कोयले की कमी: केंद्र का दावा - कोई संकट नहीं, लेकिन आंकड़ों में हकीकत अलग
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि कोयला-पॉवर थर्मल स्टेशनों में रिजर्व कोयले में कमी आने की कई वजहें हैं
On: Tuesday 12 October 2021
भारत में लगभग एक सप्ताह से कोयले की कमी चिंता का विषय बनी हुई है। देश के ज्यादातर हिस्सों में त्योहारों का मौसम आने वाला है और इसी बीच ब्लैकआउट का डर सताने लगा है। सबसे ज्यादा चिंता उन किसानों को है, जिन्हें इसी दौरान अपनी खरीफ की फसलों की सिंचाई भी करनी है।
बिजली के लिए देश कोयले से चलने वाले अपने 135 बिजली-उत्पादन प्लांटों पर काफी हद तक निर्भर है। मीडिया रिपोर्टों के दावों के मुताबिक, इनमें से कुछ प्लांटों में केवल कुछ दिनों के लिए कोयले का स्टॉक बचा है।
राजधानी दिल्ली में बिजली संकट से बचने के लिए लोगों को सलाह दी गई है कि वेे बिजली की बर्बादी न करें। कई राज्य सरकारों ने भी केंद्र की मोदी सरकार से इस मामले पर गौर करने के लिए कहा है।
कोयले की कमी के लिए चीन के शंशी प्रांत में बाढ़ को जिम्मेदार बताया जा रहा है, जिसके चलते पूरी दुनिया में इसके दाम बढ़ गए। गौरतलब है कि चीन दुनिया का सबसे बड़ कोयला उत्पादक देश है, और उसके तीस फीसद कोयले का उत्पादन इसी प्रांत में होता है।
हालांकि कोयले के दाम उससे पहले से बढ़ने लगेे थे क्योंकि कोरोना के चलते लॉकडाउन के बाद उद्योगों के चालू होने से उसकी मांग बढ़ने लगी थी। यही वजह है कि कोयले की मांग और उसकी आपूर्ति में संतुलन डगमगाने लगा था।
आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले छह महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कोयले के दाम चार गुना बढ़ गए हैं। केंद्रीय कोयला व खनन मंत्री प्रहलाद जोशी और बिजली मंत्री आरके सिंह ने दो दिन पहले कहा कि कोयले के कमी के चलते देश को किसी ब्लैकआउट का सामना नहीं करना पड़ेगा। जबकि जमीनी हकीकत और केंद्र के ही आंकड़े दूसरी कहानी बयां कर रहे हैं। पंजाब, बिहार और राजस्थान जैसे कई राज्यो में बिजली कटौती शुरू हो गई है।
दर्ज की गई कमी
पॉवर सिस्टम ऑपरेशन कोऑपरेशन, 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, सात अक्टूबर 2021 को देश के उत्तरी क्षेत्र में 55.61, पश्चिमी क्षेत्र में 0.48, दक्षिणी क्षेत्र में 0.32, पूर्वी क्षेत्र में 23.7 और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में 0.21 मिलियन यूनिट यानी कुल 80.32 मिलियन यूनिट बिजली की कमी दर्ज की गई।
उसके अगले दिन आठ अक्टूबर 2021 को उत्तरी क्षेत्र में 78.67, पश्चिमी क्षेत्र में 2.66, दक्षिणी क्षेत्र में 1.31, पूर्वी क्षेत्र में 30.77 और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में 1.05 मिलियन यूनिट यानी कुल 114.46 मिलियन यूनिट बिजली की कमी दर्ज की गई।
नौ अक्टूबर 2021 को उत्तरी क्षेत्र में 84.7, पश्चिमी क्षेत्र में 3.09 दक्षिणी क्षेत्र में 4.11, पूर्वी क्षेत्र में 21.34 और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में 0.5 मिलियन यूनिट यानी कुल 113.74 मिलियन यूनिट बिजली की कमी दर्ज की गई।
जबकि दस अक्टूबर 2021 को उत्तरी क्षेत्र में 66.39, पश्चिमी क्षेत्र में 4.78, दक्षिणी क्षेत्र में 2.4, पूर्वी क्षेत्र में 12.52 और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में 0.61 मिलियन यूनिट यानी कुल 86.7 मिलियन यूनिट बिजली की कमी दर्ज की गई ।
हालांकि देश में सबसे ज्यादा बिजली बनाने वाले नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन यानी एनटीपीसी का कहना है कि वह आने वाले दिनों में बिजली उत्पादन को लेकर सुविधाजनक स्थिति में है। हालांकि उसने यह माना कि आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए उसने रिजर्व स्टॉक को पहले से पूरा कर लिया था।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, 7 अक्टूबर, 2021 को 16880 मेगावाट क्षमता वाले 16 पॉवर स्टेशनों के पास एक दिन के कोयले का भी स्टॉक नहीं था जबकि 37345 मेगावाट क्षमता वाले तीस प्लांट ऐसे थे जिनके पास केवल एक दिन के कोयले का स्टॉक बचा था। 29160 मेगावाट क्षमता वाले 18 प्लांटों के पास तीन दिन का स्टॉक शेष था तो 7864 मेगावाट क्षमता वाले नौ प्लांटों के पास चार दिन का कोयला बचा था।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, चार फीसद प्लांटों ने इसके लिए आपूर्ति के लचीले समझौतों को, छह फीसद प्लांटों ने पहले से कोयले का स्टॉक न रखने को, सात फीसद ने कोई तय समझौता न होने को, इतने ही फीसद ने परिवहन में बाधा को, 42 फीसद ने खदानों से कम कोयले की आपूर्ति को और 17 फीसद ने बकायों का भुगतान न होने को जिम्मेदार ठहराया। 17 फीसद प्लांटों ने इसके लिए कोई वजह नहीं बताई।
कोल इंडिया लिमिटेड के पूर्व मुख्य प्रबंध निदेशक पार्थ भट्टाचार्य के मुताबिक, कोयले का स्टॉक जमा करने वालों का कुप्रबंधन इस भ्रम का मुख्य कारण था। वह कहते हैं, ‘पिछले साल की पहली छमाही की तुलना में इस साल खदानों से बीस फीसद ज्यादा कोयले की खरीद की गई है। पॉवर स्टेशनों ने जान-बूझकर अपने परिसरों कोयले का स्टोरेज कम कर दिया, जिससे भ्रम के हालात बन गए।’
केंद्रीय कोयला मंत्रालय के मुताबिक, कोल इंडिया लिमिटेड ने अगस्त 2020 की तुलना में 9.5 फीसद अधिक कोयला खरीदा। इसी तरह उसने अप्रैल- अगस्त 2020 में 24.4 फीसद ज्यादा कोयला खरीदा।
केंद्रीय कोयला मंत्रालय के मुताबिक, कोल इंडिया लिमिटेड ने अगस्त 2020 के 37.16 मिलियन टन की तुलना में अगस्त 2021 में 42 मिलियन टन का उत्पादन कर 14.6 फीसद की वृद्धि दर्ज की।
हालांकि बिजली उत्पादन से जुड़े अधिकारी इस तथ्य को नकारते हैं। एनटीपीसी के रिटायर्ड मुख्य प्रबंधक आशु गुप्ता के मुताबिक, ‘ कोल इंडिया लिमिटेड ने बिजली स्टेशनों के साथ दीर्घकालिक बिजली खरीद समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। यदि ऐसे अनुबंधों का सम्मान नहीं किया जाता है, तो उसे दंड देना पड़ सकता है। पहले कोल इंडिया कोयले का आयात करता था और स्टेशनों को आपूर्ति करता था। हालांकि, अब, चूंकि कोयले की कीमते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चौगुनी हो गई हैं, तो ऐसा करना मुश्किल हो गया है।
केंद्रीय कोयला मंत्रालय के मुताबिक, कोल इंडिया लिमिटेड ने अगस्त 2020 में पॉवर स्टेशनों को 34.64 यूनिट कोयला और अगस्त 2021 में 38.61 यूनिट कोयला भेजा, जो 11.4 फीसद ज्यादा था। इसी तरह उसनेे अप्रैल से अगस्त 2020 के बीच पॉवर स्टेशनों को 161.87 मिलियन टन और अप्रैल से अगस्त 2021 के बीच 205.90 मिलियन टन कोयला भेजा, जो 27.2 फीसद ज्यादा था।