यूरोपीय संघ के अधिक खपत से पड़ोसियों के पर्यावरण को हो रहा है भारी नुकसान

यूरोपीय संघ की खपत से जुड़े सभी पर्यावरणीय प्रभावों और दबावों का विश्लेषण किया गया, जिससे पता चला कि ब्राजील, चीन, भारत, जापान के साथ-साथ पूर्वी यूरोप और मध्य पूर्व में प्रभाव बढ़े हैं

By Dayanidhi

On: Monday 30 January 2023
 
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स, डेविड मैकस्पैडेन

शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने 1995 से 2019 के बीच यूरोपीय संघ के अधिक खपत से पर्यावरण पर पड़ रहे प्रभावों का अध्ययन किया। अध्ययन से पता चलता है कि यूरोपीय संघ (ईयू) के उपभोक्ता अपने पूर्वी यूरोपीय पड़ोसियों को पर्यावरण के खराब प्रभावों की जद में धकेल रहे हैं। जबकि उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं से जुड़े आर्थिक फायदों का बड़ा हिस्सा ये खुद रखते हैं।

यद्यपि यूरोपीय संघ की खपत के पर्यावरणीय प्रभावों को दुनिया भर में महसूस किया जाता है, पूर्वी यूरोप के देशों ने भारी पर्यावरणीय दबावों और यूरोपीय संघ के नागरिकों के उपभोग से जुड़े प्रभावों का अनुभव लगातार किया जा रहा है।

10 प्रमुख पर्यावरणीय दबावों और प्रभावों के बड़े हिस्से यूरोपीय संघ के बाहर के देशों और क्षेत्रों को "आउटसोर्स" किए जाते हैं, जबकि 85 प्रतिशत से अधिक आर्थिक लाभ सदस्य देशों के भीतर होते हैं, हालांकि यूरोपीय संघ के भीतर लागत और फायदों का असमान वितरण होता है।

इन प्रभावों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, सामग्री की खपत, भूमि उपयोग, सतह और भूजल की खपत, कणों का निर्माण, फोटोकैमिकल ऑक्सीकरण और भूमि कवरेज के कारण जैव विविधता के नुकसान के साथ-साथ ताजे या मीठे पानी, समुद्री और स्थलीय पारिस्थितिक विषाक्तता शामिल हैं।

शोधकर्ताओं ने विश्लेषण किए गए सात दबाव और प्रभाव- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, भूमि उपयोग, सतह और भूजल की खपत, कणों का निर्माण, फोटोकैमिकल ऑक्सीकरण और सामग्री की खपत-यूरोपीय संघ के बाहर विशेष रूप से वृद्धि हुई, जबकि इसके आंतरिक हिस्सों में घट गई है।

यूके के बर्मिंघम, अमेरिका के ग्रोनिंगन (एनएल) और मैरीलैंड के विश्वविद्यालयों के साथ-साथ चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के शोधकर्ताओं ने भी 1995 से 2019 के बीच की अर्थव्यवस्थाओं के लिए मौजूदा 27 यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के भीतर वस्तुओं और सेवाओं की खपत से जुड़े मूल्य का विश्लेषण किया। 

बर्मिंघम विश्वविद्यालय में सस्टेनेबल ट्रांजीशन के एसोसिएट प्रोफेसर तथा शोधकर्ता यूली शान ने कहा कि, हमारे ग्रह के लिए, पर्यावरणीय दबाव और यूरोपीय संघ की खपत से होने वाले प्रभावों को काफी हद तक कम करने की आवश्यकता है।  

यूरोपीय संघ के बाहर के देशों की तुलना में इसके अधिकांश सदस्य देशों के लिए यूरोपीय संघ की खपत के फायदे अधिक हैं, जबकि अल्बानिया, मोंटेनेग्रो, सर्बिया, यूक्रेन और मोल्दोवा जैसे यूरोपीय संघ के पूर्वी पड़ोसियों के लिए भारी पर्यावरणीय दबाव और प्रभाव उत्पन्न होते हैं।

पूर्वी यूरोप को लगातार पर्यावरणीय दबावों और यूरोपीय संघ के उपभोग से जुड़े प्रभावों की तुलना में आर्थिक मूल्य के सबसे कम हिस्से को हासिल करने वाले क्षेत्र के रूप में जगह दी गई है।

यूरोपीय संघ की खपत से उत्पन्न होने वाले दबाव और प्रभाव इसके अधिकांश सदस्य राज्यों में घट गए हैं, नीदरलैंड और स्वीडन के लिए, सभी दस श्रेणियों में संकेतक 1995 से 2019 तक कम हो गए। पर्यावरणीय दबावों और प्रभावों का विश्लेषण से पता चला कि, ऑस्ट्रिया, चकिया, इटली, पोलैंड, रोमानिया और स्लोवेनिया सभी के दस में से नौ में कमी देखी गई।

इसके विपरीत, यूरोपीय संघ की खपत से जुड़े सभी पर्यावरणीय प्रभावों और दबावों का विश्लेषण किया गया, जिससे पता चला कि ब्राजील, चीन, भारत, जापान के साथ-साथ पूर्वी यूरोप और मध्य पूर्व में प्रभाव बढ़े हैं।

ग्रोनिंगन विश्वविद्यालय के मुख्य शोधकर्ता बेनेडिक्ट ब्रुकनर ने कहा कि, यूरोपीय संघ में रहने वाले वैश्विक पर्यावरणीय क्षति और संसाधनों के उपयोग में अनुपातहीन तरीके से योगदान देने वाले कई बड़े समृद्ध उपभोक्ता होने के नाते, हमें अति-उपभोग को लेकर  शमन प्रयासों पर ध्यान देना चाहिए।

ग्रोनिंगन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, अन्य संबंधित शोधकर्ता क्लाउस हबसेक ने कहा, हम पर्यावरणीय दबावों और यूरोपीय संघ के अधिक खपत से जुड़े प्रभावों को कई तरीकों से कम कर सकते हैं, जिसमें लोगों की यात्रा या उनके आहार विकल्पों को बदलना और नया यूरोपीय संघ बनाना शामिल है। व्यापार नीतियां जो पर्यावरणीय दबावों, वस्तुओं और सेवाओं से जुड़े प्रभावों को कम करती हैं। यह अध्ययन नेचर सस्टेनेबिलिटी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

Subscribe to our daily hindi newsletter