ ने कहा सबसे अहम मामला जनसुनवाई का है, इसके अलावा परियोजना का प्रदूषित स्थान के नजदीक होना, जेटी को बिना जरुरत (पारादीप) पोर्ट के पास रखा गया है, साथ ही महानदी से बड़ी मात्रा में पानी का लिया जाना न सिर्फ पीने के पानी का संकट  खड़ा कर सकता है बल्कि नदी के प्रवाह को भी प्रभावित कर सकता है। ऐसे में इन बात की चिंता की जानी चाहिए। 
 
एनजीटी ने कहा कि जब पोस्को के जरिए परियोजना की जमीन छोड़ी गई थी उस वक्त 30 दिसंबर, 2012 को ट्रिब्यूनल के जरिए विस्तृत फैसला सुनाया गया था। उन पहलुओं को ध्यान में नहीं रखा गया। पोस्को को पर्यावरण मंजूरी देते हुए जो भी शर्ते रखी गई थीं उन शर्तों को नई परियोजनाओं में रखा जाना चाहिए। 
 
पीठ ने कहा मामले में एक्सपर्ट अप्रैजल कमेटी के जरिए एक ताजा आकलन और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के जरिए ताजा निर्णय की जरूरत है। ऐसे में फ्रेश अप्रैजल और निर्णय के लिए इस मामले को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के पास भेजा जा रहा है। वह उपयुक्त चिंताओं को ध्यान में रखते हुए तीन महीनों में निर्णय लेंगे। 
 
पीठ ने कहा कि निर्णय लेने तक पर्यावरण मंजूरी निलंबित रहेगी। 
 
11 अप्रैल, 2022 को 13.2 एमटीपीए क्रूड स्टील क्षमता वाली ग्रीनफील्ड इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट (आईएसपी परियोजना) और इसके साथ  10 एमटीपीए क्षमता वाले सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट और 900 मेगावाट कैप्टिव पावर प्लांट को पर्यावरण मंजूरी दी गई थी। इसके एक दिन बाद  12 अप्रैल, 2022 को उड़ीसा के जगतसिंहपुर जिले में पारादीप पोर्ट के पास जाताधारी मुहान नदी पर 52 एमटीपीए क्षमता वाले जेटी प्रोजेक्ट को पर्यावरण मंजूरी दी गई थी। 
 
याचिकाकर्ता का आरोप था कि इन दोनों मंजूरी में न ही जनसुनवाई की गई और न ही इस इंटीग्रेटेड प्रोजेक्ट के लिए जरूरी क्युमेलेटिव इंपैक्ट एसेसमेंट (सीआईए) किया गया। बल्कि कॉमन ईआइए के जरिए ही पर्यावरण मंजूरी दे दी गई।
 
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि आईएसपी प्रोजेक्ट ए कटेगरी का प्रोजेक्ट है जो कि ईआईए अधिसूचना, 2006 के 3 (ए) श्रेणी यानी मेटलर्जिकल इंडस्ट्रीज की श्रेणी में आता है। साथ ही बाढ़ संभावित निचली भूमि पर स्थित किया जाना है। इसके लिए प्लांट को 1206 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी इसमें से सिर्फ 136.47 हेक्टेयर नॉन फॉरेस्ट लैंड है जबकि 1069.53 हेक्टेयर  फॉरेस्ट लैंड है। इस जमीन में मैंग्रोव, सैंड ड्यून्स, और मिट्टी के मकान मौजूद हैं। 
 
इस परियोजना के लिए बनाया गया कॉमन ईआईए पर सवाल नवंबर 2021 और जनवरी 2022 में उठा जबकि कंपनी का दावा है कि इसके लिए जनसुनवाई 2019 दिसंबर में ही कर ली गई और सारे मटेरियल डिस्कलोजर पब्लिक हियरिंग में किए गए। और इस बिंदु पर पर्यावरण मंजूरी देने वाले एक्सपर्ट अप्रैजल कमेटी (ईएसी) ने कोई सवाल भी नहीं उठाया। 
 
परियोजना को पर्यावरण मंजूरी 53वें पुर्नगठित एक्सपर्ट अप्रैजल कमेटी की ओर से दी गई थी।
 
कंपनी ने अपने पक्ष में कहा था कि इस परियोजना के लिए कॉमन ईआइए की ही ज रूरत है। और सभी आरोप निराधार हैं। कंपनी ने बताया था कि उनकी परियोजना से केंद्र और राज्य सरकार को 13 वर्षों में कर और रोजगार के रूप में 5000 करोड़ रुपए का फायदा होगा।  
 
बहरहाल एनजीटी ने इन दलीलों को निराधार पाया और ईसी को ताजे निर्णय तक निलंबित ही रहने का आदेश दिया है। 
 

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