जोशीमठ भूधंसाव के बाद केंद्र को पर्यावरण की चिंता, सीमावर्ती क्षेत्रों में बन रहे राजमार्गों को छूट नहीं

जुलाई 2022 में सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में बन रहे राजमार्गों को पर्यावरण संबंधी अनापत्ति (ईसी) से छूट प्रदान कर दी थी

By Raju Sajwan

On: Tuesday 14 February 2023
 
उत्तराखंड में चार धाम राजमार्ग परियोजना की वजह से भूस्खलन जैसी घटनाएं बढ़ी हैं। फोटो= सन्नी गौतम

बेशक अभी तक केंद्र व राज्य सरकार ने जोशीमठ में भूधंसाव के कारणों का खुलासा नहीं किया है, लेकिन फिलहाल सरकार ने सीमाओं के 100 किलोमीटर के दायरे में बन रहे राजमार्गों के निर्माण से संबंधित एक मानक संचालक प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है।

यहां यह उल्लेखनीय है कि जोशीमठ सहित उत्तराखंड में बढ़ रहे भूधंसाव व भूस्खलन के लिए चार धाम राजमार्ग परियोजना को भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है। विशेषज्ञों व सामाजिक कार्यकर्ताओं का तो यह भी कहना है कि पर्यावरण संबंधी अनुमतियों से बचने के लिए चार धाम राजमार्ग परियोजना को कई हिस्सों में बांट दिया गया है।

6 फरवरी 2023 को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी कार्यालय आदेश (ओएम) में कहा गया कि मंत्रालय ने 14 जुलाई 2022 को एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें नियंत्रण रेखा या सीमाक्षेत्र  से 100 किलोमीटर के दायरे में हो रहे राष्ट्रीय राजामार्ग निर्माण को इनवायरमेंट क्लियरेंस (पर्यावरण संबंधी मंजूरियों) से छूट दी गई थी।

लेकिन अब मंत्रालय ने नया एसओपी जारी कर कहा है कि नियंत्रण रेखा या सीमा से 100 किलोमीटर तक छूट प्राप्त सभी राजमार्ग परियोजनाओं के निर्माण और संचालन के दौरान कुछ पर्यावरण सुरक्षा उपायों का पालन करना होगा। जैसे कि - यदि राष्ट्रीय राजमार्ग किसी पहाड़ी क्षेत्र से गुजर रहा है तो किसी प्रतिष्ठित टेक्नीकल इंस्टिट्यूट से भूस्खलन, ढलान की मजबूती, परियोजना वाले क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधियों, पारिस्थितिकी की नाजुकता आदि का व्यापक अध्ययन करना होगा।

साथ ही, भूस्खलन प्रबंधन योजना भी तैयार करनी होगी, जिसमें पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए निर्माण से पहले और निर्माण के बाद किस तरह के कदम उठाए जाने चाहिए, इसका पूरा ध्यान रखना होगा और विशेषज्ञों की निगरानी में निर्माण कार्य कराए जाने चाहिए। पहाड़ों को कटाते समय, मिट्टी का कटाव करते हुए, चट्टानों को गिरने से रोकने के लिए व्यापक इंतजाम करने होंगे।

मंत्रालय के एसओपी में सुरंग बनाने या ड्रिल करते वक्त भी कुछ विशेष सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं। जैसे कि सुरंग बनाने या ड्रिल करने से पहले व्यापक अध्ययन किया जाएगा कि इसका ढांचे पर क्या असर पड़ेगा, साथ ही पेड़-पौधे-वनस्पति पर तो कोई असर नहीं पड़गा। यह सुनिश्चित करना होगा कि राजमार्ग प्रोजेक्ट की वजह से किसी तरह की जान-माल या पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा।

निर्माण की वजह से निकलने वाले मलबे व मिट्टी का भी वैज्ञानिक ढंग से निपटान करना होगा। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना होगा कि प्रोजेक्ट की वजह से नदी, जलाशय आदि को नुकसान नहीं होगा।

14 जुलाई 2022 की अधिसूचना में मंत्रालय ने कहा था कि सीमावर्ती राज्यों में रक्षा एवं सामारिक महत्व से संबंधित राजमार्ग परियोजनाएं प्रकृति में संवेदनशील हैं और इन्हें अनके मामलों में सामरिक, रक्षा एवं सुरक्षा संबंधी बातों को ध्यान में रखते हुए कार्यान्वित किया जाना चाहिए। इसलिए केंद्र सरकार यह समझती है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में ऐसी परियोजनाओं को कार्यान्वित करने वाले संस्थानों को एक विशिष्ट मानक प्रचालन पद्धति (एसओपी) के अधीन रहते हुए पर्यावरण अनापत्ति (ईसी) की अपेक्षा से छूट दी जाए।

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