पीएम उज्ज्वला योजना: एक सिलेंडर भी नहीं भरा पाए 92 लाख लाभार्थी

संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने माना कि 21 फीसदी से अधिक उज्ज्वला कनेक्शन धारक एक बार से ज्यादा सिलेंडर नहीं भरा पाए

By Bhagirath Srivas

On: Wednesday 03 August 2022
 
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के गांव पैलानी डेरा की रामदुलारी अब तक बस चार बार ही सिलेंडर भरवा पाई हैं। फाइल फोटो: गौरव गुलमोहर

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूयाई) के तहत महिलाओं को वितरित कि गए एलपीजी कनेक्शन धूल फांक रहे हैं। एलपीजी के ऊंचे दाम के चलते लाभार्थी सिलिंडर भराने में असमर्थ हैं। इस तरह की खबरों पर खुद सरकार ने मुहर लगा दी है।  

राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रमोद तिवारी द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब में खुद केंद्र सरकार ने माना है कि उज्ज्वला योजना के 21.41 प्रतिशत लाभार्थियों ने 0-1 सिलिंडर लिया है। राज्यसभा में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने बताया कि 2021-22 में 92 लाख ग्राहकों ने कोई रिफिल नहीं लिया जबकि 1.08 करोड़ ग्राहकों ने केवल 1 रिफिल लिया (कनेक्शन के साथ दिए गए रिफिल के साथ)। इस तरह उज्ज्वला योजना के 9.34 करोड़ लाभार्थियों में से 2 करोड़ लाभार्थियों ने अधिकतम एक रिफिल ही लिया।

राज्यमंत्री ने पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों के जरिए बताया कि 2017-18 में 1.65 करोड़, 2018-19 में 4.14 करोड़, 2019-20 में 3.24 करोड़, और 2020-21 में 77 लाख लाभार्थियों ने 0-1 रिफिल लिया। कोई रिफिल न लेने वाले लाभार्थियों की संख्या 2019-20 में अधिकतम रही। इस वर्ष 1.41 करोड़ लाभार्थियों ने कोई रिफिल नहीं लिया जबकि 2018-19 में ऐसे लाभार्थियों की संख्या अधिकतम (2.90 करोड़) रहीं जिन्होंने केवल 1 रिफिल लिया। ये आंकड़े बताते हैं कि जिस मंशा के साथ उज्ज्वला योजना शुरू की गई थी वह पूरी नहीं हो रही है। शायद उज्ज्वला योजना में घटती दिलचस्पी के कारण ही सरकार ने 2022-23 के लिए 12 सिलिंडर तक 200 रुपए प्रति सिलिंडर सब्सिडी घोषित की है।  

राज्यमंत्री ने अपने जवाब में कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान कुल 30.53 करोड़ सक्रिय घरेलू ग्राहकों में से 2.11 करोड़ ने कोई रिफिल नहीं लिया जबकि 2.91 करोड़ ने केवल 1 रिफिल लिया। इस तरह कुल  5.02 करोड़ ग्राहकों (16.44 प्रतिशत) ने 0-1 रिफिल लिया। मंत्री ने बताया कि एलपीजी की खपत खाने की आदत, परिवारों के आकार, खाना पकाने की आदतों, मूल्य और वैकल्पिक ईंधनों की उपलब्धता जैसे अनेक घटकों पर निर्भर करती है।

एलपीजी सिलिंडर रिफिल न करवाने का सबसे बड़ा कारण इसकी ऊंची कीमत बताई जा रही है। एक अन्य प्रश्न के जवाब में राज्यमंत्री ने माना कि जुलाई 2021 में पीएमयूवाई लाभार्थियों के लिए रिफिल का मूल्य 834.5 रुपए था जो जुलाई 2022 में बढ़कर 853 रुपए हो गया है। इसी तरह गैर पीएमयूवाई ग्राहकों के लिए रिफिल का मूल्य जुलाई 2021 में 834.5 रुपए से बढ़कर जुलाई 2022 में 1053 रुपए हो गया है।

एक तरफ जहां एलपीजी के भाव आसमान छू रहे हैं वहीं दूसरी तरफ इस पर दी जाने वाली सब्सिडी में भारी कमी आई है। राज्यसभा में दिए गए एक अन्य प्रश्न के जवाब में राज्यमंत्री ने राज्यसभा सांसद वी शिवादासन को बताया कि 2021-22 में केवल 242 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई है। राज्यसभा में दिए गए पिछले 5 वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि 2021-22 में उज्ज्वला योजना के तहत कोई सब्सिडी नहीं दी गई। 2020-21 में इसके लिए सब्सिडी 76 करोड़, 2019-20 में 1446 करोड़, 2018-19 में 5670 करोड़ और 2017-18 में 2559 करोड़ रुपए थी।

एलपीजी सिलिंडर पर डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए भेजी जाने वाली सब्सिडी में बड़ी गिरावट आई है। 2022 में डीबीटी से केवल 242 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई है जबकि 2020-21 में 3658 करोड़, 2019-20 में 22726 करोड़, 2018-19 में 31539 करोड़ और 2017-18 में 20905 करोड़ रुपए की सब्सिडी डीबीटी के जरिए दी गई थी।

Subscribe to our daily hindi newsletter