भारत में पढ़ी लिखी महिलाओं में बेरोजगारी दर अधिक: रिपोर्ट
ओईसीडी के इकोनॉमिक सर्वे ऑफ इंडिया में कहा गया है कि भारत में पुरुष और महिलाओं की बेरोजगारी दर के बीच 52 प्रतिशत अंक की गहरी खाई है
On: Friday 06 December 2019


भारत अन्य देशों की तुलना में कामकाजी महिलाओं के लिए काफी खराब देशों में गिना जाता है। पेरिस के शोध संस्थान आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के इकोनॉमिक सर्वे ऑफ इंडिया ने पाया है कि महिला और पुरुष के रोजगार मिलने की दर में 52 प्रतिशत का अंक का अंतर है। भारत के बाद तुर्क (टर्की) का स्थान आता है जहां यह अंतर 37 प्रतिशत का है। स्वीडन और नॉर्वे को इस श्रेणी में पांच प्रतिशत अंक के अंतर के साथ सबसे बेहतरीन स्थान प्राप्त हुआ है।
यह रिपोर्ट कहती है कि इस वक्त बेरोजगारी युवाओं और शहरी क्षेत्र की शिक्षित महिलाओं में काफी अधिक है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बेरोजगारी के अलावा रोजगार की खराब गुणवत्ता भी इसमें शामिल है। रोजगार में यह अंतर 15 से लेकर 29 वर्ष तक के आयु वर्ग में सबसे अधिक देखा जा रहा है। इस रिपोर्ट में आंकलन किया गया है कि हर वर्ष नौकरी के लिए एक करोड़ 10 लाख लोग बाजार में आते हैं और इस हिसाब से रोजगार दर में देश में गिरावट देखी जा रही है।
आंकड़ों की अनुपलब्धता
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कामगारों के व्यापक आंकड़ों को जारी करने में सरकार विफल रही है और इस वजह से नीतियों से हो रहे असर और उनकी प्राथमिकता पर इसका असर हो रहा है। एनएसएसओ के द्वारा हर पांच वर्ष में पारिवारिक आंकड़े इकट्ठे किए जाते हैं और इसे प्रकाशित करने में और अधिक समय लगता है। यह सर्वे की रिपोर्ट वर्ष 2017-18 के बीच की है जिसे वर्ष 2019 में प्रकाशित किया गया है। केंद्र ने तकनीकी समस्या वाले आंकड़ों को आनन-फानन में हटा लिया।
सरकार के ऊपर यह आरोप भी लगते रहे हैं कि वे जानबूझकर बढ़ती हुई बेरोजगारी दिखाने वाले आंकड़ों को हटा रही है। केंद्र सरकार ने कई दूसरे सर्वे जैसे लेबर ब्यूरो का सालाना सर्वे, त्रेमासिक रोजगार का सर्वे और उद्योग के वार्षिक सर्वे को भी कराना बंद कर दिया। यह रिपोर्ट यह भी सुझाती है कि आंकड़ों की गुणवत्ता और समय पर इसका उपलब्ध होना सरकार का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य होना चाहिए।