2022 तक कैसे पूरा होगा 'सबके लिए घर' का सपना, तीन साल में बने केवल 37.6 फीसदी मकान

पिछले तीन वर्षों (2017 से 2020) में केवल 29,85,212 घर ही बन पाए हैं जबकि 79,44,126 घरों के निर्माण को स्वीकृति दी गई थी

By Lalit Maurya

On: Thursday 11 February 2021
 

पिछले तीन वर्षों (2017 से 2020) में केवल 29,85,212 घर ही बन पाए हैं जबकि 79,44,126 घरों के निर्माण को स्वीकृति दी गई थी। जिसका मतलब है कि इस अवधि में केवल 37.6 फीसदी ही मकान बन पाए हैं। गौरतलब है कि शहरी इलाकों में सबके लिए अपना घर के सपने के साथ जून 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी की शुरुआत की गई थी। जिसका मकसद जरूरतमंद परिवारों को रियायती दर पर मकान बना कर देना था।

इस योजना के तहत अब तक 109,88,765 घरों के निर्माण को मंजूरी दी जा चुकी है जबकि अब तक केवल 42,00,797 मकान ही बन पाए हैं। यह जानकारी आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी द्वारा राज्य सभा में दिए एक उत्तर में सामने आई है। हालांकि सरकार को उम्मीद है कि 2022 तक इस लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा, पर विकास की इस रफ़्तार को देखते हुए यह कैसे पूरा होगा यह एक बड़ा सवाल है।

देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल दिल्ली और चंडीगढ़ में ही जितने मकान स्वीकृत हुए थे उनका निर्माण पूरा हो चुका है। इनकों छोड़कर किसी ने भी स्वीकृत मकानों के निर्माण कार्य को पूरा नहीं किया है। वहीं यदि आंकड़ों पर गौर करें तो देश में 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में निर्माण की स्थिति सबसे ज्यादा सुस्त है, वहां अब तक स्वीकृत मकानों में से 50 फीसदी भी नहीं बन पाए हैं।

मध्यप्रदेश में बन पाए हैं केवल 7.5 फीसदी मकान

देश में सबसे ज्यादा आंध्रप्रदेश में 20.26 लाख मकान स्वीकृत किए गए थे, जिसमें से केवल 17.6 फीसदी ही बन पाए हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश में 17.67 लाख मकानों को स्वीकृति मिली थी उनमें से केवल 39.3 फीसदी बने हैं। महाराष्ट्र में स्वीकृत 12.86 लाख मकानों में से करीब 32 फीसदी ही पूरे हुए हैं। मध्यप्रदेश में भी स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है, वहां 841,298 स्वीकृत मकानों में से 62,918 ही बन पाए हैं। 

देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अंडमान निकोबार द्वीप समूह की स्थिति सबसे ज्यादा बदतर है, जहां केवल 6.5 फीसदी मकान ही बन पाए हैं। इसी तरह मध्यप्रदेश में 7.5 फीसदी, मणिपुर 9.8 फीसदी, मिजोरम में 11.9 फीसदी, हरियाणा में 12.5, नागालैंड में 13.4 फीसदी, जम्मू और कश्मीर में 17.1, आंध्रप्रदेश में 17.6 फीसदी और असम में 20 फीसदी मकान ही बने हैं।

देश में करोड़ों लोगों का बस एक ही सपना है कि उनका भी अपना घर हो। पर बढ़ती महंगाई और मजबूरियों के बीच वो उसे पूरा कर पाने में असमर्थ हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री आवास योजना उनके लिए नई उम्मीद लेकर आई थी। जिससे यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि वो अपने वादे पर पूरा उतरेगी, लेकिन जिस सुस्त रफ्तार से यह पूरी हो रही है उसको देखते हुए नहीं लगता की मार्च 2022 तक यह अपने लक्ष्यों और लोगों के सपने को पूरा कर पाएगी।

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