अडानी पावर लिमिटेड को मिली संशोधित पर्यावरण मंजूरी पर एनजीटी में उठा सवाल

28 मई को एनजीटी के समक्ष एक नया मामला सामने आया है| जिसमें गोड्डा, झारखंड में अदानी पावर को दी गई संशोधित पर्यावरण मंजूरी पर सवाल उठाया गया है

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Monday 01 June 2020
 
फोटो: विकास चौधरी
फोटो: विकास चौधरी फोटो: विकास चौधरी

28 मई को एनजीटी के समक्ष एक नया मामला सामने आया है, जिसमें गोड्डा, झारखंड में अडानी पावर को दी गई संशोधित पर्यावरण मंजूरी पर सवाल उठाया गया है। यह पर्यावरण मंजूरी अडानी पावर द्वारा शुरू की जा रही थर्मल पावर परियोजना के लिए दी गई है।

गौरतलब है कि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सी सी) द्वारा 3 सितंबर, 2019 को मैसर्स अडानी पावर लिमिटेड (झारखण्ड) को उसकी थर्मल पावर परियोजना के यह पर्यावरणीय मंजूर दी गई थी। जिसके अंतर्गत उसे गंगा नदी से जल निकासी की आज्ञा दे दी गई है, जबकि पहले दी गई पर्यावरण मंजूरी में चिर नदी से पानी की निकासी की मंजूरी दी गई थी।

शिकायतकर्ता के अनुसार इस परियोजना में जिस तरह से गंगा नदी से जल निकासी के लिए स्वीकृति ली गई है। उससे इस परियोजना के एक महत्वपूर्ण पहलू में पूरी तरह से बदलाव आ गया है, क्योंकि इस परियोजना के लिए जारी ईआईए में कहीं भी इस बात का विवरण नहीं दिया गया है और ना ही जब इस परियोजना पर सार्वजनिक सुनवाई हुई थी, तब इस बात को जनता के सामने रखा गया था।

इसके अलावा, साहेबगंज और आसपास के क्षेत्र में गंगा नदी के जीवों पर इस परियोजना का क्या असर होगा इस बात का भी अध्ययन नहीं किया गया है। इस क्षेत्र में डॉल्फिन, ऊदबिलाव  जैसी अन्य प्रजातियां रहती हैं। पर उन पर इसका क्या असर होगा इसके बारे में स्रोत की सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट में कुछ भी नहीं कहा गया है| साथ ही जिस तरह से इस परियोजना के लिए साइट का चयन किया गया है वो भी एमओईएफ और सीसी द्वारा निर्धारित साइटिंग मानदंडों के अनुसार नहीं है| इसमें नियमों का उल्लंघन किया गया है|

एनजीटी ने इस अपील को स्वीकार कर लिया है और अपीलकर्ता आर श्रीधर को एक सप्ताह के अंदर इससे जुड़े तथ्य कोर्ट के सामने रखने को कहा है| साथ ही अडानी पावर और अन्य प्रतिवादियों को 30 दिनों के भीतर इसके जवाब में रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने को कहा है। इस मामले पर अगली सुनवाई 3 अगस्त, 2020 को की जाएगी।

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