लॉकडाउन नहीं खुला तो प्रवासी मजदूर ने कर ली आत्महत्या

दिहाड़ी मजदूरी करने वाले 30 वर्षीय युवक ने लॉकडाउन के कारण अपने चार बच्चों के लिए राशन का इंतजाम नहीं कर पाया

By Shahnawaz Alam

On: Friday 17 April 2020
 
आत्महत्या करने वाले मजदूर की पत्नी और उसके चार बच्चे। फोटो: शाहनवाज आलम

हरियाणा सरकार भले ही लॉकडाउन में हर गरीबों तक राशन पहुंचाने का दावा कर रही है, लेकिन हकीकत इससे जुदा है। देश में कोरोना संक्रमण (कोविड-19) से बनी लॉकडाउन की स्थिति अब दिहाड़ी मजदूरों पर भारी पड़ने लगा है। मजदूरी छिन जाने और तंगहाली के दलदल में फंस जाने के कारण गुरुग्राम के सरस्‍वती कुंज के झुग्‍गी में रहने वाले बिहार के गया जिला के बारां गांव निवासी 30 वर्षीय मुकेश ने अपनी जिंदगी खत्‍म कर दी। उसकी पत्‍नी पूनम और चार बच्‍चों के सामने लॉकडाउन जिंदगी का सबसे बड़ा दर्द लेकर आया है।

दूसरे प्रदेश के होने के कारण इस परिवार के पास कोई राशन कार्ड भी नहीं था। जिसके कारण उन्‍हें राशन भी नहीं मिल रहा था। मुकेश की पत्‍नी पूनम का कहना है, आठ साल से अधिक समय से गुरुग्राम में रहकर घरों की पेंटिंग का काम करते थे। करीब पांच महीने से काम छूटने के बाद दिहाड़ी मजदूरी शुरू कर दी थी। लॉकडाउन के बाद वह घर पर ही थे। काम न होने के कारण उनके पास पैसे भी नहीं थे। उन्हें उम्मीद थी कि 14 अप्रैल को लॉकडाउन खुल जाएगा, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। इस वजह से मुकेश मानसिक तौर पर काफी परेशान था। बकौल पूनम, अगर हमारे पास खाने का राशन होता तो उनके पति आज जिंदा होते। हालांकि पुलिस प्रवक्‍ता का कहना है कि मानसिक परेशानी की वजह से आत्‍महत्‍या की है।

गुरुग्राम की पहचान हरियाणा की आर्थिक राजधानी के रूप में होती है। यह देश के दूसरे राज्‍यों से लोग मेहनत मजदूरी के लिए आते है। सबसे अधिक दिहाड़ी मजदूर कंस्‍ट्रक्‍शन, पेंटिंग, साफ-सफाई, लकड़ी से जुड़े कामों में लगे होते है। लॉकडाउन की वजह से सारे काम बंद हो गए हैं। दिहाड़ी मजदूरों की मजदूरी छिन गई है।

15 अप्रैल को ही गुरुग्राम के वजीराबाद में रह रहे प्रवासी मजदूर अपने घर जाने के लिए निकल पड़े थे। किसी तरह प्रशासन ने समझा बुझाकर उन्‍हें वापस भेजा है। राशन कार्ड नहीं होने और खाना नहीं मिलने के कारण लोग परेशान हो रहे है। गुरुवार को सेक्‍टर-51 स्थित समसपुर गांव में राशन कार्ड नहीं होने और हेल्‍पलाइन नंबर पर शिकायत करने के बाद भी राशन नहीं मिला था। इस घटना के बाद अब जिला प्रशासन अस्‍थायी तौर पर राशन कार्ड देने की बात कह रहा है। राशन वितरण के नोडल अधिकारी व गुरुग्राम नगर निगम के अतिरिक्‍त आयुक्‍त महाबीर प्रसाद का कहना है, जरूरतमंदों को ध्‍यान में रखकर तीन महीने के लिए अस्‍थायी तौर पर राशन कार्ड जारी करने की योजना तैयार की गई है। गुरुग्राम जिला प्रशासन का दावा है कि हर दिन जिले में छह रिलीफ सेंटर और 47 वितरण केंद्र के जरिये एक लाख पका हुआ खाने का पैकेट और 12000 लोगों के लिए राशन बांटा जा रहा है।

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