सभी महिलाओं के जनधन खातों में नहीं पहुंची कोविड-19 राहत : सर्वेक्षण

13 राज्यों में कम से कम 12,500 खाताधारकों का सर्वेक्षण किया गया, 16 प्रतिशत ने कहा खाता निष्क्रिय था

By Shagun

On: Friday 03 July 2020
 
जनधन खाताधारक 66 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उनके खाते में पैसे आए हैं, जबकि 20.8 प्रतिशत ने सर्वेक्षण के समय तक पैसे नहीं पहुंचने की बात बताई

एक हालिया सर्वेक्षण में पता चला है कि प्रधानमंत्री जनधन योजना के निष्क्रिय बैंक खातों और उनके चालू होने के बारे में सूचनाओं की कमी के चलते बहुत सी महिलाओं को लॉकडाउन के बाद आर्थिक मदद नहीं पहुंच सकी। यह त्वरित सर्वेक्षण 13 राज्यों की 12,588 महिला खाताधारकों पर किया गया। इनमें से 16 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि या तो उनका जनधन खाता चालू नहीं है या उन्हें अपने खाते की स्थिति पता नहीं है।  

जनधन खाताधारक 66 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उनके खाते में पैसे आए हैं, जबकि 20.8 प्रतिशत ने सर्वेक्षण के समय तक पैसे नहीं पहुंचने की बात बताई। 13.1 प्रतिशत को नहीं पता था कि उनके खाते में पैसे आए हैं या नहीं।

यह सर्वेक्षण नेशनल कोलिएशन ऑफ सिविल सोसायटी संगठनों ने ऑक्सफेम इंडिया के साथ मिलकर किया है। यह सर्वेक्षण 28 अप्रैल से 12 मई 2020 के बीच किया गया। इसमें अधिकांश महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों की मजदूर थीं। जिन 13 राज्यों में यह किया गया उनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पुद्दुचेरी, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शामिल थे।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि कोविड-19 राहत पैकेज के तहत जनधन खाताधारक महिलाओं को अप्रैल, मई और जून तक प्रतिमाह 500 रुपए की आर्थिक मदद मिलेगी। भारत में करीब 39 करोड़ जनधन खाताधारक हैं। इनमें 54 प्रतिशत महिलाएं हैं। एक राज्यवार विश्लेषण में पाया गया है कि तमिलनाडु में सर्वाधिक 27.9 प्रतिशत निष्क्रिय महिला खाताधारक हैं।  

सर्वेक्षण में शामिल तेलंगाना की 40.2 प्रतिशत महिलाओं को नहीं पता था कि उनका खाता चालू है या नहीं। राज्य में सक्रिय खाताधारक किसी भी महिला को नगद भुगतान नहीं हुआ। बिहार और आंध्र प्रदेश की महिलाओं की हालत ऐसी ही बदतर थी।

बिहार में 40.8 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्हें राहत राशि नहीं मिली है। आंध्र प्रदेश में ऐसा कहने वाली महिलाएं 31.7 प्रतिशत थी। सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि खाताधारकों की पहचान नहीं हो सकी और भुगतान बहुत जल्दबाजी में किया गया।

ऑक्सफेम इंडिया के पॉलिसी एवं रिसर्च निदेशक रानू भोगल कहते हैं कि बहुत से लोगों को यह मामूली मदद इसलिए नहीं मिली क्योंकि उनके खाते निष्क्रिय थे। वह बताते हैं कि जब जनधन खाते खोले गए तब बहुत से लोगों के दूसरे खाते थे। सरकार से आर्थिक मदद प्राप्त करने के लिए उन्होंने जनधन खाते भी खुलवा लिए। हालांकि इसके बाद भी लोग गैर जनधन खातों का इस्तेमाल करते रहे।

21 मई 2020 तक सर्वेक्षण में शामिल 21 प्रतिशत महिलाओं को अप्रैल 2020 की पहली किस्त नहीं मिली थी।  

जिन महिलाओं के खाते में पैसे आए, उनमें 42.1 प्रतिशत को इसकी जानकारी हासिल करने के लिए बैंक शाखा में जाना पड़ा। रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में लागू सख्त लॉकडाउन के दौरान महिलाओं का बैंक शाखा में जाना उनकी दुर्दशा बयान करता है। सर्वेक्षण के अनुसार, 20 प्रतिशत महिलाएं लॉकडाउन की बंदिशों के कारण खातों से पैसे नहीं निकाल सकीं। हालांकि देशभर में पैसे निकालने की स्थिति संतोषजनक थी।  करीब 53.8 प्रतिशत महिलाएं पैसे नहीं निकाल पाईं क्योंकि वे लॉकडाउन के कारण बैंक शाखा तक नहीं पहुंच सकीं। 22.3 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि कोरोनावायरस के डर ने उन्हें बैंक शाखा तक जाने से रोक लिया।

सर्वेक्षण में उन महिलाओं को भी आर्थिक मदद देने की सिफारिश की गई है जिनके खाते निष्क्रिय हैं। इसमें स्थानीय पंचायत और ब्लॉक प्रशासन को मदद करनी चाहिए। साथ ही यह भी कहा गया है कि खाते में पैसे आने पर बैंकों को खाताधारक के मोबाइल पर संदेश भेजना चाहिए। 

Subscribe to our daily hindi newsletter