साधनों की कमी के चलते भुखमरी की कगार पर हैं 4.5 करोड़ लोग: डब्ल्यूएफपी

भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके इन लोगों की संख्या वर्ष की शुरुवात में करीब 4.2 करोड़ थी, जबकि 2019 में यह आंकड़ा 2.9 करोड़ था

By Lalit Maurya

On: Tuesday 09 November 2021
 

विश्‍व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार दुनिया के 43 देशों में करीब 4.5 करोड़ लोग भुखमरी की कगार पर हैं। यदि उनपर अभी ध्यान न दिया गया तो जल्द ही उनके पास जीने के लिए पर्याप्त साधन नहीं बचेंगें। गौरतलब है कि भुखमरी की कगार पर इन लोगों की संख्या इस वर्ष की शुरुवात में करीब 4.2 करोड़ थी, जबकि 2019 में यह आंकड़ा 2.9 करोड़ था।

ऐसे में डब्ल्यूएफपी ने उनकी खाद्य सम्बन्धी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए तत्काल मदद की अपील की है। डब्ल्यूएफपी के अनुसार इन देशों की सरकारें बढ़ती जरूरतों के साथ तालमेल बैठाने के लिए संघर्ष कर रही हैं, ऐसे में उसने अमीर वर्ग से आगे बढ़कर मदद करने की अपील की है, जिससे इन लोगों को भुखमरी बचाया जा सके।

इस बारे में मदद का आह्वान करते हुए डब्ल्यूएफपी के मुख्य कार्यकारी डेविड बेस्ली ने कहा है कि “अगर उन 4.5 करोड़ लोगों तक मदद न पहुंची तो वो सचमुच मरने वाले हैं।“ उनके अनुसार इसमें कोई शक नहीं है कि कोविड-19 महामारी दुनिया भर में स्थिति को बदतर बना रही है। ऊपर से बढ़ते मानवीय संघर्षों के चलते अस्थिरता बढ़ रही है, जिससे अकाल की विनाशकारी नई लहर पैदा हो सकती है, जो दुनिया के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। 

देखा जाए तो अफगानिस्तान में जिस तेजी से मानवीय संकट बढ़ता जा रहा है, उसके चलते देश की जरुरतें अन्य सबसे प्रभावित देशों इथियोपिया, दक्षिण सूडान, सीरिया और यहां तक ​​कि यमन से भी आगे निकल चुकी हैं। आईपीसी द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों को देखें तो अफगानिस्तान में कुल 2.28 करोड़ लोग तीव्र खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं। जिनमें से करीब 87 लाख लोग खाद्य असुरक्षा के आपातकालीन स्तर (आईपीसी चरण 4) पर पहुंच चुके हैं। वहीं अनुमान है कि आने वाले दिनों में जो आंकड़ें सामने आने वाले हैं उनमें स्थिति और बदतर हो सकती है।     

विश्‍व खाद्य कार्यक्रम के अनुसार दुनिया भर में कोविड-19 महामारी से पहले की तुलना में और 1.5 करोड़ लोग भुखमरी का सामना करने को मजबूर हैं। पिछले एक वर्ष से भी ज्यादा समय से डब्ल्यूएफपी इस बात की चेतावनी दे रहा है कि चाहे जलवायु परिवर्तन हो या संघर्ष या फिर इन दोनों का मिला जुला असर हो यह लाखों लोगों को ऐसे संकट में धकेल देगा जिससे उबरना उनके लिए नामुमकिन हो जाएगा। 

चरम मौसमी घटनाओं के चलते 2020 में विस्थापित हो गए थे 3 करोड़ लोग

देखा जाए तो डब्ल्यूएफपी अपने इतिहास का सबसे बड़ा अभियान चला रहा है, जिसमें इस वर्ष 13.9 करोड़ लोगों को मदद के लिए लक्षित किया गया हैं, लेकिन यह लक्ष्य इतना आसान भी नहीं है। 2020 में मौसम की चरम घटनाओं के चलते 3 करोड़ से ज्यादा लोग विस्थापित हुए थे, जबकि संघर्ष के कारण एक करोड़ लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा था। ऐसे में इनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए कहीं ज्यादा मदद की जरुरत है। 

डब्ल्यूएफपी के प्रमुख अर्थशास्त्री आरिफ हुसैन ने जानकारी दी है कि कैसे बढ़ती लागत संगठन के काम को प्रभावित कर रही है और इसके लिए तत्काल नकद सहायता की आवश्यकता है। उनके अनुसार पिछले साल की तुलना में खाद्य सामग्री की कीमतें 21 फीसदी बढ़ गई हैं। ऐसे में अगर डब्ल्यूएफपी को पिछले वर्ष जितना ही सामान खरीदना है तो उसे और 2,224 करोड़ रुपए की जरुरत है। इसी तरह ईंधन की बढ़ती कीमतों के चलते परिवहन की लागत में भी इजाफा हुआ है।  

उनके अनुसार इस सप्ताह जो नए आंकड़े सामने आने वाले हैं उनमें  जरूरतमंद लोगों की और भी धूमिल तस्वीर पेश होने की सम्भावना है। जब तक संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 के कारण उपजे आर्थिक संकट को दूर नहीं कर लिया जाता तब तक इन आंकड़ों के भी नीचे जाने की कोई उम्मीद नहीं है। 

ऐसे में डब्ल्यूएफपी के मुताबिक आपातकालीन खाद्य सहायता की मदद से थोड़े समय के लिए खाद्य असुरक्षा और भुखमरी के प्रत्यक्ष प्रभावों को कम किया जा सकता है लेकिन भुखमरी के खतरे को खत्म करने के लिए लम्बे समय तक कहीं ज्यादा जटिल हस्तक्षेप की जरुरत है, जिसमें शिक्षा, पोषण, आजीविका और सामाजिक सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने सम्बन्धी प्रक्रियाएं शामिल हैं। 

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