फ्रीबीज मामला : सुप्रीम कोर्ट ने कहा न्यायिक हस्तक्षेप का दायरा क्या हो पहले इसे तय करना होगा

याचिका में कहा गया है राजनीतिक पार्टियां मुफ्त की घोषणाओं से वोटर्स के मतों को प्रभावित करती हैं जिसकी चोट चुनावों प्रक्रिया के विश्वास पर पड़ती है। 

By Vivek Mishra

On: Friday 26 August 2022
 

चर्चित फ्रीबीज (मुफ्त) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा "इस मामले में शामिल जटिलताओं को देखते हुए और सुब्रह्मण्यम बालाजी मामले में बदलाव की प्रार्थना को देखते हुए इसे तीन जज वाली पीठ के पास सुनवाई के लिए भेजा जाता है। मामले की अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी।"

यह आदेश सुप्रीम कोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने 26 अगस्त, 2022 को दी। वह इस मामले के साथ अन्य मामलों की अपने कार्यकाल के आखिरी दिन सुनवाई कर रहे थे। इसे लाइव स्ट्रीमिंग के जरए प्रसारित भी किया गया। 

जस्टिस एनवी रमन्ना ने इस मामले को तीन सदस्यीय बेंच पर भेजने से पहले याचिका के मुख्य बिंदुओं को पढ़कर सुनाया। याचिका के मुताबिक राजनीतिक पार्टियों के जरिए बिना किसी नुकसान आकलन के जनता को चुनावों के समय घोषणापत्रों व रैलियों में मुफ्त सेवाएं व चीजें देने की घोषणा करना फ्रीबीज है। 

याचिका में कहा गया है कई राज्यों में राजनीतिक पार्टियां मुफ्त की घोषणाओं से वोटर्स के मतों को प्रभावित करती हैं, जिसकी चोट चुनावों पर लोगों के विश्वास पर पड़ती है। साथ ही इस फ्रीबीज का बोझ करदाताओं पर पड़ता है। 

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में चुनावी पार्टियों के जरिए ग्रांट की घोषणा किए जाने को चुनौती दी गई है। हमारे जैसी इलेक्टोरल डेमोक्रेसी के लिए फ्रीबीज का अभ्यास घातक है। याचिका में कहा गया कि फ्रीबीज मामले में सुप्रीम कोर्ट के जरिए पूर्व में भारत सरकार को कहा गया था कि वह सभी राजनीतिक पार्टियों को एकसाथ बैठकर इस मामले को सुलझाने की कोशिश करें। 

मामले में न्यायिक हस्तक्षेप की संभावनाओं को लेकर चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा " कुछ प्रारंभिक सुनवाई को निर्धारित करने की आवश्यकता है, जैसे कि न्यायिक हस्तक्षेप का दायरा क्या है, क्या अदालत द्वारा विशेषज्ञ निकाय की नियुक्ति किसी उद्देश्य की पूर्ति करती है।"

चीफ जस्टिस रमन्ना ने कहा कि कई राजनीतिक पार्टियों ने हमसे सुब्रह्मण्यम बालाजी मामले में दिए गए आदेश को फिर से पुर्नविचार के लिए अपील की है, जिसमें ऐसी योजनाओं को भ्रष्ट आचरण वाला नहीं माना जाए। इसलिए इस मामले की सुनवाई तीन सदस्यीय संवैधानिक पीठ करेगी। 

मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त के दिन मुफ्त की रेवड़ियों की बात को लालकिले के भाषण में उठाया था। इसके बाद से राजनीतिक पार्टियों के बीच लाभ की योजनाओं को लेकर रस्साकशी है। 

 

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