2019 की तुलना में 1.3 करोड़ महिलाओं के पास अभी भी नहीं है रोजगार

2021 में कामकाजी उम्र की केवल 43.2 फीसदी महिलाओं को ही रोजगार मिलने की सम्भावना है, वहीं पुरुषों में यह आंकड़ा 68.6 फीसदी रहने की उम्मीद है 

By Lalit Maurya

On: Monday 19 July 2021
 

भले ही कोविड-19 के खिलाफ जूझने के साथ-साथ दुनिया भर में लोगों की जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है पर अभी भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं आया है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ)  द्वारा जारी हालिया आंकड़ों से पता चला है कि एक तरफ जहां पुरुषों के रोजगार का स्तर 2019 की स्थिति में लौट आया है, वहीं अभी भी 2019 की तुलना में करीब 1.3 करोड़ महिलाओं को फिर से रोजगार नहीं मिला है। भले ही 2021 में महिलाओं के लिए नौकरियों में होने वाली अनुमानित वृद्धि पुरुषों की तुलना में अधिक है, इसके बावजूद यह काफी नहीं है।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा जारी नए पॉलिसी ब्रीफ के अनुसार कोविड-19 महामारी के दौरान आई पुरुषों और महिलाओं के बीच रोजगार को लेकर आई असमानता निकट भविष्य में बनी रहेगी। आईएलओ द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार वैश्विक स्तर पर जहां 2020 की तुलना में 2021 में महिलाओं के रोजगार के स्तर में 3.3 फीसदी या 4.1 करोड़ की वृद्धि होने का अनुमान है, जबकि पुरुषों के रोजगार में करीब 3 फीसदी या 5.9 करोड़ की वृद्धि होने की उम्मीद है।

हालांकि रिपोर्ट से पता चला है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के रोजगार में होने वाली यह वृद्धि भी काफी नहीं है। इसके बावजूद भी महिलाओं क रोजगार को जो महामारी के कारण नुकसान पहुंचा है वो महामारी से पहले के स्तर को पाने के लिए काफी नहीं है। गौरतलब है कि 2020 में महिलाओं के रोजगार में करीब 4.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। 

पुरुषों की तुलना में 25.4 फीसदी कम है महिलाओं के रोजगार की सम्भावना

जहां 2021 में 127 करोड़ महिलाओं को रोजगार मिलने की उम्मीद हैं वहीं पुरुषों में यह आंकड़ा 201.9 करोड़ रहने की सम्भावना है। अनुमान है कि 2021 में कामकाजी उम्र की केवल 43.2 फीसदी महिलाओं को ही रोजगार मिलने की सम्भावना है, वहीं पुरुषों में यह आंकड़ा 68.6 फीसदी है।  इसका मतलब है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के रोजगार की सम्भावना अभी भी 25.4 फीसदी कम है।

यदि क्षेत्रीय स्तर पर देखें तो महामारी के चलते अमेरिका में महिलाओं के रोजगार में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है जोकि 9.4 फीसदी है।  इसके बाद अरब देशों में महिलाओं के रोजगार में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है। जहां 2019 से 2020 के बीच महिलाओं के रोजगार में 4.1 फीसदी और पुरुषों के रोजगार में 1.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

वहीं अनुमान है कि एशिया पैसिफिक क्षेत्र में पुरुषो के रोजगार का स्तर महामारी से पहले की तुलना में भी कहीं बेहतर होने की सम्भावना है।  वहीं महिलाओं के रोजगार का स्तर 2019 की तुलना में कम रहने की सम्भावना है। इस क्षेत्र में महिलाओं के रोजगार में 3.8 फीसदी की कमी आई है वहीं पुरुषों के रोजगार में 2.9 फीसदी की गिरावट आई थी। 

अनुमान है कि एशिया में 2021 के अंत तक पुरुषों के रोजगार में 3 फीसदी की वृद्धि होगी, जो महामारी के कारण हुए नुकसान से ज्यादा है।  वहीं इसके विपरीत महिलाओं के रोजगार में 3.2 फीसदी की वृद्धि के बावजूद भी वो महामारी के कारण हुए नुकसान की भरपाई नहीं कर पाएगी। यूरोप और मध्य एशिया में जहां महामारी के कारण महिलाओं ने अपनी नौकरी का 2.5 फीसदी हिस्सा खो दिया था, उसके 2021 में केवल 0.6 फीसदी ही ठीक होने की उम्मीद है।

देखा जाए तो अफ्रीका में रोजगार की काफी कमी है। इसके बावजूद पुरुषों के रोजगार में 2019 से 2020 के बीच अन्य  क्षेत्रों  की तुलना में सबसे कम गिरावट दर्ज की गई है। वहीं महिलाओं के रोजगार में 1.9 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। अनुमान है कि महिलाओं के रोजगार में  2020 से 2021 के बीच 4.7 फीसदी वृद्धि होने की उम्मीद है, जोकि महामारी के कारण हुए नुकसान की भरपाई से काफी अधिक है। 

यही वजह है कि 2021 में कामकाजी महिलाओं के रोजगार की दर 48.7 फीसदी रहने की सम्भावना है। वहीं पुरुषों में यह दर  66.2 फीसदी रहने की सम्भावना है। वहीं उत्तर अफ्रीका में यह दर केवल 16 फीसदी रहने की दर्ज है। इस महामारी ने रोजगार पर व्यापक असर डाला है, आईएलओ का अनुमान है कि महामारी के दौरान, घर से काम करने वाले श्रमिकों की संख्या 55.7 करोड़ थी, जो वैश्विक रोजगार का केवल 17.4 फीसदी है। इसमें भी महिलाओं की स्थिति कोई खास अच्छी नहीं थी। ऐसे में यह जरुरी है कि महिलाओं के रोजगार और उनके विकास पर भी ध्यान दिया जाए।     

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