बैठे ठाले: शांतिदूत मच्छर
“हे मच्छर तुम हिन्दू को काटोगे और मुसलमान को भी। तुम यहूदी का खून चूसोगे और उसे पारसी के शरीर में डालोगे”
On: Wednesday 04 January 2023


हरी-भरी ईडन गार्डन की सुंदर वादी में एक सेब की टहनी से एक रेडियो बंधा था जिसमें गाना चल रहा था- “दुनिया बनाने वाले /क्या तेरे मन में समाई/ काहे को दुनिया बनाई...।”
यह उस दौर की कहानी है जब श्री पी. परमेश्वर (उर्फ परमपिता परमेश्वर) ने सृष्टि की रचना की ही थी। पहले दिन उन्होंने प्रकाश बनाया। दूसरे दिन वायुमंडल, तीसरे दिन सूरज, चांद-सितारे, पांचवे दिन चिड़िया और समुद्री जीव बनाए, छठे दिन स्थलीय जीव और इंसान को बनाकर अब परमपिता परमेश्वर ने एक दिन के लिए “कॉम्प-ऑफ” एप्लाई कर दिया था।
सेब के पेड़ के नीचे आराम से दिसंबर की मीठी धूप का मजा लेते हुए वह अपनी सृष्टि को देख रहे थे और रेडियो पर आते तीसरी कसम के गीत को एन्जॉय कर रहे थे।
पूरा माहौल सेट था। जाने कब परमपिता परमेश्वर को झपकी आ गई पर दो आवाजों- ‘भिन्न’ और ‘पट्ट’ ने इस पूरे माहौल को बिगाड़ दिया। पहली आवाज एक मच्छर के भिनभिनाने की थी और दूसरी आवाज परमपिता परमेश्वर द्वारा खुद को झापड़ मारने की थी जो उन्होंने मच्छर को मारने के लिए मारा था।
इससे पहले कि परमपिता परमेश्वर उक्त मच्छर पर क्रोधित होकर कोई श्राप वगैरह देते उससे पहले ही मच्छर बोला, “दुनिया बनाने वाले, क्या तेरे मन में समाई/ काहे को मच्छर को बनाया?” फिर झट से एक ए-4 शीट लहराते हुए बोला, “ मेरे रिज्यूमे को देखो। न शक्ल न सूरत। प्रोफेशन के कॉलम में लिखा है- खुन-चुस्सू! हमें अपने सोशल मीडिया की डीपी में किसी और जीव की तस्वीर लगनी पड़ती है। इन्स्टा में एक फॉलोवर नहीं है। डेटिंग साइट में कोई भाव नहीं डालता! हे परमपिता!!! नेशन वांट्स टू नो कि क्यों आपने हम मच्छरों के साथ ऐसा अन्याय किया?”
श्री पी. परमेश्वर ने कहना शुरू किया, “ये सेब का पेड़ देख रहे हो? अभी यहां एक पुरुष और स्त्री आने वाले हैं और एक सेब को लेकर उनमें भसड़ मचने वाली है। इंसान नामक इस बेवकूफ प्राणी को मैंने अपनी सेल्फी की तर्ज पर बनाया पर यह मुझे अंदाजा नहीं था कि इंसान नामी यह प्राणी आने वाले दिनों में हर जगह रायता फैलाएगा। न वह खुद शांत बैठेगा न दूसरों को शांत बैठने देगा। कभी धर्म के नाम पर आपस में लड़ेगा तो कभी जाति–शुद्ध रक्त की बकवास थ्योरी और राष्ट्रीयता के नाम पर युद्ध करता फिरेगा। कौन उनको समझाए कि सारे मानव एक हैं। सभी की रचना मैंने ही की है फिर यह आपस में भेद-भाव कैसा? और मेरे सॉफ्टवेयर में अनडू का ऑप्शन भी नहीं है।”
मच्छर बोला, “अब क्या होगा? क्या सृष्टि का फ्यूचर खतरे में है? कौन बचाएगा सृष्टि को।”
श्री पी. परमेश्वर ने अचानक तरन्नुम में गाना शुरू किया, “अब तुम ही हो...अब तुम ही हो..जो मानव को एकता का पाठ पढ़ा सकते हो।”
मच्छर ने चौंकते हुए पूछा, “भला वह कैसे?”
श्री पी. परमेश्वर बोले, “हे मच्छर तुम हिन्दू को काटोगे और मुसलमान को भी। तुम यहूदी का खून चूसोगे और उसे पारसी के शरीर में डालोगे। तुम यूक्रेन के सैनिक के खून को चूस कर उसे रूसी सैनिक की धमनियों में डालोगे। इस तरह मजहबों और मुल्कों के बीच बढ़ती जा रही दूरी खत्म हो जाएगी। हे शांति दूत मच्छर! विश्व शांति का पूरा दारोमदार अब तुम पर है।”
श्री पी. परमेश्वर के हर शब्द से मच्छर का सीना गर्व से फूलता ही जा रहा था। जब उसका सीना पूरे छप्पन इंच का हो गया तब बोल उठा, “मच्छर नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना!”