एनजीटी का फैसला : तीसरी बार डीयू के पास 40 मंजिला इमारत निर्माण की पर्यावरण मंजूरी रद्द

प्रधान पीठ ने अपने 268 पृष्ठ के फैसले में कहा कि परियोजना प्रस्तावक ने निर्माण से जुड़े तथ्यों को छिपाया और ईएसी ने लापरवाही के साथ यह पर्यावरण मंजूरी जारी की। 

By Vivek Mishra

On: Wednesday 01 June 2022
 

 

दिल्ली विश्वविद्यालय के नजदीक प्रस्तावित 40 मंजिला इमारत के निर्माण को लेकर जारी किए गए पर्यावरण मंजूरी को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने रद्द कर दिया है। एनजीटी ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर इस तरह की मंजूरी पर निर्णय कैसे लिया गया? 2012 के बाद यह तीसरी बार था जब परियोजना प्रस्तावक ने बहुमंजिला इमारत के लिए पर्यावरण मंजूरी हासिल किया था। एनजीटी ने परियोजना प्रस्तावक को आगे किसी भी तरह के निर्माण कार्य के लिए रोक दिया है। 

जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली प्रधान पीठ ने अपने 268 पृष्ठ के फैसले में यह कहा है। पीठ ने गौर किया कि परियोजना प्रस्तावक ने निर्माण से जुड़े तथ्यों को छिपाया और पर्यावरण प्रभाव आकलन करने वाली समिति (ईएसी) ने इसे मंजूरी जारी करने में ढील बरती। पीठ ने कहा कि ईएसी इस परियोजना का पर्यावरण प्रभाव आकलन करने में पूरी तरह विफल रही है। इस परियोजना से पर्यावरण, रिज और ट्रैफिक को बड़ा नुकसान हो सकता है।  

जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा "हमारे निष्कर्ष में परियोजना प्रस्तावक को पर्यावरण मंजूरी बिना उचित आकलन के ही दी गई। इस परियोजना से संबंधित क्षेत्र में पहले से ही वायु और ध्वनि प्रदूषण के स्तरों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। एक बहुमंजिला इमारत पर्यावरण के लिए अनुकूल नहीं है। यह इमारत जोखिमों से भरी हो सकती है क्योंकि संबंधित क्षेत्र के माइक्रोक्लाइमेट में पैदा होने वाली हवाएं आपस में जोरदार तरीके से टकराव वाली होती है जो आग लगने जैसी घटना पर बहुत ही विनाशकारी साबित हो सकती हैं। इसके अलावा प्राचीन रिज एरिया की वनस्पतियों, जीवों और भूजल को भी नुकसान पहुंच सकता है। साथ ही  ट्रैफिक घनत्व में प्रबंध न किया जा सकने वाला प्रभाव पड़ सकता है।"

परियोजना प्रस्तावक ने अगस्त, 2012 में पहली बार राज्य पर्यावरण आकलन समिति से पर्यावरण मंजूरी हासिल की थी। जिसे 2018 में संशोधित किया गया था। इस पर्यावरण मंजूरी को दिल्ली यूनिवर्सिटी द्वारा एनजीटी में चुनौती दी गई थी, जिसे पीठ ने रद्द कर दिया था। हालांकि, बिल्डर ने मई, 2021 में फिर से केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से पर्यावरण मंजूरी हासिल की जिसे 31 मई को रद्द कर दिया गया। 

पीठ ने कहा कि ईएसी एक संवेधानिक संस्था है, ऐसे में किसी भी तरह की लापरवाही पर्यावरण के लिए गंभीर दुष्परिणाम वाली हो सकती है। पीठ ने ईएसी को कहा कि उसे अपना काम बेहद गंभीरता से करना चाहिए। साथ ही राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन समितियों की भी यह जिम्मेदारी है कि वह परियोजना के प्रभाव का सही से आकलन करें। पीठ ने कहा कि इस मामले में निर्णायक मंजूरी जारी करने वाले पर्यावरण मंत्रालय के साथ प्रभाव आकलन करने वाली समितियों ने भी अपनी संवैधनिक जिम्मेदारी को नहीं निभाया।

डिफेंस मिनिस्ट्री से डीएमआरसी के जरिए 2008 में 2 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया था। जिस पर 40 मंजिला वाली इमारत बनाई जानी थी, जिसमें 445 फ्लैट बनाया जाना था।  दिल्ली यूनिवर्सिटी के नजदीक यह प्लॉट छतर मार्ग के पास कॉवेरी लेन में मॉल रोड पर है। ॉ

बहरहाल 21, मई, 2021 को जारी क्लीयरेंस को भी रद्द कर दिया गया है। 

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