वैश्विक स्तर पर अक्षय ऊर्जा में दर्ज की गई रिकॉर्ड 295 गीगावाट की वृद्धि, भारत में 11 फीसदी की बढ़ोतरी

हालांकि यह वृद्धि जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पर्याप्त नहीं है। यदि 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को हासिल करना है तो इसमें तीन गुणा वृद्धि की जरूरत है

By Lalit Maurya

On: Friday 24 March 2023
 

2022 में वैश्विक स्तर पर अक्षय ऊर्जा क्षमता में 9.6 फीसदी की वृद्धि हुई है। हालांकि इसके बावजूद यह बढ़ोतरी वैश्विक तापमान में होती वृद्धि को सीमित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके लिए अक्षय ऊर्जा में वर्तमान दर से तीन गुणा वृद्धि की जरूरत है। यह जानकारी इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (आईआरईएनए) द्वारा जारी नई रिपोर्ट "रिन्यूएबल कैपेसिटी स्टैटिस्टिक्स 2023" में सामने आई है।

रिपोर्ट में जारी आंकड़ों की मानें तो पिछले वर्ष 2022 के अंत में वैश्विक स्तर पर कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता रिकॉर्ड 295 गीगावाट की वृद्धि के साथ बढ़कर 3,372 गीगावाट पर पहुंच गई थी। वहीं यदि पिछले वर्ष नई बिजली क्षमता की बात करें तो उसमें करीब 83 फीसदी के हिस्सेदारी अक्षय ऊर्जा की थी। जो दर्शाता है कि वर्तमान में रिन्यूएबल एनर्जी पर कितना ध्यान दिया जा रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद रिन्यूएबल एनर्जी में रिकॉर्ड स्तर पर विकास जारी है, जो जीवाश्म ईंधन से हो रहे बिजली उत्पादन में गिरावट की पुष्टि करता है। इस बारे में इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी के महानिदेशक फ्रांसेस्को ला कैमरा का कहना है कि, "निरंतर होती रिकॉर्ड वृद्धि ऊर्जा संकट के बीच अक्षय ऊर्जा के लचीलेपन को दर्शाती है।"

उनके अनुसार नीतियों को बेहतर करने के साथ, अक्षय ऊर्जा ने साल-दर-साल वैश्विक ऊर्जा में अपनी हिस्सेदारी में हो रही वृद्धि की प्रवृत्ति को बरकरार रखा है। हालांकि साथ ही उन्होंने यह भी माना कि यदि वैश्विक तापमान में होती वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित रखना है, तो इसके लिए 2030 तक अक्षय ऊर्जा में होती वृद्धि को वर्तमान स्तर से तीन गुणा ज्यादा करने की जरूरत है।

रिपोर्ट की मानें तो 2022 में अक्षय क्षमता विस्तार में सौर और पवन ऊर्जा का दबदबा रहा। इस दौरान अक्षय ऊर्जा में हुई कुल वृद्धि में इनकी संयुक्त रूप से हिस्सेदारी करीब 90 फीसदी रही।

जलविद्युत क्षमता में दो फीसदी के साथ 21 गीगावाट की वृद्धि, जो हाल के वर्षों के अनुरूप ही है। इसी तरह पवन ऊर्जा में 9 फीसदी (75 गीगावाट) की वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि यह वृद्धि पिछले दो वर्षों की तुलना में धीमी रही। इसी तरह सौर ऊर्जा में भी 191 गीगावाट की वृद्धि देखी गई। वहीं यदि बायोएनेर्जी की बात करें तो उसमें 7.6 गीगावाट की वृद्धि दर्ज की गई जो पिछले वर्ष (8.1 गीगावाट) की तुलना में थोड़ी कम है। इस दौरान भूतापीय ऊर्जा में बहुत मामूली 181 मेगावाट की वृद्धि हुई।

भारत की अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता में भी दर्ज की गई 10.8 फीसदी की वृद्धि

भले ही दुनिया के कई देशों ने 2022 के दौरान अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि की थी। लेकिन यह वृद्धि मुख्य रूप से एशिया, अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में केंद्रित थी। आंकड़े दर्शाते है कि नई क्षमता के विस्तार में करीब आधी हिस्सेदारी एशिया की थी। देखा जाए तो चीन की इसमें सबसे बड़ा योगदान था, जिसने अकेले ही एशिया में अक्षय ऊर्जा के विस्तार में 141 गीगावाट का योगदान दिया था।

आंकड़ों के मुताबिक जहां यूरोप की अक्षय ऊर्जा क्षमता में 57.3 गीगावाट की वृद्धि दर्ज की गई। वहीं उत्तरी अमेरिका में यह आंकड़ा 29.1 गीगावाट था। इसी तरह अफ्रीका में भी अक्षय ऊर्जा क्षमता में होता विस्तार जारी था। ओशिनिया ने 5.2 गीगावाट की वृद्धि और दक्षिण अमेरिका ने क्षमता में 18.2 गीगावाट के विस्तार के साथ अपनी दो अंकों की वृद्धि को जारी रखा था। वहीं मध्य-पूर्व ने 3.2 गीगावाट के साथ नवीकरणीय ऊर्जा में अपनी उच्चतम वृद्धि दर्ज की, जो 12.8 फीसदी रही।

यदि भारत से जुड़े आंकड़ों पर गौर करें तो 2022 में भारत की अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता में 10.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। जब उत्पादन क्षमता 2021 में 147,122 मेगावाट से बढ़कर 2022 में 162,963 मेगावाट पर पहुंच गई थी। 

देखा जाए तो भारत में अक्षय ऊर्जा में हुई यह वृद्धि सौर और पवन ऊर्जा पर केंद्रित थी। जहां 2020 में सौर ऊर्जा में 27 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई, वहीं पवन ऊर्जा में भी 4.6 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि रिकॉर्ड की गई।

गौरतलब है कि भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता जो 2021 में 49,684 मेगावाट थी वो 2022 में बढ़कर 63,146 मेगावाट पर पहुंच गई थी। इसी तरह पवन ऊर्जा क्षमता 40,067 मेगावाट से बढ़कर 2022 में 41,930 मेगावाट पर पहुंच गई थी।

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