दुनिया में करीब 2.4 अरब महिलाओं के पास पुरुषों जैसे आर्थिक अधिकार नहीं: विश्व बैंक

कोविड-19 महामारी के बावजूद 23 देशों ने अपने कानूनों में सुधार करते हुए 2021 में महिलाओं के आर्थिक समावेश को आगे बढ़ाने के लिए काम किया

By DTE Staff

On: Tuesday 01 March 2022
 
फोटो: विकास चौधरी

कामकाजी उम्र की करीब 2.4 अरब महिलाओं को समान आर्थिक मौके नहीं मिलते हैं और 178 देशों में ऐसी कानूनी अड़चने हैं जो महिलाओं को अपना पूरा आर्थिक योगदान देने से रोक लेती हैं। यह कहना है वर्ल्ड बैंक की विमेन, बिजनेस एंड द लॉ 2022 रिपोर्ट का। 86 देशों में महिलाओं को नौकरी में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है और 95 देशों में महिलाओं को पुरुषों के बराबर आय नहीं मिलती है।

वैश्विक तौर पर महिलाओं के पास पुरुषों की तुलना में सिर्फ तीन-चौथाई कानूनी अधिकार हैं। हालांकि वैश्विक महामारी के महिलाओं की जिंदगी और रोजीरोटी पर पड़ने वाले प्रभावों के बावजूद 23 देशों ने 2021 में अपने कानूनों में बदलाव किया ताकि महिलाओं के आर्थिक समावेश को बढ़ाने की दिशा में कदम उठाया जा सके।

वर्ल्ड बैंक मैनेजिंग डायरेक्टर ऑफ डेवलपमेंट पॉलिसी एंड पार्टनरशिप, मारी पान्गेस्तू ने कहा- इस दिशा में काफी तरक्की हुई है, लेकिन अब भी महिलाओं और पुरुषों की जिंदगीभर की अपेक्षित सालाना आय के बीच 172 लाख करोड़ डॉलर का फर्क है- यह दुनिया के सालाना जीडीपी से दो गुना ज्यादा है।  

एक तरफ हम ग्रीन, रेसिलिएंट और इंक्लूसिव विकास के लक्ष्यों को पाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, ऐसे में सरकारों को कानूनी सुधारों की गति तेज करनी होगी ताकि महिलाएं अपनी पूरी क्षमता से काम कर सकें और पूरी तरह से बराबर फायदा पा सकें।

वीमेन, बिजनेस एंड द लॉ 2022 मैगजीन 190 देशों में कानूनों और नियमों का अध्ययन करती है। इसमें महिलाओं की आर्थिक भागदारी को प्रभावित करने वाले 8 क्षेत्रों- गतिशीलता, काम करने की जगह, आय, शादी, अभिभावकता, उद्यमिता, संपत्ति और पेंशन शामिल हैं। यह डेटा वैश्विक लैंगिक समानता के लिए लक्ष्य और मापे जाने लायक बेंचमार्क ऑफर करता है।

सिर्फ 12 देशों में कानूनी लैंगिक बराबरी लागू है। यह सभी देश ओईसीडी का हिस्सा हैं और इस साल चाइल्ड केयर कानूनों को नियंत्रित करने वाला 95 कंट्री पायलट सर्वे नया है। चाइल्ड केयर ऐसा क्रटिकल एरिया है जहां महिलाओं को नौकरी में आगे बढ़ने के लिए सपोर्ट की बहुत जररत होती है।

इसका पायलट एनालिसिस भी किया गया है कि महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण को प्रभावित करने वाले कानूनों को आखिर कैसे लागू किया जाता है। इसमें यह फर्क साफ किया गया है कि किताबों मे कानून कैसा होता है और हकीकत में महिलाएं क्या सहती हैं।

2021 में वीमेन, बिजनेस एंड द लॉ इंडेक्स में सबसे ज्यादा सुधार मिडिल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका और सब-सहारन अफ्रीका क्षेत्रों में हुआ है, हालांकि वे पूरी दुनिया के अन्य हिस्सों के मुकाबले काफी पीछे हैं। गैबोन अपने सिविल कोड में किए गए बड़े बदलावों और महिलाओं के खिलाफ हिंसा का खात्मा कानून लागू किए जाने के कारण सबसे अलग दिखता है। 2020 में गैबोन का स्कोर 57.5 था, जो 2021 में बढ़कर 82.5 हो गया।

वैश्विक तौर पर, सबसे ज्यादा सुधार अभिभावकता, आय और वर्कप्लेस इंडिकेटर्स में किए गए। कई सुधार दफ्तर में सेक्शुअल हैरसमेंट से बचाव के खिलाफ, लैंगिक भेद खत्म करने, नए पेरेंट्स के लिए पेड लीव बढ़ाने पर और महिलाओं के लिए नौकरी पर लगी रोक के खिलाफ थे।

इंडेक्स में आय और अभिभावकता इंडिकेटर्स को सबसे कम औसत मिला है, लेकिन पिछले साल की तुलना में दोनों इंडिकेटर्स 0.9 और 0.7 पॉइंट्स की बढ़ोतरी के साथ 68.7 और 55.6 के औसत स्कोर पर पहुंच गए। अभिभावकता इंडिकेटर में हुई बढ़ोतरी के पीछे सबसे बड़ी वजह पैटरनिटी लीव और शेयर की जाने वाली पेरेंटल लीव रहीं, लेकिन कम स्कोर यह बताता है कि इस इलाके में सुधार की जरूरत है।

वर्ल्ड बैंक ग्रुप के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और चीफ इकोनॉमिस्ट कार्मेन रेनहार्ट ने कहा कि- महिलाएं तब तक अपने काम काज की जगह पर बराबरी का अनुभव नहीं कर पाएंगी जब तक घर पर उन्हें बराबरी का दर्जा नहीं मिलता। इसका मतलब यह है कि महिला-पुरुष दोनों को समान मौके देने होंगे और यह तय करना होगा कि मां बन जाने का मतलब यह नहीं होगा कि उन्हें अर्थव्यवस्था में भाग लेने और उनकी उम्मीदें और अरमान पूरे करने से रोका जाएगा।

Subscribe to our daily hindi newsletter