वैक्सीन के वितरण में असमानता, गरीब देशों में बढ़ा रोजगार का संकट: आईएलओ

आईएलओ ने कहा है कि कोविड-19 के पहले साल के मुकाबले दूसरे साल यानी 2021 में कामकाजी घंटों का नुकसान बढ़ा है

By Raju Sajwan

On: Thursday 28 October 2021
 

अमीर देशों के मुकाबले गरीब देशों में रोजगार का संकट इसलिए अधिक है, क्योंकि गरीब देशों में कोविड-19 वैक्सीन की उपलब्धता काफी कम है। साथ ही, आर्थिक पैकेज न मिलने से गरीब देशों में उत्पादकता पर असर पड़ रहा है। 

संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने वैक्सीन के असमान वितरण पर सवाल खड़े किए हैं। 27 अक्टूबर 2021 ने आईएलओ ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के पिछले साल की तुलना में इस साल कामकाजी घंटों में 4.3 प्रतिशत कमी आएगी। इसका आशय है कि इस साल लगभग 12 करोड़ 50 लाख पूर्णकालिक नौकरियां प्रभावित होंगी।

इससे पहले जून महीने में आई आईएलओ की रिपोर्ट में कामकाजी घंटों में 3.5 फीसदी की कमी आने की आशंका जताई गई थी। इस रिपोर्ट में 10 करोड़ रोजगार प्रभावित होने की आशंका जताई गई थी।  

"आईएलओ मॉनीटर: कॉविड-19 एंड वर्ल्ड ऑफ वर्क" नामक इस रिपोर्ट का यह आठवां संस्करण जारी किया गया है। इसमें चेताते हुए कहा गया है कि विकसित और विकासशील देशों के रोजगार के क्षेत्र में एक दरार बन रही है और ठोस वित्तीय एवं तकनीकी सहयोग के अभाव के कारण इस दरार के और गहराने की आशंका है।

उच्च आय वाले (अमीर) देशों में साल 2021 की तीसरी तिमाही की तुलना कोविड-19 महामारी से पहले के साल 2019 की तीसरी तिमाही से करते हुए कहा गया है कि इन देशों में कामकाजी घंटों में 3.6 प्रतिशत की कमी आई है। जबकि निम्न-आय वाले देशों में यह आंकड़ा 5.7 प्रतिशत और निम्नतर मध्य-आय वाले देशों में 7.3 प्रतिशत है।

आईएलओ की रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप और मध्य एशिया में कामकाजी घंटों में सबसे कम नुकसान (2.5 प्रतिशत) दर्ज किया गया है। इसके बाद एशिया और प्रशान्त क्षेत्र है, जहां कामकाजी घंटों में 4.6 प्रतिशत की कमी आई है। जबकि अफ्रीका में 5.6, अमेरिका में 5.4 और अरब क्षेत्र में 6.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।

वैक्सीन और वित्तीय पैकेज

रिपोर्ट में बताया गया है कि टीकाकरण की रफ्तार और वित्तीय पैकेजों की वजह से विकसित और विकासशील देशों में अलग-अलग हालात बने हैं।

अनुमान जताया गया है कि साल 2021 की दूसरी तिमाही में, 14 व्यक्तियों के पूर्ण टीकाकरण होने पर वैश्विक श्रम बाजार में एक पूर्ण रोजगार की वृद्धि हुई है। इससे आर्थिक पुनर्बहाली में काफी हद तक मदद मिली है।

मगर, 2021 की दूसरी तिमाही में यह अनुमान लगााया गया था कि वैक्सीन की कमी की वजह से कामकाजी घंटों में 6 फीसदी का नुकसान होगा। जो फिलहाल 4.8 प्रतिशत रहा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 टीकों का वितरण भी एक बड़ी वजह है, जिसका सबसे सकारात्मक असर उच्च-आय वाले देशों में हुआ है। निम्नतर मध्य-आय वाले देशों में यह बेहद मामूली है, जबकि निम्न-आय वाले देशों में वैक्सीन का वितरण ना के बराबर है।

आईएलओ ने कहा है कि यदि वैक्सीन का वितरण सभी देशों में समान रूप से हो तो रोजगार और कामकाजी घंटों की स्थिति में तेजी से सुधार होगा। आईएलओ का अनुमान है कि यदि निम्न मध्य व निम्न आय वाले देशों में भी वैक्सीन का समान वितरण किया जाए तो इन देशों में रोजगार की स्थिति अगली तिमाही के भीतर ही उच्च आय वाले देशों के बराबर पहुंच जाएगी।

आईएलओ ने वैक्सीन के अलावा आर्थिक पैकेज के वितरण में भी समानता की बात कही है। आईएलओ के मुताबिक 86 प्रतिशत वित्तीय पैकेज उच्च आय वाले देशों में जारी किए गए हैं, जिससे इन देशों में उत्पादकता बढ़ी है। अनुमान जताया गया है कि यदि वित्तीय पैकेज से किसी अर्थव्यवस्था में जीडीपी में 1 फीसदी वृद्धि होती है तो 2019 की चौथी तिमाही के मुकाबले कामकाजी घंटों में 0.3 फीसदी प्वाइंट की वृद्धि हो सकती है।

Subscribe to our daily hindi newsletter