महामारी के दौरान भूख और गरीबी के बीच हर 30 घंटे में पैदा हुआ एक नया अरबपति: ऑक्सफैम रिपोर्ट

महामारी के दौरान हर 33 घंटे में 10 लाख की दर से और 26.3 करोड़ लोग गंभीर रूप से गरीबी का शिकार हुए

By Lalit Maurya

On: Tuesday 24 May 2022
 

इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी जब सारी दुनिया कोविड-19 महामारी और उसके कारण उपजे आर्थिक संकट से जूझ रही थी और जीवन की बुनियादी जरूरतों के लिए भी जद्दोजहद कर रही थी, उस बीच भी दुनिया के अमीरों की आय और ज्यादा बढ़ रही थी।

ऑक्सफेम द्वारा जारी नई रिपोर्ट से पता चला है कि महामारी के दौरान हर 30 घंटे में एक अरबपति पैदा हुआ था। वहीं, दूसरी तरफ आशंका जताई है कि इस साल हर 33 घंटे में 10 लाख की दर से और 26.3 करोड़ लोग गंभीर रूप से गरीबी का शिकार हो जाएंगें।

'प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन' नामक यह रिपोर्ट स्विट्जरलैंड के दावोस में हो रहे शिखर सम्मेलन में ऑक्सफेम द्वारा जारी की गई है। गौरतलब है कि 22 मई से 26 मई के बीच दावोस में होने वाली इस वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक में जलवायु परिवर्तन, कोविड संकट और यूक्रेन जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में देश के शीर्ष नेताओं के साथ-साथ दुनिया के कई बड़े व्यवसायियों के शिरकत करने की उम्मीद है।

इस बारे में ऑक्सफैम इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक गैब्रिएला बुचर का कहना है कि दुनियाभर के अरबपति महामारी के दौरान अपनी किस्मत और व्यवसाय में हुई अविश्वसनीय बढ़ोतरी का जश्न मनाने के लिए दावोस पहुंच रहे हैं। पहले महामारी और फिर खाद्य पदार्थों और ऊर्जा की कीमतों में हुई भारी वृद्धि उनके लिए वरदान साबित हुई है।

अरबपतियों के लिए वरदान बनी आपदा

इस बीच दशकों से गरीबी के खिलाफ चल रही जंग का परिणाम गरीबों के पक्ष में नहीं है। वहीं लाखों लोग बुनियादी जरूरतों की बढ़ती कीमतों को लेकर अपने जीवन के लिए भी जद्दोजहद कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक आज दुनिया भर में 2,668 अरबपति हैं जोकि 2020 की तुलना में 563 ज्यादा हैं।

इनकी कुल संपत्ति 12.7 लाख करोड़ डॉलर है, जिसमें इस दौरान करीब 3.78 लाख करोड़ डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। देखा जाए तो इनकी सम्पति वैश्विक जीडीपी के 13.9 फीसदी के बराबर है। इस संपत्ति में 2000 से करीब तीन गुना वृद्धि हुई है जो तब करीब 4.4 फीसदी थी।

इतना ही नहीं अमीर और गरीब के बीच की यह खाई कितनी गहरी है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दुनिया के 10 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति दुनिया की सबसे कमजोर 40 फीसदी आबादी की कुल संपत्ति से भी ज्यादा है, जिनकी कुल आबादी करीब 310 करोड़ है।

इसी तरह दुनिया के 20 सबसे अमीर लोगों की सम्पति उप सहारा अफ्रीका की कुल जीडीपी से भी ज्यादा है। इतना ही नहीं सबसे गरीब तबके की 50 फीसदी आबादी में से यदि कोई व्यक्ति अमीर तबके के किसी एक व्यक्ति की एक साल जितनी आय कमाना चाहता है तो उसे इसके लिए 112 वर्षों तक काम करना होगा। 

रिपोर्ट के मुताबिक एक तरफ जहां लोग खाद्य पदार्थों और ऊर्जा की बढ़ती कीमतों को लेकर परेशान हैं और उसकी कीमते दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। वहीं इस क्षेत्र से जुड़े अरबपतियों की संपत्ति में पिछले दो वर्षों में 45,300 करोड़ डॉलर का इजाफा हुआ है। मतलब की उनकी सम्पति में हर दो दिनों में 100 करोड़ डॉलर से ज्यादा का इजाफा हुआ है। 

मानवता के लिए बड़ा खतरा है असमानता की बढ़ती खाई

रिपोर्ट से पता चला है कि जहां पिछले एक वर्ष में वैश्विक खाद्य कीमतों में 30 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है। वहीं महामारी के दौरान दो वर्षों में खाद्य क्षेत्र से जुड़े 62 नए अरबपति पैदा हुए हैं। दुनिया के खाद्य व्यवसाय से जुड़े एक घराने 'कारगिल' के परिवार के अब 12 सदस्य अरबपति हैं जिनकी संख्या महामारी से पहले आठ थी। देखा जाए तो यह कारगिल कंपनी और दो कंपनियों के साथ वैश्विक कृषि बाजार के 70 फीसदी हिस्से को नियंत्रित करती है।

रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी खाद्य कीमतें सामाजिक और राजनैतिक उथल-पुथल को जन्म दे रही हैं। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी अनुमान से पता चला है कि 53 देशों में 19.3 करोड़ लोग भुखमरी के गंभीर स्तर का सामना करने को मजबूर हैं।

वहीं दूसरी तरफ महामारी के दौरान फार्मा क्षेत्र से जुड़े 40 नए अरबपति भी सामने आए हैं। मॉडर्ना और फाइजर जैसे फार्मास्युटिकल कॉरपोरेशन कोविड -19 वैक्सीन पर अपने एकाधिकार के चलते हर सेकंड 1000 डॉलर का लाभ कमा रही हैं। हालांकि इन दवाओं के निर्माण के लिए सामाजिक निवेश के रूप में अरबों डॉलर की मदद ली गई थी। इसके बावजूद इन वैक्सीन के लिए सरकारें इनकी लागत से 24 गुना तक ज्यादा शुल्क ले रहीं हैं। वहीं कमजोर देशों में अभी भी 87 फीसदी आबादी का पूरी तरह टीकाकरण नहीं हुआ है।

बुचर के अनुसार महामारी के बीच जहां लाखों लोगों को अपना भोजन छोड़ना पड़ा था। बच्चे शिक्षा से दूर हो गए थे और पूर्वी अफ्रीकी देशों में तो हर मिनट एक इंसान भूख से दम तोड़ रहा था। उसके बावजूद इन लोगों की अकूत सम्पति में होता इजाफा और बढ़ती असमानता मानवता के दृष्टिकोण से भी खतरा है।  

देखा जाए तो सम्पति का अर्जन गलत नहीं है। लेकिन आपदा के दौर में जब दुनिया भर में लोग अपने जीवन-यापन, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए भी संघर्ष कर रहे हो तो ऐसे वक्त में इन अरबपतियों की सम्पति में तेजी से होता इजाफा कई सवाल पैदा करता है।

देखा जाए तो यह लोग सिस्टम में धांधली कर मौके का लाभ उठा रहे हैं, जिसमें सरकार भी जाने अनजाने में उनकी मदद कर रही है। देश-दुनिया में बढ़ता निजीकरण इनके लिए विशेष रूप से फायदेमंद रहा है। ऐसे में ऑक्सफेम इंटरनेशनल ने इस बढ़ती असमानता को दूर करने के लिए इन अरबपतियों की सम्पति पर कर लगाने का आह्वाहन किया है। 

विकास के युग में भी हम मानवता से मुंह नहीं मोड़ सकते। महामारी के इस दौर में अब तक हम 63 लाख से ज्यादा अपनों को खो चुके हैं। वहीं अनगिनत ऐसे हैं जो आज भी अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कुछ गिने चुने लोगों का विकास ही मानवता के भविष्य को तय नहीं करेगा। यह धरती सबकी साझा विरासत है जिसमें हमें बड़े-छोटे के अंतर को दूर करके सबको साथ लेकर चलने की जरुरत है।

Subscribe to our daily hindi newsletter